भारतीय क्रिकेटर्स ने बीसीसीआई से अपनी सैलरी बढ़ाने की मांग की है। टीम इंडिया के खिलाडि़यों का मानना है कि वैश्विक स्तर के हिसाब से उनकी सैलेरी कम है। फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने बोर्ड से पांच करोड़ रुपये सालाना सैलेरी देने की मांग की है। इस मांग में टीम इंडिया के कुछ अन्य खिलाड़ी भी साथ हैं। बता दें कि बीसीसीआई ने हाल ही में सालाना कॉन्ट्रेक्ट लिस्ट जारी की थी। इसमें शामिल खिलाडि़यों का पैसा दुगुना किया गया था। इस कॉन्ट्रेक्ट के अनुसार, ए ग्रेड में शामिल विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, आर अश्विन, अजिंक्य रहाणे, मुरली विजय, रवींद्र जडेजा और चेतेश्वर पुजारा को सालाना दो करोड़ रुपये मिलेंगे। वहीं ग्रेड बी के खिलाडि़यों को एक करोड़ और ग्रेड सी में 50 लाख रुपये मिलेंगे। लेकिन खिलाड़ी इससे खुश नहीं हैं।
फर्स्ट पोस्ट की खबर के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के बाद विराट कोहली ने यह मांग रखी। उन्हें पता चला कि भारतीय क्रिकेटर्स सालाना वेतन के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर आते हैं। उनसे ज्यादा इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर्स को सैलेरी मिलती है। कोहली ने अन्य बड़े क्रिकेटर्स से बात की और सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासकों की कमिटी से मीटिंग के लिए समय मांगा। टीम इंडिया के कोच अनिल कुम्बले ने भी कोहली एंड टीम की मांग का समर्थन किया।
एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि भारतीय क्रिकेटर्स रिटेनर फीस सहित एक साल में कुल 4-5 करोड़ रुपये ही कमा पाते हैं। जबकि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर्स को 10-12 करोड़ रुपये मिलते हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि बीसीसीआई के पास वित्तीय वर्ष 2016-17 में 509.13 करोड़ रुपये का सरप्लस बजट है।
कोहली की ओर से रखी गई मांग में कहा गया है कि टेस्ट और वनडे व टी20 क्रिकेट खेलने वाले क्रिकेटर्स के लिए दो अलग-अलग कॉन्ट्रेक्ट हो। इससे अलग-अलग रकम मिलेगी। उदाहरण के तौर पर एमएस धोनी अब केवल वनडे और टी20 ही खेलते हैं तो उन्हें पांच करोड़ रुपये मिलेंगे। वहीं टेस्ट विशेषज्ञ चेतेश्वर पुजारा को भी पांच करोड़ रुपये मिलेंगे। लेकिन कोहली, रवींद्र जडेजा और अजिंक्य रहाणे जैसे क्रिकेटर्स को लगभग 10 करोड़ रुपये सालाना मिलेंगे। खिलाडि़यों की मांग पर प्रशासक समिति ने आईपीएल 10 के पूरे होने तक इंतजार करने को कहा है। माना जा रहा है कि क्रिकेटर्स की इस मांग को माना जा सकता है।

