दक्षिण अफ्रीका के साथ वनडे मैचों की श्रृंखला में भारत के दो युवा स्पीनरों ने धमाल मचा दिया। ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटर इयान चैपल दोनों की घातक गेंदबाजी के मुरीद हो गए। उन्होंने अपने कॉलम में लिखा कि कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल बल्लेबजों का शेर और लोमड़ी की तरह शिकार करते हैं। कुलदीप और चहल ने दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को होम कंडीशन में घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। इयान चैपल ने ऑस्ट्रेलिया के दो महान स्पीनरों को भी याद किया। उन्होंने लिखा, ‘दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों पर रिस्ट-स्पीनरों का दबदबा कोई नई बात नहीं है। वर्ष 1935-36 में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में बिल ‘टाइगर’ ऑरेली और क्लेरी ‘द फॉक्स’ ग्रिमेट ने अफ्रीकी बल्लेबाजी को तबाह कर दिया था। रिची बेनो और शेन वॉर्न ने भी जबर्दस्त प्रदर्शन किया था। कुलदीप यादव और चहल ने भी उस सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया है।’ तकरीबन साढ़े आठ दशक पहले ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच पांच टेस्ट मैचों की सीरीज हुई थी। ऑस्ट्रेलियाई बॉलरों ने कुल 98 विकेट लिए थे। ग्रिमेट और बिल ने 71 बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता दिखाया था। ग्रिमेट ने 14.59 और बिल ने 17.04 की औसत से विकेट चटकाए थे। चैपल लिखते हैं कि अफ्रीका के साथ मौजूदा वनडे सीरीज में कुलदीप ने 13.88 की औसत से 17 और चहल ने 16.37 की औसत से 16 विकेट लेकर भारत की जीत मुकर्रर कर दी।
ऑस्ट्रेलियाई दौरे में कुलदीप-चहल पर रहेगी नजर: भारत को ऑस्ट्रेलिया टूर पर जाना है। इयान चैपल ने लिखा कि वनडे सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई कंडीशन में कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को गेंदबाजी करते देखना दिलचस्प होगा। उन्होंने लिखा, ‘भारत के मौजूदा कोच रवि शास्त्री वर्ष 1985 में ऑस्ट्रेलिया में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप के हिस्सा थे और उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि बेहतरीन रिस्टस्पिन से किस तरह के परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। उस वक्त भारतीय टीम विजेता बनी थी और शास्त्री प्लेयर ऑफ द सीरीज चुने गए थे। लेकिन, सीरीज में लेग स्पीनर एल. शिवरामकृष्णन ने बेहतरीन प्रदर्शन कर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। ऑस्ट्रेलिया के बड़े-बड़े मैदानों में रिस्टस्पिन से अच्छी सफलता हासिल की जा सकती है। यदि कुलदीप और चहल अपने मौजूदा प्रदर्शन को जारी रखते हैं तो वे दोनों ऑस्ट्रेलिया में विख्यात या कुख्यात हो सकते हैं।’ इयान चैपल के अनुसार, कुलदीप और चहल ने वनडे सीरीज में क्रिकेट के ऐसे युग में सफलता हासिल की जब बल्ले का आकार बड़ा और मैदानों का छोटा है। उन्होंने दोनों भारतीय गेंदबाजों को दुर्लभ करार दिया है।
