क्रिकेट को ‘भद्रजनों का खेल’ कहा जाता है। मैच का परिणाम चाहें किसी टीम के पक्ष में हो या दूसरी टीम को हार का सामना करना पड़ा हो फिर भी खेल भावना का परिचय देते हुए दोनों ही टीमों के खिलाड़ी एक दूसरे से हाथ मिलाते हैं, बधाई देते हैं, सांत्वना देते हैं और क्रिकेट पिच की प्रतिद्वंदिता को भुलाकर बेहतर रिश्ते बनाते हैं। हालांकि, समय के साथ क्रिकेट खिलाड़ियों के व्यवहार में भी काफी परिवर्तन आया है और कई अन्य खेलों की तरह क्रिकेट के मैदान पर भी खिलाड़ियों के बीच आपस में ‘हीट आॅफ द मोमन्ट’ का वाकया नज़र आने लगा है। आलोचक क्रिकेट मैदान पर हुई कई घटनाओं का जिक्र करते हुए अक्सर यह सवाल खड़ा करते हैं कि क्या क्रिकेट अभी भी ‘जेंटलमेंस गेम’ यानी ‘भद्रजनों का खेल’ बना हुआ है?
हम आपको क्रिकेट मैदान पर खिलाड़ियों द्वारा किए गए कुछ ऐसे दिलचस्प और सम्मानजनक व्यवहार के बारे में बताएंगे, जिससे आपको भी यकीन करना पड़ेगा कि हां क्रिकेट को ऐसे ही भद्रजनों का खेल नहीं कहा जाता है। हम पिछले 40 वर्षों में क्रिकेट में कुछ खिलाड़ियों द्वारा इस खेल की बेहतरी और सम्मान बनाए रखने के लिए किए गए कारनामों का जिक्र करेंगे…
जब सर रिचर्ड हेडली ने दिया था ईमानदारी का परिचय: न्यूजीलैंड और आॅस्ट्रलिया के बीच 1985 के एक मैच की बात है, ब्रिसबेन में मैच हो रहा था और रिचर्ड हेडली ने दमदार बॉलिंग का नमूना पेश करते हुए आॅस्ट्रलियाई पारी के आठ विकेअ चटका लिए थे। वह टेस्ट मैच की एक पारी में सभी दस विकेट हासिल करने की दजलीज पर थे। रिचर्ड हेडली से पहले सिर्फ जिम लेकर ने क्रिकेट इतिहास में यह कारनामा किया था। आॅस्ट्रलिया के 9वें बल्लेबाज का हवा में खेला गया शॉट रिचर्ड हेडली के पास आया और उन्होंने अपने रिकॉर्ड की चिंता किए बगैर उस कैच को लपक लिया। हेडली चाहते तो वो कैच छोड़ भी सकते थे। लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया और आॅस्ट्रलियाई पारी का दसवां विकेट हासिल कर उस पारी में अपने विकेटों का आंकड़ा 9 कर दिया। रिचर्ड हेडली के पास व्यक्तिगत रिकॉर्ड बनाने का मौका था, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत रिकॉर्ड की बजाए ईमानदार क्रिकेट को तवज्जो दिया। रिचर्ड हेडली की इस ईमानदारी के लिए दर्शकों ने उन्हें ‘स्टैंडिंग ओवेशन’दिया था। बाद में स्पोर्ट्स फ्रैंक कीटिंग ने रिचर्ड हेडली के उस कैच को, ‘कैच आॅफ द सेंचुरी’ कहा था। वहीं, रिचर्ड हेडली के उस कैच ने वॉन ब्राउन को उनके टेस्ट करियर का एक मात्र विकेट दिलाया।
भारतीय क्रिकेट के ‘द वॉल’ राहुल द्रविड़ का सन्यास: राहुल द्रविड़ का पूरा क्रिकेट करियर ही खेल के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण का उदाहरण है। राहुल द्रविड़ ने भारतीय टीम को जब भी उनकी जिस रूप में जरूरत पड़ी उस रूप में अपनी सेवा दी। अपना पसंदीदा बल्लेबाजी क्रम छोड़कर ओपनिंग करने से लेकर विकेटकीपिंग करने तक द्रविड़ ने कभी भी खुद के व्यक्तिगत हित को देश और क्रिकेट के प्रति अपने समर्पण और ईमानदारी के बीच में नहीं आने दिया। राहुल दविड़ के अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास का फैसला ही यह बताने के लिए काफी है कि वो सच में क्रिकेट के जेंटलमैन खिलाड़ी थे। भारतीय टीम के खिलाड़ी इंग्लैंड और आॅस्ट्रलिया के दौरे पर रन बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, राहुल द्रविड़ ने अपनी बल्लेबाजी से भारतीय बैटिंग की लाज रखी थी। भारतीय बल्लेबाजों के खराब प्रदर्शन के बाद टीम में शामिल सीनियर खिलाड़ियों की आलोचना हो रही थी कि अब वे खेलने के काबिल नहीं है, राहुल द्रविड़ ने अच्छा प्रदर्शन करने के बावजुद क्रिकेट से संन्यास का फैसला किया। उन्होंने नए खिलाड़ियों के लिए टीम में स्थान छोड़ने का फैसला किया। उसके बाद उन्होंने भारतीय अंडर 19 टीम के कोच का पद स्वीकार किया और भारत में क्रिकेटरों की नई पीढ़ी तैयार करने का जिम्मा लिया।
जवागल श्रीनाथ ने कोटला में दिया कुंबले का साथ: जहां रिचर्ड हेडली ने कैच पकड़कर खुद को ही इतिहास रचने से रोक लिया था, वहीं, भारत के तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ ने साथी खिलाड़ी अनिल कुंबले को पाकिस्तान के विरुद्ध एक पारी में दस विकेट झटककर इतिहास रचने का मौका दिया था। फिरोजशाह कोटला में जब अनिल कुंबले ने पाकिस्तान की पारी के सभी दस विकेट चटकाए थे तो जवागल श्रीनाथ दूसरे छोर से उनके साथ दूसरे गेंदबाज थे।अनिल कुंबले को ‘परफेक्ट टेन’ बनाने देने के लिए श्रीनाथ ने अपने ओवर की सभी गेंदें आॅफ स्टंप से बाहर फेंकीं, जिससे बल्लेबाज के आउट होने का चांस न रहे। श्रीनाथ ने बाद में कहा था, ‘मैच के दौरान मेरे पास कोई यह कहने नहीं आया कि मुझे विकेट नहीं लेने के लिए गेंदबाजी करनी है। अनिल इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ा था और मैने ये फैसला खुद से किया कि मुझे विकेट नहीं लेना है।’
जब जैक्स कैलिस को आउट होने से बचाने के लिए दौड़ पड़े एबी डी विलियर्स: यह क्रिकेट के महान आॅलराउंडर्स में शुमार जैक्स कैलिस का आखिरी अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच था। वह अपने आखिरी टेस्ट मैच को यादगार बनाना चाहते थे और इसलिए बहुत संभलकर बल्लेबाजी कर रहे थे। तभी, एक माका ऐसा आया जब कैलिस रन लेने के लिए दौड़ पड़े और रन आउट होने के करीब ही थे। दूसरे छोर पर एबी डी विलियर्स अपनी क्रीज में सही सलामत खड़े थे। डी विलियर्स कैलिस को उनके आखिरी मैच में रन आउट नहीं होने देना चाहते थे और इसलिए वह खतरे वाले छोर की ओर दौड़ पड़े। हालांकि, वह रन आउट होने से बाल बाल बच गए और जैक्स कैलिस को भी उनके आखिरी मैच में रन आउट होने से बचा दिया। जैक्स केलिस ने अपने इस आखिरी मैच में शानदार शतक लगाया और साउथ अफ्रीका को जीत दिलाते हुए क्रिकेट को अलविदा कहा। कैलिस ने इस मैच में राहुल द्रविड़ को पछाड़ते हुए टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने वाले विश्व के तीसरे बल्लेबाज बने।
एडम गिलक्रिस्ट ने विश्वकप सेमिफाइनल में नहीं किया अंपायर के फैसले का इंतजार: यह आॅस्ट्रलिया और श्रीलंका के बीच विश्वकप का सेमिफाइनल मैच था, लिहाजा हर क्रिकेटर ऐसे मौके पर अच्छा प्रदर्शन करना चाहता है। पहले बैटिंग करते हुए आॅस्ट्रलिया का स्कोर 34/0 था। आॅस्ट्रलियाई पारी के पांचवें ओवर में अरविंद डिसिल्वा की एक गेंद को स्वीप करने के प्रयास में एडम गिलक्रिस्ट चूक गए और बैट का एज लग गया। अंपायर रूडी कोएर्टजन को एज का पता नहीं चला और उन्होंने श्रीलंकाई खिलाड़ियों की अपील ठुकरा दी। श्रीलंका के खिलाड़ी निराश थे, एडम गिलक्रिस्ट ने अंपायर के फैसले का इंतजारकिया और आउट नहीं दिए जाने के बाद खुद ही पैवेलियन का रुख कर लिया। गिलक्रिस्ट ने खेल भावना का परिचय देते हुए क्रिकेट को भद्रजनों का खेल कहे जाने का एक और कारण भी दिया।
