आईपीएल मैच फिक्सिंग के आरोप में बीसीसीआई द्वारा प्रतिबंधित क्रिकेटर एस श्रीसंत ने बोर्ड के आदेशों को अनसुना करते हुए इस महीने के आखिरी से फर्स्ट डिविजन क्रिकेट में खेलने का फैसला किया है। गौरतलब है कि पिछले महीने श्रीसंत ने स्कॉटलैंड में डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने के लिए बीसीसीआई को एनओसी देने के लिए पत्र लिखा था, जिसके जवाब में बोर्ड ने उन्हें एनओसी देने से इनकार करते हुए देश के अंदर या बाहर किसी भी प्रकार की क्रिकेटिंग एक्टिविटी में भाग लेने से साफ मना कर दिया था। अब 34 वर्षीय श्रीसंत बीसीसीआई के निर्देशों को धता बताते हुए 19 फरवरी से शुरू हो रहे दो दिवसीय फर्स्ट डिविजन मैच में एर्नाकुलम क्रिकेट क्लब का प्रतिनिधित्व करेंगे।
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में एस श्रीसंत ने कहा, ‘जब बीसीसीआई की ओर से मेरे उपर क्रिकेट खेलने से आजीवन प्रतिबंध लगाने के संबंध में कोई आधिकारिक पत्र जारी नहीं किया गया है तो फिर अंपायर क्यों मना कर रहे हैं? मैं जब तिहाड़ जेल में बंद था तो बीसीसीआई की तरफ से सिर्फ सस्पेंशन लेटर मुझे भेजा गया था और उसकी वैध्यता मात्र 90 दिनों की होती है। बीसीसीआई ने मेरे उपर आजीवन प्रतिबंध के बारे में सिर्फ मीडिया से बात की है, कोई आधिकारिक पत्र नहीं जारी किया है। मैं खुद मुर्ख हूं जो इतने दिन से क्रिकेट नहीं खेल रहा था। मेरे साथ जैसे व्यवहार किया गया वैसा व्यवहार किसी आतंकवादी के साथ भी नहीं किया जाता।’
गौरतलब है कि भारतीय क्रिकेट में स्थान बना चुके एस श्रीसंत के करियर में उस वक्त भूचाल आ गया था, जब उनके उपर 2013 में आईपीएल के 6वें संस्करण में स्पॉट फिक्सिंग का आरोप लगा था। हालांकि, सितंबर 2015 में दिल्ली के एक कोर्ट ने श्रीसंत को इस मामले में बरी कर दिया था। लेकिन, बीसीसीआई ने श्रीसंत को कोई राहत ना देते हुए उनके क्रिकेटिंग एक्टिविटी पर प्रतिबंध कायम रखा है। एस श्रीसंत ने बीसीसीआई के इस रुख की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि कोर्ट द्वारा मुझे दोषी करार नहीं दिए जाने के बावजूद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड उनके साथ खराब व्यवहार कर रहा है। अब यह देखना होगा की श्रीसंत के इस आरोप के बाद बीसीसीआई उनके लाइफ बैन पर कोई आधिकारिक पत्र जारी करता है या नहीं।
