मगंलवार को रणजी ट्रॉफी क्वार्टरफाइल में एक ऐसा खिलाड़ी कर्नाटक के खिलाफ राजस्थान की तरफ से बोलिंग अटैक का नेतृत्व कर रहा है, जो जिंदगी के कई थपेड़े खाते हुए यहां पहुंचा है। गरीबी का आलम यह था कि पहला प्रैक्‍टिस मैच खेलने का मौका मिला तो सफेद ड्रेस खरीदने के पैसे नहीं थे। पर प्रतिभा और जज्‍बे की कोई कमी नहीं थी। पिता का पायजामा पहनकर क्रिकेट ग्राउंड पर पहुंच गया। साथी खिलाड़ी खूब हंसे, पर जानदार खेल से सबका मुंह बंद कर दिया। सेलेक्‍ट हो गए। तब से क्रिकेट का सफर आगे बढ़ता रहा। लेकिन, इससे पहले का जीवन बड़ा ही संघर्ष भरा था। रोज के 10 रुपए कमाने के लिए गराज में काम किया, घर-घर जाकर अखबार बेचा, कपड़ों की रेड़ी लगाई, किराए के पैसे नहीं होते थे तो बस की छत पर बैठ कर मैच खेलने जाते थे। जोश, प्रतिभा और जुनून से गरीबी को मात देने वाले यह क्रिकेटर हैं राजस्थान रणजी टीम के बाएं हाथ के मध्यम गति तेज गेंदबाज तनवीर उल हक (27)। तनवीर रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में अभी तक 47 विकेट अपने नाम कर चुके हैं। बोलिंग अटैक में वह आज टीम के अग्रणी गेंदबाज हैं।

क्रिकेट में भी तनवीर को लगातार संघर्ष झेलना पड़ा है। 2015 में रणजी में पदार्पण के बाद भी उन्‍हें खेलने का लंबा स्पेल नहीं मिला। चूंकि यहां उनकी प्रतिस्पर्धा दीपक चहर, पंकज सिंह, नाथू सिंह चौधरी और खलील अहमद जैसे खिलाड़ियों से रही। ये सभी ऐसे तेज गेंदबाज हैं जिन्हें भारतीय टीम के खिलाड़ियों के रूप में देखा जाता है। खलील अहमद और दीपक भारतीय टीम के पर्दापण कर चुके हैं जबकि पंकज पुडुचेरी शिफ्ट हो गए। इस तरह तनवीर को खुद को साबित करने के लिए एक लंबा समय मिला। तनवीर कहते हैं, ‘सब कुछ ठीक चल रहा है क्योंकि मुझे इतने सारे गेम्स खेलने का मौका मिला। मुझे एक या दो मैचों में खिलाया जाता था और बैंच पर बिठा दिया जाता।’

आज चीजें बेहतर तो हो रही हैं, पर वैसे नहीं जैसे तनवीर चाहते हैं या फिर अपने साथी खिलाड़ियों के साथ होता देख रहे हैं। कई घरेलू क्रिकेटर आईपीएल खेल कर अच्‍छा पैसा कमा रहे हैं। जाहिर है, तनवीर की भी ऐसी ख्‍वाहिश है। कुछ साल पहले वह मुंबई इंडियंस के लिए ट्रायल पर गए थे। उन्‍हें बताया गया कि टी20 सैयद मुश्‍ताक अली ट्रॉफी में उनके प्रदर्शन के आधार पर फैसला लिया जाएगा। पर उन्‍हें नहीं लिया गया। वह कहते हैं, ”मुझे नहीं चुना गया, मैं क्‍या कर सकता हूं? क्‍या आप किसी को जानते हैं? कुछ जॉब हो तो बोलना।”