बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने दिलीप वेंगसरकर के उन दावों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया कि इस पूर्व भारतीय कप्तान को चयनसमिति के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए वह जिम्मेदार थे। श्रीनिवासन ने इन आरोपों को‘ पूरी तरह से गलत, प्रेरित और निराधार’ बताया। दरअसल पूर्व में वेंगसरकर ने दावा किया था कि साल 2008 में तमिलनाडु के घरेलू स्तर पर शीर्ष बल्लेबाज एस बद्रीनाथ पर विराट कोहली को तरजीह देने के कारण उन्होंने चयनसमिति के अध्यक्ष का पद गंवा दिया था। इसके लिए बीसीसीआई के तत्कालीन कोषाध्यक्ष एन श्रीनिवासन जिम्मेदार थे। श्रीनिवासन ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘वह किस की तरफ से कह रहे हैं। इसके पीछे का मंतव्य क्या है। यह जो भी है, यह सच्चाई नहीं है। जब एक क्रिकेटर इस तरह की बात करता है तो यह अच्छा नहीं है। उनकी टिप्पणी है कि वह पद पर नहीं बने रहे, इसके लिए मैंने हस्तक्षेप किया, कतई सच नहीं है। अब इस बात को कहने का मतलब क्या है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं चयन मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता था। वह किस हस्तक्षेप की बात कर रहे हैं। वेंगसरकर ने साल 2008 में चयनसमिति के अध्यक्ष का पद इसलिए गंवाया था क्योंकि वह मुंबई क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष पद पर बने रहना चाहते थे।’
श्रीनिवासन ने आगे कहा कि उनकी वेंगसरकर से कोई दुश्मनी नहीं है। वो तो खुद मेरे द्वारा शुरू की गई योजनाओं से लाभ लेने वालों में से एक थे। साल 1994 में इंडिया सीमेंट ने उनकी मैच फीस में एक लाख रुपए का योगदान दिया था। श्रीनिवासन ने वेंगसरकर को यह भी याद दिलाया जब उन्होंने ऐसे समय में पूर्व कप्तान की मदद की थी तब पूर्व खिलाड़ियों के लिए पेंशन जैसी योजनाएं नहीं थीं।
उन्होंने कहा कि उन्हें याद है कि दादर यूनियन क्लब के बुनियादी ढांचे की मरम्मत के लिए बड़ी राशि उन्हीं के अनुरोध पर दी गई थी। वेंगसरकर के आरोपों पर श्रीनिवासन ने कहा कि मैंने उन्हें एक खिलाड़ी की रूप में पूरा सम्मान दिया है। हमने उन्हें नेशनल हीरो के रूप में माना। मुझे खेद है अगर वो इस तरह से बात करते हैं।
