मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के अध्यक्ष शरद पवार छह महीने में अपना पद छोड़ेंगे क्योंकि एमसीए ने बीसीसीआई और इसकी मान्यता प्राप्त इकाइयों में आमूलचूल बदलाव के उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकृति दे दी है। रविवार (24 जुलाई) को यहां प्रबंधन समिति की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र के 75 साल के नेता पवार ने कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार कर लिया है जो क्रिकेट प्रशासकों की उम्र को 70 साल तक सीमित करता है। पवार आईसीसी और बीसीसीआई दोनों के अध्यक्ष रहे हैं। पवार ने हालांकि कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने के लिए एमसीए के पास छह महीने का समय है जिसका मतलब हुआ कि उन्हें तुरंत अपना पद नहीं छोड़ना होगा। उन्होंने कहा, ‘मैं न्यायपालिका का सम्मान करता हूं और मैं खुश हूं और क्रिकेट प्रशासन से संन्यास के लिए तैयार हूं। जैसा कि आपको पता है कि बीसीसीआई (अध्यक्ष के रूप में) और एमसीए में मेरे रहने के दौरान क्रिकेट के समर्थन में कई चीजें हुई।’
एमसीए प्रमुख ने कहा कि राज्य संघ अब उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप अपने संविधान को दोबारा तैयार करने की प्रक्रिया में है। पवार ने कहा, ‘हमने लोढ़ा समिति की सिफारिशों और उच्चतम न्यायालय के फैसले पर चर्चा की और सर्वसम्मति से उच्चतम न्यायालय की सभी सिफारिशों को स्वीकृत कर लिया।’ उन्होंने कहा, ‘‘हम सबसे पहले अपना संविधान दोबारा तैयार करेंगे, प्रबंधन समिति से इसके मसौदे को स्वीकृत कराएंगे और इसके बाद संशोधित संविधान को पारित कराने के लिए आम सभा की विशेष बैठक बुलाएंगे। हमारे पास छह महीने का समय है।’
उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद 70 बरस से अधिक की उम्र के कारण एमसीए अध्यक्ष पद छोड़ने को बाध्य पवार ने कहा कि एमसीए को सिर्फ एक राज्य-एक मत के मामले में बीसीसीआई से स्पष्टीकरण चाहिए। उन्होंने कहा, ‘एम एक राज्य-एक मत के फैसले का समर्थन करते हैं। लेकिन महाराष्ट्र राज्य में तीन संघ- मुंबई क्रिकेट संघ, महाराष्ट्र क्रिकेट संघ और विदर्भ क्रिकेट संघ हैं। फैसले के अनुसार हमें बारी बारी से बीसीसीआई में प्रतिनिधित्व मिलेगा।’
पवार ने कहा, ‘जब मुंबई को प्रतिनिधित्व मिलेगा तो हमारा अधिकार क्षेत्र पूरे महाराष्ट्र पर होगा और सिर्फ मुंबई और नवी मुंबई और ठाणे जैसे इसके आसपास के क्षेत्रों तक सीमित नहीं होगा जैसा कि अभी है। तब हमें अपनी टीमों (रणजी और अन्य टूर्नामेंटों के लिए) में बाकी महाराष्ट्र के खिलाड़ियों को भी शामिल करना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘जब महाराष्ट्र की बारी होगी तो वे मुंबई के खिलाड़ियों को शामिल कर सकते हैं। हमें इस बिंदू पर बीसीसीआई से स्पष्टीकरण चाहिए जो ऐसा ही न्यायमूर्ति लोढा समिति से कह सकता है।’

