पुणे की गलियों से भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने वाले केदार जाधव का गेम बाकी खिलाड़ियों से थोड़ा अलग है। पुणे टेनिस-बॉल क्रिकेट सर्किट में सालों तक खेलने के बाद जाधव भारतीय टीम से जुड़े। अब जाधव भारतीय टीम में अपनी गली क्रिकेट की स्मार्टनेस का उपयोग करते हैं। आज भले ही जाधव भारतीय टीम का अहम हिस्सा हों लेकिन वे पुणे की लोकल टीम मुलशी पुणे वाइल्ड, या यरवदा और वारजे में शहर के दूर-दराज के मैदानों में खेला जाने वाला टेनिस-बॉल क्रिकेट टूर्नामेंट को कभी नहीं भूल सकते। इन टूर्नामेंटों ने जाधव के शुरुआती खेल को आकार दिया और उनके दिमाग को ऐसा बनाया कि दबाव के वक़्त वे परिस्थितियों का सामना कर सके।
मैच के दौरान जाधव को स्लेड्जिंग कर आउट करना बेवकूफी होगी। क्योंकि वे 34 साल तक पुणे की अशिष्टता के बीच खेले हैं। टेनिस बॉल क्रिकेट में ट्रोल होना आम बात है। जाधव उस दौरान ये सब झेल चुके हैं अब उन्हें स्लेड्जिंग से कोई फर्क नहीं पड़ता। मुलशी में खेले जाने वाले क्रिकेट मैच खिलाड़ियों लिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का स्थान था। उस छेत्र के छोटे राजनेता 10-ओवर टेनिस-बॉल चैंपियनशिप की घोषणा करते थे। इन टूर्नामेंटों में खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखने का मौका मिलता था। टूर्नामेंट में शहर के लगभग सभी अच्छे खिलाड़ी भाग लेते थे।
वहां अजीब पिच थे और टेनिस-बॉल क्रिकेट ज्यादातर लोकल गेंदबाज खेलते थे जिनका एक एक्शन नहीं होता था। हर गेंद के साथ उनका एक्शन बदल जाता था। वे अजीब तरीके से स्क्वायर-आर्म गेंदबाजी करते थे। इस गेंदबाजों का सामना करना आसान नहीं होता था। जाधव ने यहां इन गेंदबाजों का सामना किया और इन्हें खेलने का समाधान ढूंढा। जाधव ने यहां जो ट्रिक सीखीं शायद ये सब उन्हें लैदर बॉल कैंप में सीखने को नहीं मिलता।
जाधव अपनी ऑफ स्पिन को लेकर काफी आत्ममुग्ध हैं। उन्होंने एक बार कहा था “जिसको कोइ बोलिंग नहीं आती वो ऑफ स्पिन डालता है।” हरभजन सिंह के साथ एक वेब शो ‘व्हाट द डक’ पर उन्होंने बताया कि वह कैसे अब इस से ऊब गए है। उनकी गेंदबाजी को 10वे नंबर का बल्लेबाज भी मार सकता है इसी लिए उन्होंने ऐसी डिलीवरी को विकसित किया जो सीधा स्टंप तक पहुंचे। गेंबाजी के अलावा जाधव अच्छे बल्लेबाज और कीपर भी हैं। भारतीय टीम में आने से पहले उन्हें एक विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में देखा जाता था। लेकिन अब वे एक आलराउंडर के रूप में टीम में खेल रहे हैं।