दिल्ली उच्च न्यायालय से नियुक्त पर्यवेक्षक मुकुल मुदगल ने इस साल आईपीएल के दौरान दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ के कामकाज को लेकर कड़ी रिपोर्ट दी है और उन्होंने डीडीसीए के कुछ सीनियर पदाधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी टिप्पणियां की हैं। डीडीसीए के कार्यों पर अपनी 27 पेज की रिपोर्ट में मुदगल ने लिखा है, ‘1883 में गठित होने और वर्ष 1928 में मान्यता मिलने तथा फिरोजशाह कोटला मैदान पर कई टेस्ट और अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी करने के बावजूद डीडीसीए को मिलने वाला कोई भी मैच डीडीसीए के पदाधिकारियों की आखिरी क्षणों की तैयारियों और अनुमति हासिल करने के लिए जाना जाता है।’
मुदगल ने हालांकि सबसे कड़ी टिप्पणी बीसीसीआई और डीडीसीए के उपाध्यक्ष सी के खन्ना के लिए की है। पेज नंबर 14 और 15 पर ‘डीडीसीए के विभिन्न पदाधिकारियों की भूमिका’ शीर्षक के तहत पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने खन्ना के बारे में अपनी टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा है, ‘डीडीसीए प्रशासन को प्रभावित करने में सबसे आगे सीके खन्ना हैं जो कई वर्षों से डीडीसीए के उपाध्यक्ष और बीसीसीआई के भी उपाध्यक्ष हैं भले ही वह मध्य क्षेत्र से बने हैं। बड़ी संख्या में छद्म लोगों पर उनका नियंत्रण है और इस तरह से उनकी डीडीसीए पर मजबूत पकड़ है। वह अपनी जिम्मेदारी से बचने और किसी अन्य की उपलब्धियों का श्रेय लेने में माहिर हैं। उनके सबसे अधिक रूचि कम्पलिमेंट्री के जरिए छद्म हितों को संतुष्ट करना, पुरस्कार वितरण के समय लगातार मंच पर पहुंचना है। वह फोटो खिंचवाने का कोई भी मौका नहीं चूकना चाहते हैं।’
मुदगल ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की भी जांच की थी। उन्होंने खन्ना के संभावित हितों के टकराव की तरफ भी इशारा किया है। मुदगल ने लिखा है, ‘उन्होंने डीडीसीए में विभिन्न पदों पर अपने रिश्तेदारों को रखा है। उदाहरण के लिए अनिल खन्ना (महासचिव, उनके चचेरे भाई हैं), रवि खन्ना, संरक्षक (भाई), विवेक गुप्ता, संयुक्त सचिव (पत्नी के चचेरे भाई)। यह हितों के टकराव का सीधा मामला बनता है।’
उन्होंने आगे लिखा है, ‘सीके खन्ना एक ऐसा व्यक्ति है जिनकी अप्रत्यक्ष कार्रवाई और साथ ही उनसे नियंत्रित सहायकों ने डीडीसीए की प्रतिष्ठा को गिराया है। दिल्ली जिसने वर्तमान टेस्ट कप्तान सहित भारतीय क्रिकेट टीम को कई महान क्रिकेटर दिये है उसकी रणजी ट्रॉफी में स्थिति खराब है। जो भी क्रिकेट के हित और बेहतरी के लिए काम करना चाहते हैं उनको सीके खन्ना के प्रभाव से हर स्तर पर बाधित किया जाता है। जब तक डीडीसीए के कामकाज पर सीके खन्ना का नियंत्रण रहेगा तब तक उसकी खोयी प्रतिष्ठा वापस पाना संभव नहीं है।’
मुदगल ने आखिर में लिखा है कि बीसीसीआई को डीडीसीए की जांच करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘डीडीसीए का पूर्णकालिक सीईओ होना चहिए जो डीडीसीए में सुचारू कामकाज के लिए स्वतंत्र रूप से उसके प्रशासनिक और वित्तीय पहुलुओं को देखे। बीसीसीआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डीडीसीए के कामकाज में पारदर्शिता हो क्योंकि यह सार्वजनिक संस्था है जिसकी जिम्मेदारी दिल्ली में क्रिकेट को बढ़ावा देना है।’