पुलिस ने शनिवार (8 अप्रैल) की रात गोधरा तहसील के महलोल गांव में भाजपा के पंचमहल से सांसद प्रभातसिंह चौहान के बेटे के घर पर छापा मारकर आईपीएल मैचों पर कथित रूप से सट्टा लगा रहे तीन लोगों को गिरफ्तार किया। इसके बाद चौहान के बेटे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। पुलिस को छापेमारी में कुछ मोबाइल फोन, एक एलसीडी टीवी सेट, एक लैपटाप मिले जिनकी कुल राशि 1.13 लाख रूपये है। सांसद का बेटा प्रवीण सिंह ने चौहान भाजपा की टिकट पर गोधरा सीट से 2012 विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गये थे। पिछले दिसंबर में वह कांग्रेस में शामिल हो गये थे। स्थानीय अपराध शाखा के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि प्रवीण सिंह और उनके सांसद पिता अपने पैतृक गांव में अलग अलग रहते हैं और सांसद का इस घटना से कोई लेना देना नहीं है। एलसीबी पुलिस निरीक्षक डीजे चावडा ने कहा, ‘‘स्थानीय अपराध शाखा के अधिकारियों ने भाजपा सांसद प्रभातसिंह चौहान के बेटे कांगे्रस सदस्य प्रवीण सिंह चौहान के घर पर छापा मारा और तीन लोगों को आईपीएल मैचों की कथित रूप से सटटेबाजी करते हुए गिरफ्तार किया। हमने आज प्राथमिकी दर्ज की।’’ प्रवीण सिंह उस समय घर में मौजूद नहीं थे जब छापा मारा गया। चावड़ा ने कहा कि हालांकि सट्टेबाजी के लिए प्रयुक्त परिसर उनका है इसलिए वह इस मामले में आरोपी हैं। हमने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और उनकी भूमिका की जांच शुरू हुई है।

जैसे-जैसे इस खेल को और पारदर्शी और भ्रष्टाचार रहित बनाने के लिए आयोजक अल्यधिक टेक्नॉल्जी के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं, उनके कदम से कदम मिलाते हुए सट्टेबाज भी सट्टा लगाने का नया नया तरीका इजाद करने में लगे हैं।

पुलिस सूत्रों के हवाले से दी गई जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के कारण देश में उपजी नगदी की कमी की वजह से सट्टा लगाने वाले प्रॉपर्टी और गोल्ड को दांव पर लगा रहे हैं। आईपीएल के दसवें संस्करण में एक अनुमान के मुताबिक कुल 2000 करोड़ की राशि दांव पर लगने की उम्मीद है। सट्टेबाजों की पहली पसंद आरसीबी है, वहीं दूसरे नंबर पर सटोरियों ने राइजिंग पुणे सुपरजाएंट को रखा है। मुंबइ्र इंडियंस सटोरियों की तीसरी पसंद है वहीं गुजरात लायंस चौथे नंबर पर है।

चूंकि दुनिया के कुछ देशों में बेटिंग यानी सट्टेबाजी को कानूनी स्वीकृति प्राप्त है, अत: उन देशों में सट्टेबाज ‘बेटफेयर’ और ‘बेट365’ जैसे बेटिंग एप्स के जरिए सट्टा लगाते हैं। भारत में सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता नहीं प्राप्त है और इसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में गिना जाता है, अत: सट्टेबाज इस साल आईपीएल में पुलिस से बचने के लिए 35 से अधिक बेटिंग एप्स का सहारा ले सकते हैं।