भारतीय क्रिकेट टीम को एक ऐसा खिलाड़ी मिल गया है जो गेंद के साथ-साथ बल्ले से भी धमाल मचाने में माहिर है। हार्दिक पांड्या, वो नाम है है जिसने बेहद कम समय में ही खुद को स्थापित कर लिया है। अभी पिछले महीने की ही तो बात है, चैम्पियंस ट्रॉफी 2017 का फाइनल था। पाकिस्तान के खिलाफ दिग्गज बल्लेबाजों की नहीं चली, मगर जैसे ही पांड्या मैदान पर आए, अचानक से भारतीय खेमे में उम्मीद जग गई थी। लगातार तीन छक्के जड़कर उन्होंने दिखा दिया था कि वे मैच का रुख बदलने की पूरी क्षमता रखते हैं। हालांकि टीम इंडिया बड़े अंतर से मैच हारी, मगर पांड्या ने दिल जीत लिया था। अब पांड्या टीम इंडिया में उस भूमिका में आना चाहते हैं, जिसे अब तक पूर्व कप्तान एमएस धोनी निभाते आए हैं, एक मैच फिनिशर की। स्पोर्ट्सकीड़ा की रिपोर्ट के अनुसार, पांड्या ने कहा, ”मुझे लगता है कि कुछ भी कर गुजरने का जज्बा होना चाहिए। मैं अपने खेल को, खुद को देखता हूं, परिस्थितियां देखता हूं और उसी हिसाब से खेलता हूं। मैं खुद को एक तरह का खिलाड़ी नहीं मानता। मुझे लगता है कि मुझे स्कोरबोर्ड देखकर उसके हिसाब से खेलना चाहिए। मैं इसी तरह क्रिकेट सीखूंगा और उसी तरह मैं ये तय करूंगा कि मैं गेम फिनिश करूं।”
I believe I can fly! @hardikpandya7 #WIvIND pic.twitter.com/fc1tqVjD59
— BCCI (@BCCI) July 1, 2017
पांड्या ने कहा, ”लोग मुझे छक्के जड़ने के लिए जानते हैं, मगर मैंने वैसी (कड़ी मेहनत वाली) पारियां भी खेली हैं। अपनी पूरी जिंदगी, मैंने कई बार ऐसे बैटिंग की जिसमें मैं बाहर जाकर पहली गेंद से ही मारना शुरू कर देता था। पिछले मैच में, हालात ऐसे थे कि मुझे सिंगल्स लेकर खेलना था, और मैंने वही किया। मैं आउट हो गया, मगर मेरा इरादा मैच खत्म करके वापस लौटने का था।”
जब पांड्या खुद कहते हैं कि वे मैच फिनिशर की भूमिका में आना चाहते हैं तो सवाल ये उठता है कि क्या वे अपने समय के सर्वेश्रेष्ठ फिनिशर्स में से एक महेंद्र सिंह धोनी की जगह लेंगे?
एमएस धोनी पिछले कुछ महीनों से उस तरह गेम फिनिश नहीं कर पा रहे हैं, जिसके लिए उन्हें जाना जाता था। वर्ल्ड कप 2011 में श्रीलंका के खिलाफ लगाया गया उनका विजयी छक्का कौन भूल सकता है, मगर वह अब गुजरे दिनों की बात है।

