संदीप भूषण
मेरठ के बल्लों की फिर होगी बल्ले-बल्ले
अगर आप क्रिकेट में छक्के देखने के लिए ही मैदान पर या टीवी सेट तक पहुंचते हैं तो यह आपके लिए शायद बुरी खबर हो सकती है। अक्तूबर माह से क्रिकेट में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इस बदलाव से सिर्फ दर्शक ही नहीं कई खिलाड़ी भी प्रभावित होंगे। दरअसल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद क्रिकेट बल्ले को लेकर नया नियम लागू करने जा रही है। इसके तहत बल्लों की नीचे से मोटाई कम हो जाएगी। लिहाजा हल्के हाथों से या यों कहें फ्लिक कर गेंद को सीमा रेखा से बाहर पहुंचाना काफी हद तक मुश्किल हो जाएगा। इस नियम के लागू होने के बाद दुनिया के कई धुआंधार बल्लेबाजों को अपनी तकनीक बदलनी पड़ सकती है। मुमकिन है महेंद्र सिंह धोनी हेलिकॉप्टर शॉट ही न लगा पाएं। इससे न सिर्फ गेंदबाजों की बल्ले-बल्ले होगी, बल्कि क्रिकेट बल्लों के गढ़ मेरठ के निर्माताओं की भी बल्ले-बल्ले हो जाएगी।
मेरठ के कारोबारी हैं खुश
आइसीसी के बल्ले के आकार में बदलाव के नियम से मेरठ के कारोबारी काफी खुश हैं। सनद रहे कि मेरठ भारत ही नहीं दुनिया में भी खेल के सामान बनाने के लिए जाना जाता है। भारतीय खिलाड़ियों के अलावा विदेशी खिलाड़ी भी यहां के बने बल्लों को काफी पसंद करते हैं। बल्ले और गेंद के बीच संतुलन बनाने के लिए लिया गया यह फैसला उत्तर प्रदेश के मेरठ में बल्ले बनाने वाली कंपनियों को खूब रास आ रहा है। यहां स्थित खेल का सामान बनाने वाली एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी का कहना है कि आइसीसी के नियमों से हमें काफी राहत मिली है। कंपनी से जुड़े एक जानकार ने बताया कि इससे पहले कई बल्लेबाज चाहते थे कि उनके बल्ले के ‘स्वीट स्पॉट’ पर मोटाई 40 मिलीमीटर से ज्यादा हो और वजन में हल्का भी हो। इससे हमें काफी परेशानी होती थी। मेरठ के साथ ही पंजाब का जलंधर भी खेल का सामान बनाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने बताया कि मेरठ में बल्ले हाथ से बनाए जाते हैं जिसके कारण जब कोई बल्लेबाज हल्का और मोटी ब्लेड वाले बल्ले की मांग करता है तो यह हमारे लिए परेशानी का सबब बनता है। उन्होंने कहा कि 40 मिलीमीटर से ज्यादा मोटाई वाले बल्ले को तराशना काफी मुश्किल काम होता था। इससे यहां के बल्लों की बिक्री कम हो गई थी। सभी मशीन से तराशे गए बल्लों का इस्तेमाल करने लगे थे। लेकिन नए नियम से जिस तरह गेंदबाजों की किस्मत बदल जाएगी, उसी तरह मेरठ के बल्लों को संजीवनी मिल जाएगी।
विदेशी ब्रांड भी बनवाते हैं मेरठ में बल्ला
बल्ला बनाने वाली यहां की एक अन्य अंतरराष्ट्रीय कंपनी के ब्रांड और विक्रय को देखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि 50 फीसद बल्ले नामी विदेशी कंपनियों के लिए ही बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी के बने बल्लों से सुनील गावस्कर, अजहरुद्दीन, राहुल द्रविड़ और वीरेंद्र सहवाग तक खेल चुके हैं।
क्या है नियम एक अक्तूबर 2017 से लागू हो रहे नए नियम के मुताबिक जिन बल्लेबाजों के बल्ले का निचला हिस्सा 40 मिलीमीटर से ज्यादा मोटा होगा उन्हें अपने बल्ले बदलने होंगे। एमसीसी की समिति के मुताबिक बल्ले के ‘स्वीट स्पॉट’ पर चौड़ाई 65 मिलीमीटर और मोटाई 40 मिलीमीटर होनी चाहिए। वर्तमान में बल्ले के आकार-प्रकार के नियमों में ढील थी जिससे बल्लेबाज ‘स्वीट स्पॉट’ पर बल्ले की मोटाई लगभग 40 से 45 मिलीमीटर के बीच रखते थे। इससे उन्हें शॉट लगाने में आसानी होती थी।
गेंदबाजों को फायदा
क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव के बाद से क्रिकेट में गेंदबाजों के पास भी बराबर का मौका होगा। इससे पहले टी-20 जैसे सीमित ओवर के खेल में बल्लेबाज बल्ले का फायदा उठाकर गेंदबाजों को धराशायी कर देते थे। बल्ले का ब्लेड (किनारा) मोटा होने के कारण किसी भी तरह के प्रहार से गेंद को आसानी से सीमा रेखा के बाहर पहुंचाया जा सकता था। साथ ही कई का मानना है कि अब बल्लेबाज भी तकनीक सुधार पर ध्यान देंगे।
धोनी होंगे प्रभावित
आइसीसी के नए नियमों के बाद दुनिया के बेहतरीन मैच फिनिशरों में शुमार महेंद्र सिंह धोनी की बल्लेबाजी प्रभावित हो सकती है। बड़े शॉट के लिए मशहूर धोनी आमतौर पर 40 मिलीमीटर से ज्यादा मोटाई वाले बल्ले से खेलना पसंद करते हैं। यही कारण है कि उनके चर्चित हेलिकॉप्टर शॉट यार्कर गेंद को भी आसानी से सीमा रेखा के बाहर पहुंचा देते हैं। धोनी के साथ-साथ कैरेबियाई धाकड़ बल्लेबाज क्रिस गेल और आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज डेविड वॉर्नर को भी इस नए नियम से परेशानी हो सकती है।
’बल्ले के आकार-प्रकार में बदलाव
’एक अक्तूबर से होगा प्रभावी नया नियम
’गायब होगा धोनी का हेलिकॉप्टर शॉट!
’बल्ले के आकार-प्रकार में बदलाव
’एक अक्तूबर से होगा प्रभावी नया नियम
’गायब होगा धोनी का हेलिकॉप्टर शॉट!