भारतीय क्रिकेट में भी वह दौर आया जैसा कि हर टीम के साथ होता है, जब वर्षों तक टीम के स्तंभ रहे वरिष्ठ खिलाड़ियों ने क्रिकेट से संन्यास का फैसला किया। टीम इंडिया में अचानक एक बहुत बड़ा गैप आ गया और वो गैप इतना बड़ा था कि उसे भर पाना इतना आसान नहीं था। सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ ये चारों क्रिकेट में बहुत बड़े नाम हैं। हालांकि, समय के साथ सब संभल जाता है। ऐसा ही भारतीय टीम के साथ भी हुआ। इन चारों खिलाड़ियों के कद का खिलाड़ी बनने में पूरा जीवन समर्पित करना पड़ता है। हम इन चारों से किसी और खिलाड़ी की तुलना तो नहीं कर सकते, हां किसी खिलाड़ी में इनका अक्स जरूर ढूंढ सकते हैं। वर्तमान भारतीय टीम में विराट कोहली को सचिन तेंदुलकर के रिप्लेसमेंट के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, राहुल द्रविड़ के रिप्लेसमेंट के रूप में चेतेश्वर पुजारा का नाम गाहे बगाहे लिया जाता है।
25 जनवरी 1988 को गुजरात के राजकोट शहर में जन्मे चतेश्वर पुजारा का आज 29वां जन्मदिन है। पुजारा भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के अहम सदस्य बन चुके हैं। कमाल की बैटिंग तकनीक और शांत स्वभाव उन्हें टीम में अलग पहचान दिलाती है। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि पुजारा ने यहां तक पहुंचने के लिए कितना संघर्ष किया है। चेतेश्वर पुजारा के करियर में उनकी मां रीना का बड़ा योगदान रहा है। लेकिन दुर्भाग्यवश वो पुजारा की कामयाबी नहीं देख पाईं। पुजारा 2005 में अंडर-19 का मैच खेलने निकले थे तब उन्होंने अपनी मां से फोन पर बात की। उन्होंने ने मां से कहा कि वे पिता को बोल दें कि वे बस मैच के लिए निकल रहे हैं, और जब लौटें तो पिता उन्हें लेने आ जाएं। अगले दिन जब पुजारा मैच के लिए स्टेडियम पहुंचे उनकी मां की मौत की खबर आई। ये 17 साल के पुजारा के लिए बहुत बड़ा सदमा था।
मां की मृत्यु के बाद चेतेश्वर पुजारा को क्रिकेटर बनाने में उनके पिता अरविंद पुजारा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उच्च स्तर का क्रिकेट खेल चुके अरविंद की अनुशासित कोचिंग ने चेतेश्वर को धैर्यवान बल्लेबाज बनाया। पुजारा ने एक बार कहा था कि मां मुझे देश के लिए खेलते देखना चाहती थीं। मेरी मां ने जहां इस बात का ध्यान रखा कि मैं एक अच्छा इंसान बनूं, वहीं मेरे पिता ने मुझे खिलाड़ी बनाने की जिम्मेदारी संभाली। पुजारा ने कहा कि मेरे पिता बेहद अनुशासित और सख्त कोच हैं, हम आज भी फोन पर खेल के तकनीकी पक्षों की चर्चा करते हैं। पुजारा ने अपनी मां को सपने को जिया और घरेलू क्रिकेट में अपने परफॉर्मेंस के दम पर उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया।
धीरे धीरे पुजारा ने टीम इंडिया में अपना कद एक बड़े बल्लेबाज का बना लिया। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो 29 साल के पुजारा की भारतीय टेस्ट टीम में भूमिका वही है जो एक समय राहुल द्रविड़ की हुआ करती थी। आप उन्हें टीम इंडिया की ‘दूसरी दीवार’ कह सकते हैं। राजकोट के इस बल्लेबाज ने अब तक 43 टेस्ट मैच की 72 पारियों में 49.33 की औसत से 3256 रन बनाए हैं। जिसमें 10 शतक शामिल हैं। उन्होंने 11 अर्धशतकीय पारियां भी खेली हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर के विकेटों पर जहां गेंद न केवल काफी उछाल लेती है बल्कि स्विंग भी होती है, चेतेश्वर पुजारा पहले क्रम पर बल्लेबाजी के लिए आते हैं, जैसा राहुल द्रविड़ करते थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय मैदान पर होने वाली सीरीज के ठीक पहले पुजारा ने ईरानी ट्रॉफी में नाबाद शतक लगाकर अच्छे फॉर्म में होने का संकेत दिया है।
