जिंग बेल्स आईसीसी वर्ल्ड कप 2019 में एक बड़ी मिस्ट्री बन गई है, जसकी वजह से कई खिलाड़ियों को टूर्नामेंट में निराशा का सामना करना पड़ा है। ऐसा एक-दो बार नहीं बल्कि पांच बार हो चुका है जब गेंदबाजों को जिंग बेल्स के चलते निराशा हाथ लगी हो। रविवार (9 जून, 2019) को ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच खेले गए मैच के दौरान पांचवी बार ऐसी घटना घटी। क्रिकेट से जुड़े हर किसी के होठों पर सवाल है क्या गेंद के लिए हाईटेक बेल्स बहुत भारी हैं?

वर्ल्ड कप के शुरुआती दस दिनों में ऐसा पांचवी बार हुआ जब गेंद स्टंप को लगी मगर बेल्स नहीं गिरी और बल्लेबाज को जीवनदान मिल गया। रविवार के मैच में ऐसा जीवनदान पाने वाले बल्लेबाज डेविन वॉर्नर थे जब जिंग बेल्स (जिसमें गेंद को विकेट पर मारने पर रोशनी होती है) पर गेंद लगने के बाद भी वह आउट नहीं करार दिए गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जिंग बेल्स की लाइट नहीं जली या वह नीचे नहीं गिरे। खास बात है ऐसा तब हुआ तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी और जिंग बेल्स नहीं गिरे। यह घटना पहले ओवर में घटी जब बुमराह ने शॉट गेंद फेंकी और वॉर्नर ने डिफेंस में खेला और गेंद स्टंप के निचले में हिस्से में जाकर लगी मगर जिंग बेल्स नहीं गिरे।

स्टंप्स और बेल्स नहीं गिरने वाली गेंद का यह पांचवां उदाहरण था-
1- आदिल राशिद: क्विंटन डी कॉक (ओवल)
2- ट्रेंट बोल्ट: दिमुथ करुणारत्ने (कार्डिफ)
3- मिशेल स्टॉर्क: क्रिस गेल (नॉटिंघम)
4- बेन स्टॉक: मोहम्मद सैफुद्दीन (कार्डिफ)
5- जसप्रीत बुमराह: डेविड वॉर्नर (ओवल)

बता दें कि वर्ल्ड कप में अभी तक 33 बल्लेबाजों को आउट किया गया है। टूर्नामेंट में पांच बार बेल्स नहीं गिरी। इस तरह टूर्नामेंट में बेल्स के गिरने का सक्सेस रेट 87 फीसदी है।

क्या कहते हैं नियम-
आईसीसी के नियमों के मुताबिक विकेट तभी माना जाएगा जब स्टंप पूरी तरह नीचे गिर जाएं। यह बात ICC Law 29.1.1 में कही गई है।