इंग्लैंड में खेले जा रहे महिला वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को हराकर भारतीय टीम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह दुनिया की बेस्ट टीमों में से एक है। रविवार को खेले गये इस मैच में शानदार गेंदबाजी से सभी को अपनी तरफ आकर्षित करने वाली गेंदबाज एकता बिष्ट ने एक ऐसा कारनामा किया जिसके लिए उन्हें लंबे समय तक याद किया जाएगा। इस लो-स्कोरिंग मैच में भारतीय टीम ने जहां पहले बल्लेबाजी कर 169 रन बनाये तो वहीं पाकिस्तान की पूरी टीम इस आसान से लक्ष्य को पीछा करने में नाकामयाब रही और महज 74 रनों पर ऑल-आउट हो गई। भारत ने इस मैच को आसानी से अपने नाम कर लिया, लेकिन इस मैच की रियल हीरो रहीं टीम की गेंदबाज एकता बिष्ट। एकता ने 5 विकेट झटक कर भारत को इस मैच में एक आसान जीत दिला दी।

एकता बिष्ट की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। महज 6 साल की उम्र में ही एकता ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था, उत्तराखंड के अल्मोड़ा की रहने वाली बिष्ट के पिता कुंदन सिंह बिष्ट ने इंडियन आर्मी से हवलदार पद से रिटायर होने के बाद अपनी बेटी का सपना पूरा करने के लिए चाय की दुकान खोल डाली और उस इनकम से घर और एकता की जरूरतों को पूरा किया।

एकता के जीवन में एक क्षण वो भी आया जब वह ‘इंडिया ए’ में चयन की गई लेकिन उसके पास मुंबई जाने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे समय में उसके कोच ने उसकी मदद की और वह वहां जाने में कामयाब रही। एकता की मां के अनुसार उनके घर की हालत पहले बेहद ही दयनीय थी लेकिन जब से एकता का चयन टीम के अंदर हुआ तब से घर के आर्थिक हालत में भी सुधार आया है। जिसके बाद उन्होंने अपनी चाय की दुकान भी बंद कर दी।

एकता के कोच लियाकत अली खां के अनुसार एक वक्त ऐसा भी आया जब नेशनल टीम में एंट्री नहीं होने की वजह से कई बार एकता अपना हौसला खो बैठती थी लेकिन मुझे पूरा भरोसा था कि वो एक दिन टीम इंडिया का हिस्सा जरूर बनेगीं। कोच के अनुसार ‘एकता ने 2006 से 2010 तक नेशनल टीम का हिस्सा बनने के लिए बहुत स्ट्रगल किया।