बीसीसीआई और सुप्रीम कोर्ट के बीच सुधारों को लेकर चल रही जंग में शुक्रवार (20 जनवरी) को ताजा मोड़ आया। अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह लोढ़ा कमिटी की ओर से सुझाए गए सुझावों को वापस लें। एजी मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि लोढ़ा समिति के सुझावों को लागू करने के लिए बड़ी बहस की जरुरत है और इसे बड़ी बैंच को रेफर किया जाए। सुप्रीम कोर्ट को आज बीसीसीआई के संचालन के लिए प्रशासकों की नियुक्ति करनी थी लेकिन एजी के नए तर्क के चलते घटनाक्रम में नया मोड़ आ गया। बताया जाता है कि रेलवे, सर्विसेज और यूनिवसिर्टी के वोटिंग अधिकार छीने जाने के बाद सरकार की ओर से यह जवाब दिया गया है।

वहीं सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले में अमिक्‍स क्यूरी बनाए गए गोपाल सुब्रमण्‍यम ने सीलबंद लिफाफे में प्रशासकों के नौ नाम सौंपे। सुप्रीम कोर्ट प्रशासकों के एलान पर 24 जनवरी को फैसला सुनाएगा। बीसीसीआई ने अधिकारियों को राहत देते हुए कहा कि वे राज्‍य क्रिकेट संघों और बीसीसीआई में अलग-अलग नौ-नौ साल का कार्यकाल कर सकते हैं। इससे पहले दो जनवरी को कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में अनुराग ठाकुर को अध्यक्ष और अजय शिर्के को सचिव पद से हटा दिया था। लोढ़ा कमिटी ने बीसीसीआई में सुधार के लिए कई सुझाव दिए थे। इनमें अधिकारियों की उम्र और कार्यकाल की सीमा तय करना बड़ा मुद्दा था।

18 जुलाई 2016 को उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई में सुधार के लिये लोढा समिति की अधिकांश सिफारिशें मान ली थी जिनमें मंत्रियों और नौकरशाहों के अलावा 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर पद लेने से रोक शामिल था। न्यायालय ने यह संसद पर छोड़ दिया था कि यह आरटीआई के अधीन आयेगा या नहीं और क्या क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैध कर देना चाहिये। इसने बीसीसीआई में कैग का प्रतिनिधि होने की समिति की सिफारिशें भी मान ली थी । इसके अलावा ‘एक राज्य एक मत’ के प्रावधान पर बोर्ड का ऐतराज खारिज कर दिया था। न्यायालय ने कहा था कि गुजरात और महाराष्ट्र में एक से अधिक क्रिकेट संघ है लिहाजा वे रोटेशन के आधार पर मतदान करेंगे।