भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने अपने पूर्ववर्ती शशांक मनोहर को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि जब बोर्ड को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी तब वह उसे छोड़कर चले गए। आईसीसी के वर्तमान चेयरमैन शशांक मनोहर पर तीखा हमला करते हुए ठाकुर ने कहा, ‘मुझे आज बोर्ड के अन्य सदस्यों की भावना को आपसे शेयर करना पड़ रहा है। जब बोर्ड को शशांक मनोहर की सबसे ज्यादा जरूरत थी वह उसे डूबते हुए जहाज की तरह छोड़कर चले गए। उनसे हम सबको बड़ी आशा थी।’ उन्होंने कहा, ‘जब बोर्ड को अध्यक्ष के रूप में मनोहर की जरूरत थी (उच्चतम न्यायालय में कानूनी लड़ाई के दौरान) तो वह बोर्ड को बीच में छोड़कर चले गए। यह ऐसे है जैसे जहाज का कप्तान डूबते हुए जहाज को छोड़कर चला गया हो।’
ग्रेटर नोएडा में दलीप ट्रॉफी फाइनल के इतर मीडिया से बातचीत में अनुराग ठाकुर ने कहा,’बीसीसीआई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल का एक अहम स्टेकहोल्डर है और समय आने पर अपने फैसले खुद लेने में सक्षम है।’ आईसीसी की ओर से टेस्ट मैचों के लिए टू-टियर स्ट्रक्चर की सिफारिश पर बीसीसीआई के रुख के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने कहा, ‘भारतीय क्रिकेट बोर्ड हमेशा विश्व क्रिकेट की भलाई के लिए काम करता आया है और इसे आगे भी जारी रखेगा।’
ठाकुर ने आरोप लगाया कि मनोहर बीसीसीआई के समर्थन से क्रिकेट जगत में सुरक्षित जगह ढूंढ रहे थे। उन्होंने कहा, ‘लोगों को समझना होगा कि जब आईसीसी का संविधान बदला गया (बिग थ्री को खत्म करना) तो मनोहर बीसीसीआई अध्यक्ष थे। उन्हें सदस्यों को विश्वास में लेना चाहिए था। लेकिन तब वह क्रिकेट जगत में अपने लिए जगह ढूंढ रहे थे।’ बीसीसीआई आईसीसी के 105 सदस्यों में से एक है और ठाकुर ने कहा कि बीसीसीआई का उद्देश्य कमजोर क्रिकेट देशों के साथ खड़े रहना है।
ठाकुर ने कहा, ‘यह हमारी जिम्मेदारी है कि जिंबाब्वे, श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ खड़े रहें। हम प्रत्येक उस देश के साथ खड़े रहना चाहते हैं । जो अच्छा करना चाहता है। हमें सवाल पूछने कि जरूरत है कि भारत में मैचों की तुलना में चैम्पियन्स ट्रॉफी के प्रत्येक मैच की लागत कैसे तीन गुना हो गई। उन्हें 15 मैचों का आयोजन करना है और हमने विश्व टी20 में 58 मैचों का आयोजन किया था। उन्हें तीन स्थानों पर मैच करने हैं जबकि हमने आठ स्थान पर मैच किए थे।’
सभी देशों के लिए टीवी अधिकार राजस्व के ‘साझा पूल’ पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘अगर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को अपने प्रसारण अधिकार बेचने में दिक्कत आ रही है जो आप इसके लिए बीसीसीआई को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते (कईयों का मानना है कि प्रस्तावित दो स्तरीय प्रारूप के पीछे का कारण यही है)।’
ठाकुर ने कहा, ‘फुटबॉल का खेल इसलिए लोकप्रिय है क्योंकि इसके नियम जल्दी जल्दी नहीं बदलते। हम बदलाव के लिए तैयार हैं। हम गुलाबी गेंद से दलीप ट्रॉफी का आयोजन कर रहे हैं और हमें कोई जल्दबाजी नहीं है। हम रणजी ट्रॉफी में प्रयोग करेंगे और इसके बाद मैं विस्तृत रिपोर्ट मांगूंगा।’
ठाकुर ने साफ किया कि मनोहर के पदभार संभालने के बाद आईसीसी के नए पदाधिकारी बीसीसीआई को अलग थलग करने का प्रयास कर रहे हैं। लोढ़ा समिति की सिफारिशों की ओर संकेत देते हुए उन्होंने कहा, ‘जब श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों में बाहरी हस्तक्षेप हुआ तो आईसीसी ने चिंता जताई लेकिन जब बीसीसीआई में हस्तक्षेप हुआ तो आईसीसी चुप रहा। स्वदेश और आईसीसी में हमें खुलकर काम करने की स्वतंत्रता नहीं है।’
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