महज 9 साल की उम्र में अंडर-19 क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए चुनी गई अनादि तागड़े ने सभी को हैरान कर दिया है। जिस उम्र में बच्चे सही से दौड़ना सीखते ही हैं उस आयु में अनादि सटीक लाइन और लेंथ के साथ गेंदबाजी करती है। राइट आर्म मीडियम पेसर अनादि लगन की इतनी पक्की है कि कड़ी मेहनत के दम पर उसने इतनी कम उम्र में ही इंदौर की महिला क्रिकेट टीम में जगह बना ली है।

शुक्रवार से इंटर डिविजन अंडर-19 टूर्नामेंट की शुरुआत हो गई है और इसको लेकर अनादि काफी उत्सुक भी है। उसका कहना है कि जब मैं सिर्फ 5 साल की थी तो लड़कों को क्रिकेट खेलता देख मैं इस खेल से बेहद प्रभावित हुई। जब मैंने उनके साथ खेलने को कहा तो उन्होंने मुझे मना कर दिया। ऐसे में मैंने अपने बड़े भाई के साथ क्रिकेट खेलना शुरू किया। उसके बाद मेरे पिता अनुराग तागड़े ने मुझे नजदीक के एक क्रिकेट क्लब में ट्रेनिंग के लिए भेज दिया। मैं लेदर बॉल को देखकर बेहद घबरा गई लेकिन पापा ने मुझे प्रोत्साहित करते हुए मेरे इस डर को भी दूर कर दिया। कम उम्र में सीनियर लड़कियों के साथ क्रिकेट में मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई। साथ ही कोच ने भी मेरी पूरी तरह से मदद की।

इतना ही नहीं बल्कि अनादि की मां दीप्ति भी खुद लेफ्ट आर्म स्पिनर रही हैं। हालांकि वो यूनिवर्सिटी लेवल से आगे अपने खेल को जारी नहीं रख सकीं लेकिन अब उनका मानना है कि ‘बेटी उनके सपने को जरूर पूरा करेगी।’ आपको बता दें कि दीप्ति ने शुरुआती 8 महीनों तक बेटी को खुद गेंदबाजी की कोचिंग दी है। चौथी क्लास में पढ़ने वाली हार्दिक पांड्या की इस फैन का ख्वाब एक दिन भारतीय टीम में खेलने का है। इसके साथ ही वो क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर से भी मिलना चाहती है।

अनादि जब मैदान पर गेंदबाजी करती है तो बच्चे क्या बड़े भी उसकी इस सटीक बॉलिंग की तारीफ करते नहीं थकते। उनके कोच का मानना है कि अनादि अगर इसी तरह अपने खेल को जारी रखती है तो जल्द एक दिन भारतीय टीम की जर्सी में भी नजर आएगी। हमें इसका पूरा विश्वास है।अनादि के पिता बताते हैं कि वह अभी बहुत छोटी है और उसके नाम के ग्ल्व्स, बैट और पैड मिलने में बहुत दिक्कत होती है। अनादि बैटिंग भी अच्छी कर लेती हैं, लेकिन अभी उसके सामने वाली बॉलर ये कह देती हैं कि ये तो बहुत छोटी है हम इसे बॉलिंग कैसे करें।