राजेंद्र सजवान

भारतीय खेलों से खिलवाड़ का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है । अभी एआइएफएफ का मसला पूरी तरह शांत नहीं हुआ है कि भारतीय ओलम्पिक संघ (आइओए) की गुटबाजी खुल कर सामने आ गई है। डाक्टर नरेंद्र ध्रुव बत्रा का कार्यकाल हालाँकि 14 दिसंबर 2021 को समाप्त हो गया था लेकिन उन्होंने चुनाव कराने और पद छोड़ने की जरुरत नहीं समझी । नतीजन वही हुआ जोकि पिछले कई सालों से होता आ रहा है। बत्रा को पद छोड़ना पड़ा और वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल खन्ना को चुनाव होने तक अंतरिम अध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन अब कहानी में बड़ा मोड़ आ गया है।

एथलेटिक फेडरेशन के अध्यक्ष आदिल सुमारीवाला ने आनन फानन में ही खुद को आइओए का अध्यक्ष घोषित कर दिया है, जिस कारण से आइओए महासचिव राजीव मेहता द्वारा समर्थित अनिल खन्ना धड़े में खलबली मच गई है। दोनों ही धड़े एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। लेकिन अनिल खन्ना गुट कह रहा है कि आदिल और उनके सलाहकार आइओए के निलंबन को निमंत्रण दे रहे हैं । यह सब गड़बड़ झाला उस समय हो रहा है जबकि तमाम देश पेरिस ओलंम्पिक की रूपरेखा तैयार करने में जुटे हैं।

सीधा सा मतलब है कि भारतीय खेलों की शीर्ष संस्था ने पिछले अनुभवों से कोई सबक नहीं सीखा है । अभी एआइएफएफ का मामला ठंडा भी नहीं हुआ है कि अब आइओए में सत्ता संघर्ष तेज हो गया है । नरेंद्र बत्रा को जाना पड़ा क्योंकि उन पर हाकी इंडिया और आइओए के गुटबाज हावी हो गए थे । ऐसा माना जा रहा है कि बत्रा यदि सत्ता मोह छोड़ समय पर चुनाव कराते तो शायद उन्हें बदतर स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता । लेकिन आज उन दोनों इकाइयों कि हालत खस्ता है, जिनको बत्रा ने सेवाएं दीं ।

आइओए और हाकी इंडिया दोनों कोर्ट के दरवाजे पर खड़ी हैं और कोई भी फैसला भारतीय ओलंपिक आंदोलन और हाकी को शर्मसार कर सकता है।हैरानी वाली बात यह है कि एक समय जो अधिकारी एक ही घाट का पानी पीते थे सत्तालोलुपता के चलते एक दूसरे को नीचा दिखाने पर तुले हैं। और जो एक दूसरे को फूटी आंख नहीं भाते थे वे जिगरी दोस्त बन गए हैं। विरोधी धड़ा हैरान है कि आदिल सुमारीवाला ने किस हैसियत से अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी के अध्यक्ष थामस बाक को पत्र लिख कर खुद को आइओए अध्यक्ष घोषित किया है। जाहिर है आइओए की गुटबाजी चरम पर पहुंच गई हैे यह जानते हुए भी कि कोर्ट के निर्देशानुसार चुनाव होने हैं लेकिन हर कोई खुद को खुदा समझ रहा है।

सीधा सा मतलब है कि विभिन्न भारतीय खेलों के अवसरवादियों और गुनहगारों से मिलकर गठित आइओए में सत्ता संघर्ष तेज हो गया है। बत्रा के पद पर रहते ‘वन मैन शो’ चल रहा था लेकिन अब अनिल खन्ना और सुमारीवाला गुट खुल कर सामने आ गए हैं। यदि अतिशीघ्र कोई उपाय नहीं खोजा गया और मामले यूं ही कोर्ट कचहरी में चलते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब आइओए पर एआइएफएफ की तरह का प्रतिबंध लग जाए, जिसे हटाने में सालों साल लग सकते हैं।