कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय महिला हॉकी सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गई। इस मैच का नतीजा पेनल्टी शूटआउट में निकला, जिसे लेकर काफी विवाद हो रहा है। इसका कारण स्टॉपवॉच न चलने के कारण ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी को शॉट लेने के लिए फिर से बुलाना है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एम्ब्रोसिया मेलोन पेनल्टी से चूक गई थीं, लेकिन स्टॉपवॉच न चलने के कारण मैच अधिकारियों ने उन्हें फिर शॉट लेने के लिए कहा और इस बार उन्होंने कोई गलती नहीं की और गोल कर दिया।
टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने महिला हॉकी टीम के साथ हुई बेईमानी पर नाराजगी जताई और कहा कि भारत के महाशक्ति बनने तक इस तरह का पक्षपात क्रिकेट में भी हुआ करता था। उन्होंने कहा, “पेनल्टी मिस हुआ ऑस्ट्रेलिया से और अंपायर बोले सॉरी क्लॉक स्टार्ट नहीं हुआ। ऐसा पक्षपात क्रिकेट में पहले भी हुआ करता था जब तक हम महाशक्ति नहीं थे। हॉकी में भी हम जल्द बनेंगे और सभी घड़ियां समय पर शुरू होने लग जाएंगी। हमारी लड़कियों पर गर्व है।”
प्रत्येक खिलाड़ी को शूटआउट में गेंद को जाली में डालने के लिए आठ सेकंड का समय मिलता है। मेलोन को दोबारा मौका मिलने के बाद भारतीय टीम लय गंवा बैठी और अपने पहले तीन प्रयास में गोल करने में नाकाम रही। दूसरी तरफ आस्ट्रेलिया ने अपने सभी मौकों को भुनाया। इंग्लैंड के तकनीकी अधिकारी बी मोर्गन के इस फैसले से भारतीय प्रशंसक गुस्से में थे। टीम की कोच यानेक शोपमैन ने कहा कि इसके कारण उनकी खिलाड़ियों ने लय खो दी और इससे वे काफी निराश और गुस्से में थी।
शोपमैन ने कहा, “इससे हमने थोड़ी लय गंवा दी। इस फैसले से हर कोई निराश था। मैं इसे बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं कर रही हूं लेकिन जब आप शूटआउट में बचाव करते हैं तो इससे आपका मनोबल बढ़ता है। हमारी खिलाड़ी इस फैसले से वास्तव में बहुत निराश थी। अधिकारी ने हाथ ऊपर उठा रखा था लेकिन वास्तव में मुझे पता नहीं था। दोनों अंपायर इंग्लैंड के ए चर्च और एच हैरिसन को भी पता नहीं था। इसलिए मैं निराश थी क्योंकि अंपायर ने कहा कि इस शॉट को फिर से लेना होगा। ”
दोनों टीम नियमित समय तक 1-1 से बराबरी पर थी जिसके बाद पेनल्टी शूटआउट का सहारा लिया गया। शोपमैन ने आगे कहा, “मैंने खिलाड़ियों को शांत बनाए रखने की कोशिश की। यह बराबरी का मुकाबला था लेकिन इस घटना के बाद उनकी एकाग्रता थोड़ी भंग हो गई।भावनाएं हावी हो गई थी। हमें इससे बेहतर करना चाहिए और यही मैं लड़कियों को समझाना चाहती थी। मैं उनसे कह रही थी कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन वास्तव यह मायने रखता है और इसलिए मैं गुस्से में हूं क्योंकि मुझे नहीं लगता कि अधिकारियों को भी पता था कि तब क्या हुआ।”