वेस्टइंडीज के सलामी बल्लेबाज क्रिस गेल (Chris Gayle) ने क्रिकेट में नस्लवाद (Racism) के खिलाफ आवाज उठाई। इस 40 वर्षीय बल्लेबाज ने सोशल मीडिया पर एक अपील की। इसमें उन्होंने कहा कि क्रिकेट में भी नस्लवाद का संकट मौजूद है। उन्हें भी टीमों में रहते हुए और दुनिया भर में नस्लीय टिप्पणियों का सामना करना पड़ा है।
गेल का बयान ऐसे समय आया है, जब अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पेशे से बाउंसर 48 साल के जॉर्ज फ्लॉयड (George Floyd) की बीते सोमवार (25 मई, 2020) को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी।
क्रिस गेल ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा, ‘किसी और की तरह अश्वेत के जीवन का भी मतलब है। सभी नस्लवादी लोग अश्वेत लोगों को बेवकूफ समझना बंद करें। यहां तक कि हमारे ही कुछ अश्वेत लोग दूसरों को ऐसा करने का मौका देते हैं। खुद को नीचा समझने के इस सिलसिले को रोको। मैंने दुनियाभर में यात्रा की और इस भेदभाव का शिकार हुआ, क्योंकि मैं अश्वेत हूं। मेरा भरोसा कीजिए, यह लिस्ट बहुत लंबी है। रंगभेद सिर्फ फुटबॉल में ही नहीं है, बल्कि क्रिकेट में भी है। यहां तक कि टीमों के अंदर भी है। अश्वेत इंसान के रूप में मुझे इस छड़ी का अंतिम सिरा मिल गया। अश्वेत और शक्तिशाली। अश्वेत और गर्व।’
क्रिकेट के मैदान पर पहले कुछ ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। पिछले साल न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के बीच खेले गए टेस्ट मैच के दौरान जोफ्रा आर्चर पर एक प्रशंसक ने नस्ली टिप्पणी की थी। वह टेस्ट मैच न्यूजीलैंड में खेला गया था। मैच के आखिरी दिन मैदान पर जाते समय इंग्लिश क्रिकेटर आर्चर पर यह टिप्पणी की गई थी। आर्चर ने बाद में इसका खुलासा ट्विटर पर किया था।
बता दें कि गेल के अलावा, कई अन्य खिलाड़ियों ने भी नस्लवाद के खिलाफ आवाज उठाई। 23 बार की ग्रैंड स्लैम विजेता सेरेना विलियम्स ने भी नस्लवाद को लेकर इंस्टाग्राम पर अपनी भावनाएं जाहिर की हैं। एनबीए स्टार लेब्रोन जेम्स ने फ्लॉयड की मौत पर ट्विटर पर शोक व्यक्त किया था।