टेस्ट में भारत के लिए 8वें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने हाल ही में क्रिकेट को अलविदा कह दिया। पुजारा ने नंबर-3 पर भारतीय टीम को लंबे समय तक सेवाएं दी। उन्होंने राहुल द्रविड़ की कमी नहीं खलने दी। हालांकि, पुजारा 2 साल से भारतीय टीम से बाहर थे, लेकिन नंबर-3 अभी भी अस्थिर है। कई खिलाड़ियों को आजमाया गया है। वह इस नंबर पर अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए हैं।

चेतेश्वर पुजारा से द इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सेंज के दौरान नेशनल स्पोर्ट्स एडिटर संदीप द्विवेदी ने सवाल किया, “कई लोगों का कहना है कि आप आखिरी विशेषज्ञ टेस्ट खिलाड़ी थे। क्या आपको लगता है कि टेस्ट मैचों में पारंपरिक बल्लेबाजी का तरीका खत्म हो जाएगा?” इस पर पुजारा ने भारतीय टेस्ट टीम में चयन की कड़वी सच्चाई बताई। पुजारा ने कहा कि टेस्ट टीम में चयन आईपीएल, टी20 और वनडे क्रिकेट में प्रदर्शन से होता है। रणजी ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन करने से काफी कम खिलाड़ियों का चयन होता है। इसके कारण नए दौर के खिलाड़ी अटैकिंग क्रिकेट पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

क्या बोले चेतेश्वर पुजारा

पुजारा ने कहा, “मुझे लगता है कि ज्यादातर खिलाड़ियों को टेस्ट मैचों के लिए टी20, आईपीएल या वनडे में उनके प्रदर्शन के आधार पर चुना जाता है। बहुत कम खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिन्हें रणजी मैचों में उनके प्रदर्शन के आधार पर चुना जाता है। यहां तक कि गेंदबाज भी सफेद गेंद वाले सर्किट से टेस्ट मैचों में आ रहे हैं। यही वजह है कि मुझे लगता है कि आधुनिक युग के बल्लेबाजों की ताकत आक्रामक क्रिकेट खेलना है। वे जरूरत पड़ने पर गेंद को डिफेंड करने या छोड़ने की कला सीख रहे हैं।”

हम 5 से 10 साल बाद और भी ज्यादा आक्रामक टेस्ट क्रिकेट देखेंगे

पुजारा ने कहा, “जब आप युवाओं से पूछते हैं कि वे क्या हासिल करना चाहते हैं, तो उनका जवाब होता है सभी प्रारूपों में खेलना। वे टेस्ट खेलना तो चाहते हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता आईपीएल में चुना जाना या भारत के लिए सीमित ओवरों का क्रिकेट खेलना है। टेस्ट में मौका मिलते ही वे टेस्ट टीम का भी हिस्सा बनना चाहते हैं। इसलिए खेल सीमित ओवरों के क्रिकेट के इर्द-गिर्द घूमता है और मुझे लगता है कि आगे चलकर, हम 5 से 10 साल बाद और भी ज्यादा आक्रामक टेस्ट क्रिकेट देखेंगे।”

रणजी से उभरते खिलाड़ियों को भी मिलेगा मौका

पुजारा ने कहा, “फिलहाल, अभी भी समझदारी भरा क्रिकेट खेला जारहा है। खिलाड़ी स्थिति का आकलन कर रहे हैं और फिर काउंटर अटैकिंग कर रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि खेल बेहतर स्ट्राइक रेट के साथ आगे बढ़ेगा। हालांकि, ऐसा तभी हो सकता है जब आप सपाट पिच पर खेल रहे हों। अगर आप चुनौतीपूर्ण पिच पर खेलना शुरू करते हैं तो क्या कोई आक्रामक क्रिकेट खेलना जारी रख सकता है? इसका जवाब है नहीं। इसलिए अगर कोई पारंपरिक टेस्ट खिलाड़ी रणजी ट्रॉफी से उभरता है तो मुझे अभी भी लगता है कि उसके पास भारत की टेस्ट टीम में योगदान देने का मौका होगा।”