रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को छह जुलाई को अपना नया अध्यक्ष मिलने वाला है। निर्वाचन अधिकारी ने मंगलवार को जारी अधिसूचना में घोषणा की कि भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के बहुप्रतीक्षित चुनाव छह जुलाई को होंगे। मौजूदा अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह लगातार तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं ऐसे में इस बार वह चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के कहने के बाद उनके परिवार के सदस्य भी चुनाव नहीं लड़ेंगे।
बृजभूषण शरण सिंह के परिवार से कोई नहीं लड़ेगा चुनाव
पहलवानों ने खेल मंत्री से हुई बैठक में चुनावों पर चर्चा की थी। पहलवानों का कहना था कि बृजभूषण अगर खुद भी चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनके परिवार के लोग पद पर होंगे और चीजों में सुधार नहीं होगा। इसी के बाद यह कहा गया कि बृजभूषण शरण सिंह के परिवार के सदस्य भी चुनाव में नहीं खड़े होंगे। बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह रेसलिंग फेडरेशन के वाइस प्रेजिडेंट हैं। वहीं आदित्य प्रताप सिंह (करण सिंह के साले) जॉइंट सेक्रेटरी हैं। बृजभूषण सिंह के दामाद विशाल सिंह एक्जीक्यूटिव मेंबर हैं।
36 राज्य फेडरेशंस डालती हैं वोट
पहलवानों पूरी कोशिश में हैं कि रेसलिंग फेडरेशन को बृजभूषण की पहुंच से दूर रखा जाए। हालांकि उनकी यह कोशिश भी बेकार साबित हो सकती है। बृजभूषण सिंह और उनका परिवार भले ही चुनाव न लड़ें लेकिन अध्यक्ष बनेगा वही जिसे उनका समर्थन हासिल है।
फेडरेशन का अध्यक्ष चुने जाने के लिए जो चुनाव होते हैं उसमें एफिलिएडेट एसोसिएशन के पदाधिकारी वोट डालते हैं। हर राज्य की फेडरेशन से उसके अध्यक्ष और सचिव को एक-एक वोट मिलता है। दिल्ली से दो और बाकी केंद्रशासित प्रदेश के एक-एक वोट होते हैं। इन्ही वोट की गिनती के आधार पर अध्यक्ष चुना जाता है।
बृजभूषण सिंह को हासिल है 75% वोटर्स का समर्थन
सूत्रों के मुताबिक बृजभूषण शरण सिंह को 36 फेडरेशंस में से लगभग 75 प्रतिशत का समर्थन हासिल है। इन फेडरेशंस में हरियाणा की फेडरेशन भी शामिल हैं जहां के ज्यादातर पहलवान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। दरअसल ज्यादातर राज्य फेडरेशन बीते 12 सालों में बनी हैं। यानी कि बृजभूषण शरण सिंह के डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष बनने के बाद। इसी कारण इन फेडरेशंस के पदाधिकारी भी बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन में ही हैं। ऐसे में जिस भी प्रत्याशी को बृजभूषण सिंह का समर्थन हासिल होगा उन्हें बाकी फेडरेशंस का वोट भी मिलेगा और उनके लिए जीत हासिल करना आसान होगा।