माइकल वॉन की कप्तानी में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2005 में एशेज सीरीज जीती थी। इंग्लैंड की जीत का एक अहम कारण ग्लेन मैक्ग्रा की चोट भी थी। ग्लेन मैक्ग्रा को दूसरा टेस्ट मैच छोड़ना पड़ा था। इंग्लैंड ने दूसरा टेस्ट मैच जीतकर सीरीज बराबर की। फिर जब चोट के कारण ग्लेन मैक्ग्रा चौथा टेस्ट नहीं खेल पाए तो इंग्लैंड ने एक रोमांचक मैच जीत लिया। इंग्लैंड की यह एशेज सीरीज जीत 18 साल बाद आई थी।
जमीन पर पड़ी गेंद पर फिसल गए थे मैक्ग्रा
एजबेस्टन में दूसरे टेस्ट मैच की सुबह पहले मैच में मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार जीतने के बाद ग्लेन मैक्ग्रा जमीन पर पड़ी एक गेंद पर फिसल गए और उन्हें मैच से बाहर कर दिया गया। निगेल स्टॉकिल (इंग्लैंड के स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच) और इंग्लैंड के फिजियो किर्क रसेल के हवाले से ग्लेन मैक्ग्रा की उस चोट और ‘कर्मों के फल’ की कहानी यहां दी गई है।
निगेल स्टॉकिल ने अब ब्रिटिश अखबार टेलीग्राफ को बताया, ‘ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी हर सुबह खेल से पहले बचकानी मैदानी जंग शुरू कर देते थे। आखिरकार उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी।’ किर्क रसेल ने बताया कि लॉर्ड्स में पहले टेस्ट के दौरान प्रशिक्षण सत्रों के दौरान क्या हुआ।
कंगारुओं ने अंग्रेजों की जगह कब्जाई
रसेल ने बताया, ‘फ्लेच (डंकन फ्लेचर, इंग्लैंड के मुख्य कोच) को खबर मिली थी कि ऑस्ट्रेलिया वहीं अभ्यास करेगा जहां हम आमतौर पर लॉर्ड्स के आउटफील्ड पर अभ्यास करते हैं। हम सुबह 8 बजे से पहले वहां पहुंच गए, लेकिन तब पता चला कि वे अंदर आ चुके थे और उन्होंने अपने कोन (मार्क करने के लिए) बाहर रख दिए थे। जब खिलाड़ी गेंदबाजी करना चाहते थे, तब ऑस्ट्रेलियाई विकेट के पास वार्मअप कर रहे थे।’
रसेल ने बताया, ‘एशले जाइल्स गेंदबाजी करना चाहते थे। मैं दस्ताने पहन रहा था, तभी एशले जाइल्स ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से विनम्रता से कहा, ‘क्या आप थोड़ा आगे बढ़ सकते हैं क्योंकि हम गेंदबाजी करना चाहते हैं? ईमानदारी से कहूं तो यह कहना उचित होगा कि उनका जवाब ‘गुड मॉर्निंग’ नहीं था, हां बिल्कुल। यह मूल रूप से ‘भाड़ में जाओ’ था।’
पोंटिंग का अच्छा नहीं था व्यवहार
रसेल का दावा है कि लॉर्ड्स में पहले टेस्ट के दौरान ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग का उनके प्रति व्यवहार अच्छा नहीं था। उन्होंने कहा, ‘मैं हर दिन रिकी पोंटिंग को ‘गुड मॉर्निंग’ कहता था और बदले में मुझे कुछ नहीं मिलता था। बस खामोशी। मुझे यह हमेशा बहुत अजीब लगता था। शायद उन्हें लगता था कि किसी फिजियो को नमस्ते कहना कमजोरी दिखाना है।’ टीम जब दूसरे टेस्ट के लिए एजबेस्टन पहुंची तो और भी ड्रामा हुआ।
यहां से स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच निगेल स्टॉकिल ने इस कहानी को आगे बढ़ाया। स्टॉकिल ने बताया, ‘जब हम एजबेस्टन गए, तो उन्होंने तय किया कि वे फिर से अभ्यास के लिए मैदान के हमारे हिस्से को ही चुनेंगे। जॉन बुकानन ने प्लास्टिक कोन की बजाय क्षेत्र चिह्नित करने के लिए गेंदें निकालीं। यह उन गेंदों में से एक थी जिस पर मैक्ग्रा का पैर पड़ा था। यही कर्मों का फल है। उन्होंने संतुलन बिगाड़ने की कोशिश की, लेकिन उलटा असर हुआ।’
बैठकर देखना मुश्किल था: ग्लेन मैक्ग्रा
ग्लेन मैक्ग्रा को स्कैन के लिए अस्पताल ले जाया गया, जिसमें पता चला कि उनके दाहिने टखने में दो लिगामेंट फट गए हैं और हड्डी क्षतिग्रस्त है। बाद में उन्होंने उस पल के बारे में बात की। ग्लेन मैक्ग्रा कहते हैं, ‘वहां बैठकर देखना मुश्किल था।’
ग्लेन मैक्ग्रा ने बीबीसी को बताया था, ‘इतना नहीं कि हम हार गए, लेकिन मैं हमेशा सोचता हूं कि टीम पर मेरा क्या सकारात्मक प्रभाव हो सकता था। यह गेंदबाजी का उतना प्रभाव नहीं है, जितना कि विरोधी टीम की मानसिक स्थिति पर पड़ता है। अचानक, मैं नहीं खेल रहा हूं। मैंने लॉर्ड्स में अच्छी गेंदबाजी की थी, फिर मैं बाहर हो गया, जिससे विरोधी टीम को एक ऐसा उत्साह मिला जो अन्यथा नहीं होता।’
मैक्ग्रा की जगह आए माइकल कास्प्रोविच उस रोमांचक मैच में आखिरी विकेट बने। कास्प्रोविच ने ब्रेट ली के साथ 59 रन की साझेदारी में 20 रन बनाए थे। उन्होंने स्टीव हार्मिसन की बाउंसर को बाहर निकलकर लेग साइड में खेलने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए। गेंद ग्लव से लगकर उछली और विकेट के पीछे गेरेंट जोंस ने कैच लपकने में कोई गलती नहीं की। इसके साथ ही इंग्लैंड ने वह टेस्ट मैच 2 रन से जीत लिया। मैक्ग्रा ने कहा, ‘अगर हम 3 रन बना लेते, तो सीरीज वहीं खत्म हो जाती। इंग्लैंड का आत्मविश्वास डगमगा जाता।’