टोक्यो ओलंपिक में भारत ने 7 पदक जीतकर निश्चित ही ओलंपिक इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, लेकिन भारत ने कई पदक चौथे नंबर पर रहते हुए गंवा दिए। इस ओलंपिक में भारत ने एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज सहित कुल 7 मेडल जीतकर 48वां स्थान हासिल किया है। वहीं अगर भारत के कई खिलाड़ी आखिरी क्षणों में नहीं चूकते तो शायद भारत के पदकों की संख्या आज दहाई में होती।

आपको बता दें टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम सहित कई खिलाड़ी ऐसे रहे जो चौथे नंबर पर रहकर ब्रॉन्ज मेडल से चूक गए। ये टोक्यो ओलंपिक में ही सिर्फ नहीं देखने को मिला इससे पहले भी कई ऐसे ओलंपिक रहे हैं जहां भारतीय खिलाड़ी आखिरी क्षणों में पदक से चूक गए।

अगर इस ओलंपिक की ही बात करें तो भारतीय महिला हॉकी टीम ने शानदार खेल दिखाया। ऑस्ट्रेलिया को क्वार्टरफाइनल में हराया फिर सेमीफाइनल में लीड लेने के बावजूद अर्जेंटीना से टीम हार गई। इसके बाद ब्रॉन्ज मेडल मैच में मुकाबले को बराबरी पर लाने के बावजूद टीम ब्रिटेन से 4-3 से हार गई और ब्रॉन्ज मेडल की उम्मीदें टूट गईं। रेसलर दीपक पूनिया ने भी अपना ब्रॉन्ज मेडल मैच गंवाकर चौथा स्थान पाया।

भारत की महिला गोल्फर अदिति अशोक ने शुरुआती तीन चरण में खुद को पदक की दौड़ में बरकरार रखा था, लेकिन चौथे चरण के बाद वे दो शॉट से कांस्य पदक हासिल करने से चूक गईं। रेसलर अंशु मलिक को भी रेपचेज में ब्रॉन्ज जीतने का मौका मिला था लेकिन उन्होंने भी ये मौका गंवा दिया।

मिल्खा सिंह और पीटी उषा के नाम अनचाहा रिकॉर्ड

ये बात हो गई टोक्यो ओलंपिक की लेकिन इससे पहले भी भारत के कई दिग्गज हुए जो ओलंपिक में पदक जीतने की दहलीज पर पहुंचकर भी पदक से चूक गए। इसमें जो दो सबसे बड़े नाम हैं वो है ‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह और ‘उड़नपरी’ पीटी उषा का।

1960 के रोम ओलंपिक में महान धावक मिल्खा सिंह 400 मीटर दौड़ में 0.10 सेकेंड से कांस्य पदक जीतने से चूक गए। वहीं 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में पीटी उषा 400 मीटर हर्डल रेस में सेकेंड पीछे रहकर पदक जीतने से चूक गई थीं।

इसके अलावा भारतीय फुटबॉल टीम भी 1956 में सेमीफाइनल हारकर पदक से चूकी। वहीं 1980 मॉस्को ओलंपिक में महिला हॉकी टीम तत्कालीन सोवियत संघ से हारकर चौथे स्थान पर रही थी। अगर अन्य खेलों की बात करें तो 2004 में टेनिस स्टार लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी और वेटलिफ्टिंग में कुंजरानी देवी चौथे स्थान पर रहे थे।

2012 ओलंपिक में भी भारतीय निशानेबाज जॉयदीप करमाकर, अभिनव बिंद्रा और पहली बार जिमनास्ट में क्वालीफाई करने वाली दीपा करमाकर भी मामूली अंतर से पदकों से चूक गए थे। तो ये है अब तक का भारत का अनचाहा रिकॉर्ड जिसे भारत 2024 के पेरिस ओलंपिक में भूलना चाहेगा।