Coronavirus Outbreak: कोरोनावायरस के कारण सारी दुनिया हलकान है। खिलाड़ी भी इससे अछूते नहीं हैं। इसी साल टोक्यो में खेलों का महाकुंभ यानी ओलंपिक होने हैं, लेकिन कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर इसको टालने की भी मांग होने लगी है। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित पहलवान बजरंग पुनिया भले ही टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन उनके मन में इसके समय पर होने को लेकर संदेह भी है। उनका भी मानना है कि मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए इन खेलों को टाल दिया जाना चाहिए।

बजरंग ने हमारे सहयोगी समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस से विशेष बातचीत में कहा, ‘जिस तरह से अभी चीजें चल रही हैं, बेहतर होगा कि ओलंपिक को स्थगित कर दिया जाए। यह न केवल हमारे लिए बल्कि सभी देशों के एथलीटों के लिए फायदेमंद होगा। यह हर किसी के लिए एक मुश्किल क्षण है।’ बजरंग ने कहा, ‘अगर वे (आईओसी) शेड्यूल के मुताबिक आगे बढ़ते हैं और अन्य देश हिस्सा लेते हैं तब हमें भी जाना होगा, लेकिन यह बेहतर होगा कि वे दो-चार महीने इंतजार करें, या जब तक स्थिति बेहतर नहीं हो जाती। जिंदगी रहेगी तो ही ओलंपिक खेल पाएंगे, लेकिन हमारा जीवन ही नहीं रहेगा तो ओलंपिक के क्या मायने हैं?’

बजरंग ने कहा, ‘सच कहूं तो मैं अभी ओलंपिक के बारे में नहीं सोच रहा हूं। फिलहाल, हमें वायरस से सावधान रहना होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने प्रशिक्षण रोक दिया है। मैं रोज प्रशिक्षण ले रहा हूं, लेकिन साथ ही, हमें अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना जरूरी है।’

बजंरग इन दिनों सोनीपत स्थित एक हाईराइज बिल्डिंग के तहखाने तक ही खुद को सीमित कर लिया है। वे यहां अभ्यास करते हैं और फिर इसके बाद कमरे में रहने वाले लोगों के लिए खाना तैयार करते हैं। बजरंग पुनिया ने टोक्यो ओलंपिक के लिए इस तरह से उलटी गिनती गिनने की कभी कल्पना नहीं की थी।

बता दें कि बजरंग को ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने के लिए लंबे समय से इंतजार है। उनके पास 2016 रियो ओलंपिक में हिस्सा लेने का मौका था, लेकिन तब उन्होंने 2012 के ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले और अपने गुरु योगेश्वर दत्त के लिए खुद को कुर्बान कर दिया था। यानी उन्होंने अपनी मर्जी से योगेश्वर दत्त को रियो ओलंपिक में हिस्सा लेने का मौका दिया था।