बैडमिंटन में चिराग शेट्टी और सात्विक साईराज रेंकी रेड्डी की जोड़ी हर खिताबी सफलता के साथ नया इतिहास रच रही है। उनकी हर पहल भारतीय बैडमिंटन में उपलब्धि के तौर पर दर्ज हो रही है। हो भी क्यों न, इससे पहले पुरुष युगल में भारत का कोई अस्तित्व नहीं था। ताजा कामयाबी मिली है इंडोनेशिया ओपन के खिताब के रूप में। यह इस जोड़ी की साल में तीसरी खिताबी सफलता है। इस जीत के साथ यह जोड़ी विश्व युगल रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंच गई है।

इस कामयाबी के खास मायने हैं चिराग-सात्विक के लिए। दोनों ने विश्व चैंपियन मलेशियाई जोड़ी आरोन चिया और वोह वुइ यिक को हराने का सपना संजोया था। इससे पहले दोनों जोड़ियों के संघर्ष में भारतीय जोड़ी को दस बार मुंह की खानी पड़ी थी। इसलिए इस करिश्माई प्रदर्शन के लिए भारतीय जोड़ी तारीफ की हकदार है। उसने मलेशियाई जोड़ी को सीधे गेमों में ही 21-17, 21-18 से निपटा दिया। फाइनल 43 मिनट चला।

खिताबी मुकाबले के शुरू में तो भारतीय जोड़ी पिछड़ी, लेकिन बाद में पकड़ ऐसी बना ली कि मलेशियाई जोड़ी को वापसी का मौका नहीं दिया। मुकाबले के दौरान भारतीय जोड़ी को दर्शकों का भी खूब समर्थन मिला। भारतीय जोड़ी आक्रामक होकर खेली। यही उनके खेल का मजबूत पहलू भी है। नैट पर चिराग ने गजब का खेल दिखाकर शटल को बखूबी लौटाया। उनकी चुस्ती फुर्ती देखते ही बनती थी। उनका रक्षण भी काफी मजबूत रहा। वास्तव में उनके दमदार खेल से ही भारतीय जोड़ी मैच को अपने पक्ष में करने में सफल रही।

इससे पहले उन्होंने सेमी फाइनल में कंग मिन ह्युक की कोरियाई जोड़ी पर भी रोमांचक जीत दर्ज की। पहला गेम 17-21 से हारने के बाद भारतीय जोड़ी ने अगले दो गेम जीतकर फाइनल में जगह बनाई थी। किसी सुपर 1000 स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने वाली यह पहली भारतीय जोड़ी बनी। दरअसल भारतीय जोड़ी का आत्मविश्वास गजब का है। दोनों में आपसी सूझबूझ अच्छी है और अपने खेल से उन्होंने जतला भी दिया कि सामने कोई भी जोड़ी हो, उनके आत्मविश्वास को डिगाना आसान नहीं। सबसे खूबी वाली बात यह है कि बड़े मंच पर जीत को उन्होंने आदत बना लिया है।

कोच की सलाह पर जब दोनों जोड़ीदार बने तब प्रतिद्बंद्बी थे। लेकिन 2016 में मिली इस सलाह ने उनके बैडमिंटन करिअर को ही बदल दिया। दोनों को पहला पदक मिला रजत जो 2018 में गोल्ड कोस्ट (आस्ट्रेलिया) में हु राष्ट्रमंडल खेलों में आया। तब चिराग 20 के थे और सात्विक 17 के। इससे उत्साहित होकर उन्होंने बैडमिंटन जगत में अपनी पहचान बनानी शुरू की।

2019 में पहली सुपर सीरिज खिताब जीतने वाली यह पहली भारतीय जोड़ी बनी। स्थापित जोड़ियों को हराने का सिलसिला यहीं से शुरू हुआ। यह जोड़ी फिर फ्रेंच ओपन के फाइनल में भी पहुंची। तोक्यो ओलंपिक में निराशा मिली। ओलंपिक के लिए क्वालीफाइ करने वाली यह एकमात्र भारतीय युगल जोड़ी थी। लेकिन समूह चरण में तीन में से दो मैच जीतने के बावजूद उन्हें बाहर होना पड़ा। उनसे हारी जोड़ी अंतत: ओलंपिक विजेता बनी।

इंडियन ओपन का पुरुष खिताब जीतने वाली यह पहली भारतीय जोड़ी

2022 में इंडियन ओपन का पुरुष खिताब जीतने वाली यह पहली भारतीय जोड़ी बनी। तब उनकी जीत यादगार इसलिए बनी कि उन्होंने अपनी आदर्श रही तीन बार विश्व चैंपियन मोहम्मद अहसान और हेंद्रा सेतियावन की इंडोनेशियाई जोड़ी को परास्त किया था। जब भारत ने प्रतिष्ठित थामस कप को जीता तो उसमें भी चिराग-सात्विक की जीत अहम थी। पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में सो मिलना इस जोड़ी की मजबूत मानसिकता दर्शाता है। सफलता के लिहाज से यह साल भी इस जोड़ी के लिए बेहतरीन रहा है। एशियाई चैंपियनशिप का डबल्स गोल्ड इसमें प्रमुख है।

इस साल को यह जोड़ी और भी यादगार बना सकती है। अगस्त में विश्व चैंपियनशिप, सितंबर में एशियाई खेल और बीडब्ल्यूएफ 1000 वर्ल्ड टूर फाइनल्स का आयोजन होना है। इसमें पदक की आस रहेगी। अगले साल पेरिस में ओलंपिक में पदक जीतना भी इस जोड़ी का लक्ष्य है।

क्या है सुपर 1000 स्तर

बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन वर्ल्ड टूर को छह स्तरों में विभाजित किया गया है। वर्ल्ड टूर फाइनल, चार सुपर 1000, छह सुपर 750, सात सुपर 500 और 11 सुपर 300। टूर्नामेंट की एक और श्रेणी, बीडब्लूएफ टूर सुपर 100 स्तर, रैंकिंग अंक भी प्रदान करता है। इनमें से प्रत्येक टूर्नामेंट अलग-अलग रैंकिंग अंक और पुरस्कार राशि प्रदान करता है। सुपर 1000 स्तर पर सबसे ज्यादा अंक और पुरस्कार पूल की पेशकश की जाती है।

पहली भारतीय जोड़ी

वर्ल्ड टूर सुपर-1000 का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय जोड़ी बनी। इतना ही नहीं, यह इकलौती भारतीय जोड़ी है, जिसने वर्ल्ड टूर में सुपर-100, सुपर-300,सुपर-500, सुपर-750 और सुपर-1000 चारों टाइटल जीते हैं।