किसी भी खिलाड़ी के लिए पोडियम पर खड़ा होकर देश के लिए मेडल जीतना ही उसका सबसे बड़ा सपना होता है। अब जरा सोचिए क्या होगा जब कोई खिलाड़ी यह पल जीता है, उसे महसूस करता है और फिर एक झटके में उससे यह सबकुछ छीन लिया जाता है। भारतीय एथलीट सुनीता रानी को इस नर्क से गुजरना पड़ा।
सुनीता ने बनाया था एशियन गेम्स रिकॉर्ड
साल 2002 के एशियन गेम्स साउथ कोरिया के बुसान में हुए थे। सुनीता रानी ने यहां देश का मान बढ़ाया था। उन्होंने 1500 मीटर में गोल्ड मेडल जीता और इसके बाद 5000 मीटर में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। इसके साथ ही सुनीता ने एशियन गेम्स रिकॉर्ड कायम किया था। पोडियम पर जब उन्होंने गोल्ड मेडल पहना और राष्ट्रगान बजा तो रानी को लगा कि उनकी मेहनत सफल हो गई लेकिन यह खुशी ज्यादा समय तक कायम नहीं रह सकी।
डोपिंग के कारण छीने गए मेडल
एशियन गेम्स ऑर्गनाइजिंग कमेटी ने बताया कि सुनीता रानी डोपिंग टेस्ट में फेल हो गई हैं। बताया गया कि सुनीता के सैंपल में नैमड्रोलोन पाया गया। इस ड्रग की मदद से खिलाड़ियों को रिकवरी और ताकत बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके बाद रानी से उनके दोनों मेडल छीन लिए गए थे। साथ ही साथ उनके रिकॉर्ड को भी आमान्य कर दिया गया था। रानी इस फैसले से टूट गई थी लेकिन इस समय में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने उनकी मदद की। वह अपने खिलाड़ी के लिए खड़े हुए।
वाडा ने दी सुनीता क्लीन चिट
आईओए ने एशियन गेम्स फेडरेशन में अपील की और फिर से सैंपल की जांच करने के लिए कहा। दूसरी बार जांच में भी वही परिणाम आया। इसके बावजूद आईओए ने हार नहीं मानी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय डोपिंग एसोसिएशन से मामले की जांच करने को कहा। वाडा ने सैंप की जांच की और फिर सुनीता रानी को निर्दोष साबित किया।
सुनीता को लौटाए गए उनके मेडल
एक खास सेरेमनी का आयोजन किया गया जहां ओसीए के सेकेटरी जनरल रणधीर सिंह और आईओए के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी की मौजूदगी में सुनीता को उनके मेडल लौटाए गए। भारतीय एथलीट को न सिर्फ उनके मेडल दिए गए बल्कि उनके साथ हुई नाइंसाफी के लिए एशियन गेम्स डोपिंग फेडरेशन के खिलाफ भी जांच शुरू की गई। सुनीता स्पोर्ट्स कोटे से ही पंजाब पुलिस में एसपी बनी हैं। लड़कियों को स्पोर्ट्स में आगे आने को प्रेरित करती हैं।