एशियन गेम्स में भारत के सफर की शुरुआत 1951 में हुई थी। इत्तेफाक की बात यह कि भारत ने पहली बार आयोजित हुए इन एशियाई खेलों की मेजबानी भी की थी। भारत ने इन खेलों में अब तक 672 मेडल जीते हैं। इसमें सबसे बड़ी संख्या एथलेटिक्स के मेडल की है। उसके अलावा रेसलिंग और बॉक्सिंग जैसे खेल भी शामिल है। हालांकि हैरानी की बात यह है कि भारत को इन खेलों का पहला गोल्ड मेडल स्वीमिंग में हासिल हुआ था। यह मेडल सचिन नाग ने जीता था और अब तक यह इन खेलों में स्वीमिंग इवेंट्स में भारत का इकलौता गोल्ड मेडल है।
गंगा में डुबकी लगाकर सीखी तैराकी
आजादी से पहले एक आम भारतीय की तरह सचिन ने भी गंगा में डुबकी लगाकर तैराकी करना सीखा। उनकी की प्रतिभा को पहचान दिलाई जमीनी दास ने जो उस समय भारतीय वाटर पोलो टीम के कप्तान थे। जमीनी नाग को कोलकाता ले गए और वहां उन्हें ट्रेनिंग दी। नाग जहां ट्रेनिंग करते थे वहां देश के नेशनल स्वीमिंग चैंपियंस संतोष भट्टाचार्य, गौर मुर्खजी और आराती साहा भी ट्रेन करते थे। यहीं पर सचिन की तैराकी में और दिलचस्पी बढ़ी।
1951 में 100 मीटर फ्रीस्टाइल में जीता था गोल्ड
1948 के ओलंपिक खेलों में वह उस वाटर पोलो टीम का हिस्सा थे जिन्होंने चीली को मात दी थी। इसके बाद वह तैराकी में आए और वहां भी झंडे गाड़ दिए। 1951 में भारत ने तैराकी में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। भारत ने इन खेलों के स्वीमिंग छह मेडल हासिल किए थे जिसमें एक गोल्ड, दो सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल हासिल किए थे। जिसमें से तीन मेडल अकेले सचिन नाग ने हासिल किए थे।
सचिन नाग ने 100 मीटर फ्रीस्टाइल में गोल्ड मेडल जीता था। वह सबसे तेज स्विमर साबित हुए थे। इसके लिए तबके प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उनकी काफी तारीफ की थी। वह प्रोटोकॉल तोड़कर सचिन को गले लगाने पहुंच गए थे। सचिन इसे अपनी जिंदगी का सबसे खास पल मानते थे।
2020 में सचिन को दिया गया खेल रत्न अवॉर्ड
सचिन ने देश का मान बढ़ाया लेकिन उनका सम्मान करने में देश ने काफी देर कर दी। 1982 में जब भारत ने दूसरी बार एशियन गेम्स की मेजबानी की थी तब सचिन को बुलावा नहीं दिया गया था। उन्हें सरकार की तरफ से कोई सम्मान या आर्थिक मदद नहीं दी गई थी। उनके परिवार का मानना है कि सचिन को पूरी जिंदगी जिस सम्मान का इंतजार था वह उन्हें कभी नहीं मिला। सचिन नाग ने 1987 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इसके 36 साल बाद 2020 में जाकर सचिन नाग को सबसे बड़े खेल अवॉर्ड खेल रत्न सम्मान दिया गया था।