भारतीय खिलाड़ियों ने हांगझू में हुए एशियन गेम्स में देश के लिए मेडल्स की लाइन लगा दी। 107 मेडल्स जीतकर भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। जहां एक ओर कई युवा खिलाड़ी अपने पहले ही एशियन गेम्स में छा गए वहीं दूसरी ओर देश के दिग्गज खिलाड़ियों ने फैंस को निराश किया। जिन खिलाड़ियों से देश को गोल्ड की उम्मीदें थी वह खाली हाथ वापस आए।

पीवी सिंधु

भारत की स्टार शटलर पीवी सिंधु ने जकार्ता 2018 एशियन गेम्स में महिला एकल स्पर्धा में रजत पदक जीता था। इस बार वह खाली हाथ रहीं। सिंधु साल की शुरुआत से ही खराब फॉर्म से जूझ रही थी। क्वार्टर फाइनल मुकाबले में सिंधु को चीन की बींगजीओ ने 47 मिनट में 16-21, 12-21 से मात दी और वह टूर्नामेंट से बाहर हो गई।

बजरंग पूनिया

पिछले एशियन गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट बजरंग पूनिया इस बार खाली हाथ रहे। बजरंग ने इस साल एशियन गेम्स से पहले किसी भी टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया था। इसके बावजूद उन्हें ट्रायल्स में छूट दी गई और वह सीधे एशियन गेम्स खेलने पहुंचे। बजंरग क्वार्टर फाइनल में ईरान के रहमान अमौजदखलीली से 8-1 से हारे। इसके बाद वह ब्रॉन्ज मेडल खेलने पहुंचे लेकिन वहां भी उनके हाथ हार ही आई।

मनिका बत्रा

भारत की टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा भी इस बार खाली हाथ वापस लौटी। उन्होंने टीम इवेंट के अलावा सिंगल्स और मिक्स्ड डबल्स में जी साथियान के साथ हिस्सा लिया। मिक्स्ड डबल्स वर्ग में वह केवल एक ही जीत हासिल कर पाई। मनिका सिंगल्स के क्वार्टर फाइनल में पहुंची लेकिन देश के लिए मेडल पक्का नहीं कर पाई।

मीराबाई चानू

भारत की ओलंपिक मेडलिस्ट वेटलिफ्टर मीराबाई चानू अपने पहले एशियन गेम्स में मेडल नहीं जीत पाई। मेडल लाने की कोशिश में वह चोटिल भी हो गईं। मीराबाई चान ने 191 किग्रा का वजन उठाने में सफल रहीं लेकिन आखिरी लिफ्ट में उनकी जांघ में चोट आ गई। मीराबाई मेडल की सबसे बड़ी दावेदारों में शामिल है।

शिव थापा

भारत के दिग्गज बॉक्सर शिव थापा से इस बार मेडल की उम्मीद थी कि इस बाहर वह देश के लिए मेडल लाएंगे लेकिन उन्होंने भी निराश किया। रिकॉर्ड छह बार एशियाई चैम्पियनशिप पदक जीतने वाले शिवा को पहले दौर में बाई मिली थी, वह प्री क्वार्टरफाइनल में कुलताएव के लगातार मुक्कों और फुर्ती के सामने पस्त हो गए।