भारत के लंबी रेस के एथलीट कार्तिक कुमार और गुलवीर सिंह ने शनिवार को एशियन गेम्स की पुरुष 10,000 मीटर रेस स्पर्धा में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते। कार्तिक ने 28:15.38 सेकेंड के समय से रजत और गुलवीर ने 28:17.21 सेकेंड के समय से कांस्य पदक जीता। दोनों भारतीय अंतिम 100 मीटर में पदक की दौड़ में शामिल हुए जब तीन साथी प्रतिस्पर्धी टकराकर एक दूसरे के ऊपर गिर गये। बाहरेन के र्बिहानू येमाताव ने 28:13.62 सेकेंड के समय से स्वर्ण पदक जीता।
कार्तिक तोड़ना चाहते थे नेशनल रिकॉर्ड
कार्तिक का इससे पहले व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय 28:55.00 सेकेंड था जो उन्होंने पिछले साल राष्ट्रीय खेलों में कांस्य पदक जीतकर हासिल किया था। उन्होंने जून में राष्ट्रीय अंतरराज्यीय चैम्पियनशिप में 29:01.84 सेकेंड से स्वर्ण पदक जीता था। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के कार्तिक ने कहा, ‘‘मैं जानता था कि मैं पदक जीतूंगा लेकिन मैं 27:50 सेकेंड समय से राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने के लक्ष्य के साथ आया था। पर मैं ऐसा नहीं कर सका। मैं रेस में बीच में थोड़ा धीमा रहा, शुरू से ही रेस धीमी रही। ’’
पिता नहीं उठा पाते थे जूतों का खर्च
कुछ साल पहले तक कार्तिक गांव की सड़कों पर दौड़ लगाते थे ताकि सेना में भर्ती हो सके। पिता वीर सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कई बार कार्तिक दौड़ते-दौड़ते इतना दूर निकल जाते थे कि उन्हें वापस बुलाने के लिए किसी और को भेजना पड़ता था। कार्तिक के जूते बहुत जल्दी बेकार हो जाते थे क्योंकि वह बहुत लंबी दूरी तक दौड़ते थे। पिता के लिए 700-800 रुपए के जूतों का जुगाड़ करना मुश्किल होता था। हालांकि सेना में आने के बाद उनकी यह मुश्किल दूर हो गई।
बच्चों के लिए चीन से जूते लाएंगे कार्तिक
कार्तिक का गांव में बेसब्री से इंतजार हो रहा है। वह जब भी गांव में आते हैं तो बच्चों को प्रेरित करते हैं। गांव के ही ट्रैक पर अभ्यास करते हैं। इस बार वह एक चैंपियन के तौर पर आएंगे। उनके स्वागत की तैयारी की जा रही है। चीन से कार्तिक सिर्फ मेडल ही नहीं बल्कि जूते भी लाने वाले हैं। वीर सिंह ने कहा, ‘वह गांव के बच्चों के लिए किट और जूते लेकर आने वाला है और उन्हीं के साथ जश्न मनाएगा।