अमित कामथ
इस साल चीन के हांगजो में होने एशियन गेम्स में भारत के घुड़सवार आशीष लिमाय हिस्सा लेने वाले हैं। पिछली बार फवाद मिर्जा ने इन खेलों में सिल्वर मेडल जीता था और इस बार यह जिम्मेदारी आशीष पर होगी। सालों पहले जब आशीष ने तांगेवाले के घोड़े के साथ घुड़सवारी करना शुरू किया तब उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि एक दिन वह इस खेल में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।
10 साल की उम्र से कर रहे हैं घुड़सवारी
पुणे के रहने लिमाय डॉक्टर परिवार से आते हैं। उनके माता-पिता दोनों डॉक्टर हैं। जब वह महज 10 साल के थे तब उन्होंने घुड़सवारी करना शुरू किया था। वह समर कैंप में जाते थे जहां तांगे वाला अपने घोड़े पर बच्चों को सवारी कराता था। यहीं से आशीष के सफर की शुरुआत हुई। उन्हें यह खेल बहुत पसंद आने लगा।
पढ़ाई के कारण घुड़सवारी छोड़ी
आशीष के माता-पिता ने एक रिश्तेदार की सलाह के बाद लिमाय को अर्जुन अवॉर्डी कर्नल जेएमखान की अकेडमी में भर्ती कराया जहां इस खिलाड़ी ने घुड़सवारी की बारीकियां सीखीं। हालांकि उन्हें जल्द ही एहसास हो गया कि इस खेल को प्रोफेशन बनाना काफी महंगा है। इसी कारण उन्होंने ब्रेक लिया और इस दौरान इंजीनियरिंग की। चार साल के ब्रेक बाद वह फिर से घुड़सवारी करने लगे।
एशियन गेम्स में मेडल जीतने की है तैयारी
आशीष ने कई टूर्नामेंट्स में हिस्सा लिया जिसके बाद एंबेसी इंटरनेशनल राइडिंग स्कूल ने उन्हें स्पॉन्सर करने का फैसला किया। उन्होंने पहले आशीष को बच्चों को ट्रेन करने को कहा और इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजा। आशीष के स्टुडेंट्स ने अलग-अलग एजग्रुप में हिस्सा लिया और कामयाबी हासिल की। आशीष को यहां कई घोड़ों पर सवार होने का मौका मिला। उन्हें इसका बहुत फायदा हुआ था। आशीष को चीन जाना है जहां उनकी नजर देश के लिए मेडल लाने पर होगी। पिछले एशियन गेम्स में फवाज मिर्ज सिल्वर जीतने वाले देश के पहले खिलाड़ी बने थे।