ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड बुधवार से ऐशेज सीरीज के पहले मैच में उतरेंगी तो दोनों टीमों का बहुत कुछ दांव पर लगा होगा। इस सीरीज में दोनों कप्तानों एलिस्टयर कुक और माइकल क्लार्क की साख भी दांव पर लगी होगी। विश्व कप मुकाबले में अंतिम आठ में जगह बनाने में नाकाम रही इंग्लैंड की टीम ने पहले वेस्ट इंडीज और फिर न्यूजीलैंड के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन कर ऑस्ट्रेलियाई टीम को एक तरह से चेतावनी भी दी है कि उसे हल्के में लेने की वह भूल न करे।
दोनों कप्तानों के हालिया फॉर्म की बात करें तो कुक जरूर क्लार्क से बीस नजर आ रहे हैं। उनके बल्ले से रन निकल रहे हैं और उन्होंने जिस तरह का प्रदर्शन हाल में किया है उससे टीम के हौसले भी बुलंद होंगे। कुक ने पिछले दो साल में एक भी शतक नहीं लगाया था लेकिन वेस्ट इंडीज और न्यूजीलैंड के खिलाफ दो शतक लगाकर उन्होंने फार्म में वापसी के संकेत दिए हैं। इस दौरान वे ग्राहम गूच को पीछे छोड़ते हुये इंग्लैंड की तरफ से सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज भी बन गए हैं।इंग्लैंड के समर्थक बुधवार को काडिफ पर उनसे एक और बेहतरीन पारी की उम्मीद लगाए होंगे।
एशेज की पिछली सीरीज ऑस्ट्रेलिया के नाम रही थी। उसने मुकाबला 5-0 से जीता था। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मिशल जानसन के कमाल भरे प्रदर्शन से उसने इंग्लैंड को करारी मात दी थी। इससे पहले इंग्लैंड ने लगातार तीन बार ऐशेज जीता था। लेकिन आस्ट्रेलिया ने पिछली बार उसकी जीत के सिलसिले थाम दिया था।
इंग्लैंड ने 2009 की सीरीज 2-1 से, 2010-11 की सीरीज 3-1 और 2013 की सीरीज 3-0 से जीता था। दो साल पहले ऑस्ट्रेलया ने इंग्लैंड का दौरा किया था और तब इंग्लैंड ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। ऑस्ट्रेलियाई टीम उस सीरीज में कुछ खास नहीं कर पाए थे। न तो उनकी बल्लेबाजी चली थी और न ही गेंदबाजों ने अपनी धमक दिखाई थी।
दो साल बाद ऑस्ट्रेलिया फिर इंग्लैंड में है और मेजबान टीम पिछली हार को भूली नहीं होगी। इसलिए रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद की जारही है। यों भी आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीमें जब मैदान पर आमने-सामने होती हैं तो बहुत कुछ दांव पर लगा होता है। आइसीसी रैंकिंग में आस्ट्रेलिया फिलहाल 111 अंकों के साथ दूसरे और इंग्लैंड 97 रनों के साथ छठे स्थान पर है। लेकिन मैदान पर रैंकिंग बहुत मायने नहीं रखती। और जब मैदान अपना हो और दर्शकों का भी साथ मिले तो इंग्लैंड को हरा पाना आसान नहीं है।
यों इंग्लैंड ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ तीन टैस्ट मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर खेली। फिर घरेलू मैदान पर न्यूजीलैंड के साथ भी सीरीज 1-1 से ड्रा रही थी। दूसरी तरफ, आस्ट्रेलिया ने वेस्ट इंडीज को उसी के घर में 2-0 से हरा कर अपनी श्रेष्ठता साबित की है। दोनों टीमों के वर्तमान र्फाम की बात करें तो आस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी रहता है लेकिन कुक, जो रूट, इयन बेल जिस तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं उसे देखते हुए इंग्लैंड को कम कर आंकना सही नहीं होगा।
वैसे माइकल क्लार्क ने इस बात के संकेत दिए हैं कि उनकी टीम आक्रामक क्रिकेट खेलेगी। क्लार्क भले जो कहें लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि आंकड़े और रेकार्ड उनके पक्ष में नहीं है। 2001 के बाद आस्ट्रेलियाई टीम इंग्लैंड को उसकी सरजमीं पर हरा कर ऐशेज जीतने में नाकाम रही है। यह रेकार्ड यकीनन कुक और पूरी इंग्लैंड टीम मनोबल बढ़ाने वाला है।
लेकिन असली परख तो मैदान पर ही होती है। क्लार्क चौथी बार इंग्लैंड दौरे पर हैं इसलिए उनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जारही है। वैसे गेंदबाजी आक्रमण में मिशल जानसन व मिशल स्टार्क व जोश हेजलवुड पर दारोमदार रहेगा तो बल्लेबाजी में डेविड वार्नर, स्टीवन स्मिथ व क्रिस रोजर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होगी।
कुक के सामने बड़ी चुनौती है। टीम के ज्यादातर खिलाड़ी युवा हैं। लेकिन टीम ने जिस तरह का प्रदर्शन वेस्ट इंडीज और न्यूजीलैंड के खिलाफ किया है उससे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ा होगा। स्टुअर्ट ब्राड, जेम्स एंडरसन का अनुभव गेंदबाजी में जरूर काम आएगा लेकिन बड़ा सवाल यह है कि टीम आदिल रशीद और मोईन अली में से किस के साथ जाना पसंद करेगी। अपने मैदान पर एंडरसन और ब्राड काफी खतरनाक साबित होते रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को ये परेशानी में डाल सकते हैं।
बल्लेबाजी में न सिर्फ कुक को बड़ी पारी खेलनी होगी बल्कि बेल, रूट और गैरी बैलेंस को भी बड़ा स्कोर खड़ा करना होगा। इंग्लैंड के लिए तसल्ली की बात कुक की फार्म में वापसी है। वे अगर आगे बढ़ कर टीम को लीड करेंगे तो ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण को ध्वस्त करने का उनमें दमकखम है। वैसे भी 2010-11 की सीरीज में कुक ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था और 766 रन बनाए थे। कुक अपने इस प्रदर्शन को इस सीरीज में आगे बढ़ाना चाहेंगे। कुक चल गए तो फिर इंग्लैंड के लिए बहुत कुछ आसान हो जाएगा। कार्डिफ पर रोमांचक मुकाबले की उम्मीद है। बस थोड़ा, इंतजार करें, इस रोमांच का।
(फ़ज़ल इमाम मल्लिक)