भारत के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह का इंग्लैंड में टेस्ट डेब्यू का मौका नहीं मिला। पहले कुछ मैचों में टीम प्रबंधन ने उन पर विचार नहीं किया। फिर चौथे मैच से पहले वह चोटिल हो गए। बाएं अंगूठे में चोट लगने के कारण उन्हें मैनचेस्टर में चौथे टेस्ट से बाहर होना पड़ा। ओवल में होने वाले पांचवें और अंतिम टेस्ट के लिए समय पर फिटनेस हासिल करने के बावजूद टीम प्रबंधन ने उन्हें नहीं चुना।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बुची बाबू टूर्नामेंट के लिए चेन्नई में मौजूद पंजाब के गेंदबाजी कोच गगनदीप सिंह ने स्वीकार किया कि इंतजार ने अर्शदीप के धैर्य की परीक्षा ली है। गगनदीप सिंह ने अर्शदीप को लेकर कहा, ” कुछ महीने पहले जब वह इंग्लैंड में थे तो मैंने उनसे बात की थी। वह इस बात से बेचैन हो रहा थे कि उन्हें मौका नहीं मिल रहा है। मैंने उनसे बस इतना कहा,’आपको अपने समय का इंतजार करना होगा।’ मुझे लगता है कि उन्हें इंग्लैंड में उन्हें खिलाना चाहिए था क्योंकि वह एक स्विंग गेंदबाज हैं और लंबे हैं, सब कुछ ठीक है। मुझे टीम संयोजन नहीं पता। शायद कोच (गौतम गंभीर) और कप्तान (शुभमन गिल) को उन पर भरोसा नहीं था।”
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अर्शदीप को टेस्ट कैप हासिल करने के लिए क्या करना होगा
अर्शदीप सिंह ने 2022 में छोटे प्रारूप में डेब्यू कर लिया था। उन्हें टेस्ट कैप हासिल करने के लिए क्या करना होगा? इसे लेकर गगनदीप सिंह ने कहा, ” वह और स्विंग और सटीकता के साथ एक बेहतर गेंदबाज बन सकते हैं। मैंने उन्हें पिछले कुछ महीनों से नहीं देखा है, लेकिन उम्मीद है कि जब मैं मिलूंगा तो मैं उनका बेहतर आकलन कर पाऊंगा। हाल के मैचों में मैंने जो देखा है, उससे पता चलता है कि वह लाइन और लेंथ, यॉर्कर गेंदों और खासकर बाउंसर पर ज्यादा काम कर सकते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे प्रभावी गेंदें हैं।
गगनदीप ने अर्शदीप की हुनर निखारने में मदद की
गगनदीप ने 2021 और 2022 के घरेलू सीजन में पंजाब के साथ अर्शदीप को उनके हुनर को निखारने में मदद की। इसके बाद बाएं हाथ के तेज गेंदबाज को मौका मिला। गगनदीप ने उस समय के इस नए गेंदबाज को लाइन और लेंथ, स्पॉट बॉलिंग और कलाई की पोजिशन की बारीकियां सिखाईं। उन्होंने कहा, “जब मैं पंजाब टीम से जुड़ा तब अर्शदीप ने अभी-अभी मुख्य रूप से टी20 क्रिकेट खेला था। उस समय अर्शदीप स्टंप से दूर गेंदें फेंक रहे थे और धीमी गेंदों पर ज्यादा निर्भर थे, लेकिन रेड बॉल क्रिकेट में यह तरीका काम नहीं करता। इसलिए हमारा ध्यान उनकी लाइन और लेंथ को मजबूत करने, स्पॉट बॉलिंग करने और कलाई की स्थिति सुधारने पर था। हमने यह सुनिश्चित करने पर काम किया कि गेंद सीम पर ज्यादा लगातार पड़े ताकि कटर पर निर्भर रहने के बजाय नेचुरल स्विंग पर ध्यान रखा जाए।”
