भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली और पूर्व दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले के बीच चला आ रहा विवाद आखिरकार थम गया। कुंबले ने मंगलवार को टीम इंडिया के कोच पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सचिन तेंडुलकर का भी बतौर कप्तान अपने कोच से मनमुटाव रह चुका है। उस वक्त टीम के कोच थे, 1983 की विश्व कप विजेता टीम के कप्तान कपिल देव। शायद यह सुनकर आपको यकीन न हो। क्योंकि कपिल और सचिन बेहद शालीन स्वभाव के खिलाड़ी माने जाते हैं। लेकिन यह सच है।
अपनी अॉटोबायोग्राफी ‘प्लेइंग इट माइ वे’ में सचिन ने कपिल से अपनी नाखुशी का जिक्र किया था। सचिन ने दावा किया था कि 2000 के अॉस्ट्रेलियाई दौरे पर वह कपिल के रवैये से निराश थे। सचिन ने कहा था कि कपिल कभी खुद को टीम के रणनीतिक फैसलों में शामिल नहीं करते थे। किताब के चैप्टर Tumultuous Times: India in Australia, November 1999-January 2000 में सचिन ने लिखा, मेरी कपिल देव से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं। बतौर कप्तान मेरा दूसरा कार्यकाल था और कपिल हमारे कोच थे। वह भारत के सबसे शानदार खिलाड़ियों में से एक होने के अलावा दुनिया के बेहतरीन अॉलराउंडर भी थे।
सचिन ने लिखा, मेरा हमेशा मानना रहा है कि कोच का पद बेहद अहम होता है और वह टीम की रणनीति तय वालों में शामिल थे। अॉस्ट्रेलिया के मुश्किल दौरे पर कपिल से बेहतर मुझे टिप्स कौन दे सकता था? सचिन ने लिखा, उनका शामिल होना और विचार यही था कि टीम को कप्तान के हाथों में छोड़ देना चाहिए। इसलिए वह उन रणनीतिक बैठकों में शामिल नहीं होते थे, जो हमें मैदान पर मदद दे सकती थीं। सचिन ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा कि बतौर कप्तान उनके कुछ फैसले कारगर साबित नहीं हुए, लेकिन जब वही रणनीति दूसरे कप्तानों ने अजमाई तो वह काम कर गई।
सचिन 1997 शाहजाह सीरीज के बारे में कहते हैं कि उन्होंने नंबर 3 पर रॉबिन सिंह को बल्लेबाजी करने भेजा, लेकिन वह फेल रहे और उन्हें मीडिया की आलोचना का शिकार बनना पड़ा। सचिन ने कहा, पाकिस्तान के खिलाफ 14 दिसंबर का मैच दिखाता है कि किस तरह चीजें मेरे तरीकों के मुताबिक नहीं हो रही थीं। सिलेक्टर्स के कहने पर मैं नंबर 4 पर बैटिंग करने उतरा। सौरव गांगुली और नवजोत सिंह सिद्धू ने पाकिस्तान के खिलाफ हमें बेहतर शुरुआत दी, लेकिन 143 पर सिद्धू के आउट होने के बाद मैंने नंबर 3 पर रॉबिन सिंह को पारी संभालने भेजा। लेकिन वह बिना खाता खोले ही आउट हो गए और यह एक्सपेरिमेंट त्रासदी साबित हुआ। रॉबिन को अपने से पहले ऊपर भेजने और मैच हारने को लेकर मेरी कड़ी आलोचना हुई।
सचिन ने लिखा, एक महीने बाद जब मोहम्मद अजहरुद्दीन ने कप्तानी संभाली तो ढाका में पाकिस्तान के खिलाफ सिल्वर जुबली इंडिपेंडेंस कप में वही रणनीति अपनाई। रॉबिन सिंह को सौरव के आउट होने के बाद 3 नंबर पर भेजा गया और उन्होंने 82 रन ठोक डाले। सचिन ने लिखा कि इसलिए कहा जाता है कि कामयाबी के कई पिता होते हैं, लेकिन नाकामयाबी अनाथ होती है।
