भारत की महान एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज को विश्व एथलेटिक्स ने देश में प्रतिभाओं को तराशने और लैंगिक समानता की पैरवी के लिए वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला का पुरस्कार दिया है। विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय अंजू (पेरिस 2003) को सालाना पुरस्कारों के दौरान इस सम्मान के लिए चुना गया ।

विश्व एथलेटिक्स ने एक विज्ञप्ति में कहा ,‘‘पूर्व अंतरराष्ट्रीय लंबी कूद खिलाड़ी भारत की अंजू बॉबी जॉर्ज अभी भी खेल से जुड़ी है । उसने 2016 में युवा लड़कियों के लिये प्रशिक्षण अकादमी खोली जिससे विश्व अंडर 20 पदक विजेता निकली है।’’

इसमें कहा गया ,‘‘ भारतीय एथलेटिक्स महासंघ की सीनियर उपाध्यक्ष होने के नाते वह लगातार लैंगिक समानता की वकालत करती आई हैं। वह खेल में भविष्य में नेतृत्व के लिये भी स्कूली लड़कियों का मार्गदर्शन कर रही हैं ।’’

5 साल की उम्र में बनीं एथलीट

अंजू बॉबी जॉर्ज का जन्म 19 अप्रैल 1977 को केरल के कोट्टायम जिले के कस्बे चीरनचीरा में हुआ था। उन्होंने 5 साल की उम्र से ही एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू कर दिया था। अंजू स्कूल में लॉग जम्प, हाई जम्प, 100 मीटर दौड़ और हैप्थलॉन जैसे खेलों को खेलती थी। अंजू भारत की उड़न परी कही जाने वाली पीटी ऊषा को अपना आदर्श मानती थीं।

एक किडनी होने के बावजूद मनवाया लोहा

आपको बता दें पिछले साल अंजू ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि, ‘वे बहुत भाग्यशाली हैं। सिंगल किडनी, दवाओं की एलर्जी, एक पैर की समस्या के साथ भी मैं विश्व स्तर पर पहुंची। कई सीमाएं थीं… तब भी मैंने सफलताएं हासिल कीं. क्या हम इसे कोच का जादू या उनकी प्रतिभा कह सकते हैं।’

विश्व एथलेटिक्स द्वारा ये सम्मान देने परअंजू ने भी इसे लेकर ट्वीट करते हुए कहा कि, वह यह सम्मान पाकर गौरवान्वित और अभिभूत हैं । उन्होंने ट्वीट किया और लिखा,’सुबह उठकर खेल के लिये कुछ करने से बेहतर अहसास कुछ नहीं है। मेरे प्रयासों को सराहने के लिये धन्यवाद।’

गौरतलब है कि केरल की रहने वाली अंजू ने आईएएएफ (IAAF) विश्व चैम्पियनशिप पेरिस में 2003 में कांस्य पदक जीता और 2005 में मोनाको में आईएएएफ विश्व एथलेटिक्स फाइनल्स में स्वर्ण पदक विजेता रहीं। वह 2004 एथेंस ओलंपिक में छठे स्थान पर रही थीं लेकिन अमेरिका की मरियोन जोंस को डोपिंग मामले के कारण अयोग्य करार दिए जाने के बाद वह पांचवें स्थान पर आ गईं।