हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) को बड़ा झटका लगा है। वित्तीय स्थिरता को लेकर हॉकी इंडिया के साथ पैदा मतभेदों के बाद उत्तर प्रदेश की फ्रेंचाइजी यूपी रुद्रास प्रतियोगिता से हट गई है। इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि 24 सितंबर को होने वाली मिनी ऑक्शन से कुछ दिन पहले लिए गए इस फैसले की जानकारी हॉकी इंडिया को रविवार शाम 21 सितंबर को दी गई।

HIL 2024-25 में 5वें स्थान पर रही थी यूपी रुद्रास

यदु स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व वाली यूपी रुद्रास इस साल की शुरुआत में नए सिरे से तैयार किए गए एचआईएल के पहले सीजन में पांचवें स्थान पर रही थी। इस टीम में कई शीर्ष भारतीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी शामिल थे, जिनमें भारतीय हॉकी टीम के उप-कप्तान हार्दिक सिंह, हाल ही में संन्यास लेने वाले फॉरवर्ड ललित उपाध्याय, इंग्लैंड के सैम वार्ड, बेल्जियम के टैंगुई कोसिंस और नीदरलैंड्स के लार्स बाल्क शामिल थे। भारत और नीदरलैंड्स के पूर्व प्रशिक्षक पॉल वैन ऐस यूपी रुद्रास के कोच थे।

रिप्लेसमेंट मिलने तक HIL में रहेंगी 7 टीमें

यूपी रुद्रास के हटने से जब तक कोई रिप्लेसमेंट टीम या नया मालिक नहीं मिल जाता, तब तक पुरुष टूर्नामेंट में सात टीमें रह जाएंगी। हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सीजन शुरू होने से पहले कोई समाधान निकल आएगा। भोला नाथ सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमें रविवार शाम को टीम मालिकों से एक ईमेल मिला। हम स्थिति संभाल लेंगे, लीग जारी रहेगी।’

वित्तीय अनुमानों पर स्पष्टता न मिलना है वजह

जब यूपी रुद्रास से संपर्क किया गया तो टीम के एक पदाधिकारी ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि सोमवार को बाद में एक बयान जारी किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि रुद्रास प्रबंधन ने हॉकी इंडिया से लीग के वित्तीय अनुमानों पर स्पष्टता न मिलने के बाद इसे स्थगित कर दिया। दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 तक चलने वाले पहले सीजन में टीमों ने लगभग 14 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें 7 करोड़ रुपये की फ्रेंचाइजी फीस, वेतन के रूप में 4 करोड़ रुपये और संचालन लागत शामिल थी।

HIL से हटने वाली तीसरी फ्रेंचाइजी है यूपी रुद्रास

हॉकी इंडिया लीग से सिर्फ एक सीजन के बाद हटने वाली यूपी रुद्रास तीसरी फ्रेंचाइजी है। तीनों फ्रेंचाइजी के पदाधिकारियों ने बताया कि सभी फ्रेंचाइजियों ने ‘नाज़ुक वित्तीय स्थिति’ को लेकर चिंता जताई है। पहला सीजन सिर्फ राउरकेला में खेला गया था। मतलब फ्रेंचाइजियां टिकटों से होने वाली आय का फायदा नहीं उठा पा आईं या प्रायोजन से पर्याप्त धन नहीं जुटा पाईं, क्योंकि वे अपने बेस से हजारों मील दूर खेल रही थीं।

‘हर साल 14-15 करोड़ गंवाना मुश्किल’

एक फ्रेंचाइजी के पदाधिकारी ने बताया, ‘बिना यह जाने कि स्थायित्व के लिए दीर्घकालिक योजनाएं क्या हैं, टीमों के लिए हर साल 14-15 करोड़ रुपये गंवाना मुश्किल है। टीमें वित्तीय पहलुओं पर स्पष्टता की मांग कर रही थीं। चूंकि यूपी रुद्रास के मालिकों को यह नहीं मिला और वे हॉकी इंडिया की योजनाओं से सहमत नहीं थे, इसलिए उन्होंने हटने का फैसला किया।’

हम किसी को लिखित में नहीं दे सकते: भोलानाथ

हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने लीग शुरू होने से पहले सभी टीमों के साथ अपने अनुमान साझा किए थे। भोला नाथ सिंह ने कहा, ‘हमने उन्हें बताया था कि पहले दो सीजन कठिन होंगे और तीसरे सीजन से चीजें बदल सकती हैं। अगर कोई हमसे लिखित में चाहता है, तो हम उसे नहीं दे सकते।’

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की के अनुसार, विशाखापत्तनम स्थित टीम गोनासिका ने ‘व्यक्तिगत कारणों’ का हवाला देते हुए पुरुष लीग से नाम वापस ले लिया है। महिला वर्ग में, नवोयम स्पोर्ट्स के स्वामित्व वाली ओडिशा वॉरियर्स ने भी नाम वापस ले लिया है। ओडिशा वॉरियर्स ने ही सूरमा हॉकी क्लब को 2-1 से हराकर एचआईएल जीता था।

ओडिशा वॉरियर्स अपने खिलाड़ियों को तब तक भुगतान करने में असमर्थ थे जब तक हॉकी इंडिया ने हस्तक्षेप नहीं किया और लीग जीतने पर टीम को मिलने वाली पुरस्कार राशि से बकाया राशि का भुगतान नहीं किया। दोनों टीमों के खिलाड़ी नीलामी पूल में शामिल होंगे। गोनासिका और ओडिशा के संचालन को एक नई टीम रांची रॉयल टस्कर्स ने अपने अधीन कर लिया है। रांची रॉयल टस्कर्स आगामी सीजन में पदार्पण करेगी।