कई बार आपने आलोचकों से सुना होगा-जब भी सचिन अच्छा खेलते हैं, भारत मैच हार जाता है। लेकिन यह सच नहीं है। सचिन ने वनडे में 49 शतक लगाए हैं, जिसमें से 33 मौकों पर भारत जीता है। इन मौकों पर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर ने 234 वनडे मैचों में 11157 रनों के अलावा 33 शतक और 59 अर्धशतक लगाए हैं। इस दौरान उनका औसत 33 का था। भले ही सचिन ने कुछ ही मैचों में मैच विनिंग परफॉर्मेंस दी हो, लेकिन ये वह मौके थे, जब टीम को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। सचिन का दो विश्व कप फाइनल (2003 और 2011) में प्रदर्शन कुछ खास नहीं था, लेकिन टीम को वहां तक पहुंचाने में उन्होंने बेहद अहम रोल अदा किया था। अपने पूरे करियर में वह भारतीय टीम के बैटिंग लाइनअप पर जान बने रहे। आइए आपको बताते हैं वे पांच मौके सब सचिन भारत की हार के बीच दीवार बनकर खड़े हो गए थे:

2008 सीबी सीरीज (दूसरा फाइनल) : इस सीरीज के पहले फाइनल में सचिन तेंडुलकर ने शानदार 117 रनों की पारी खेलकर टीम को जीत दिलाई थी। दूसरे फाइनल में भी उनका शानदार प्रदर्शन जारी रहा और उन्होंने 91 रनों की शानदार पारी खेलकर भारतीय टीम के स्कोर को 258 रनों तक पहुंचाया था। जवाब में अॉस्ट्रेलिया की टीम 249 रनों पर आउट हो गई थी और भारत ने सीबी सीरीज पर कब्जा कर लिया था।

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1998 अकाई निदाहास ट्रॉफी : श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में खेले गए इस टूर्नामेंट के फाइनल में सचिन तेंडुलकर ने शानदार 128 रन बनाए थे। इस मैच में सौरव गांगुली ने उनका बखूबी साथ देते हुए 109 रन बनाए थे। दोनों के बीच पहले विकेट के लिए 252 रनों की साझेदारी हुई थी। भारत ने मैच में 307 रन बनाए थे, जिसके जवाब में श्रीलंका की पूरी टीम 301 रन पर आउट हो गई थी।

वर्ल्ड कप 2003, सेंचुरियन : ये मुकाबला भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया था। पहले बल्लेबाजी करते हुए पाक टीम ने 273 रन बनाए थे। हालांकि पिच एेसी थी जो गेंदबाजों और बल्लेबाजों दोनों को ही सपोर्ट कर रही थी। पाक टीम की गेंदबाजी की कमान वसीम अकरम और शोएब अख्तर के हाथों में थी। लेकिन सचिन और सहवाग की जोड़ी ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तानी बॉलिंग लाइन अप की बखिया उधेड़कर रख दी। सचिन ने आउट होने से पहले 98 रनों की पारी खेली थी।

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विल्स कप, 1998 : अगर भारत यह मैच नहीं जीतता तो वह टूर्नामेंट से बाहर हो जाता। अॉस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए इस मैच में भारत के 2 विकेट कुल 8 रनों पर ही गिर गए थे। इसके बाद सचिन और राहुल द्रविड़ के बीच 140 रनों की साझेदारी हुई, जिसकी बदौलत भारत ने 307 रनों का स्कोर खड़ा किया। बल्लेबाजी करने उतरी अॉस्ट्रेलिया की टीम ने पहले विकेट के लिए 51 रन जोड़ डाले। लेकिन बाद में सचिन गेंदबाजी करने आए और अॉस्ट्रेलिया के 4 विकेट चटका दिए। इस मैच में उन्हें मैन अॉफ द मैच चुना गया था।

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टाइटन कप, 1996 : पहले गेंदबाजी करते हुए भारत ने अॉस्ट्रेलियाई टीम को निर्धारित 50 ओवरों में 215 रनों पर समेट दिया था। लेकिन भारत की बल्लेबाजी ग्लेन मैक्ग्राथ, डेमियन मार्टिन और स्टीव वॉ के आगे घुटने टेक गई। लेकिन सचिन अकेले दीवार बनकर खड़े रहे और 88 रनों की शानदार पारी खेली। जिस वक्त वह आउट हुए टीम का स्कोर 8 विकेट पर 164 रन थे। हालांकि अनिल कुंबले और जवागल श्रीनाथ की 9वें विकेट के लिए 52 रनों की साझेदारी के कारण भारत मैच जीत गया था।