2030 Commonwealth Games Ahmedabad: 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी मिलना विश्व पटल पर सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि भारत के लिए नए युग की शुरुआत है। ग्लास्गो में जब पीटी उषा ने मेजबानी के आधिकारिक दस्तावेज हासिल किए, तो यह क्षण देश के खेल इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया।

यह अवसर भारत को खेल महाशक्ति बनने की राह पर आगे बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। हालांकि, साथ ही 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों का कलंक भी याद आता है, जिसने देश की छवि को गहरा धक्का पहुंचाया था। अब 2030 में अहमदाबाद में होने वाला यह आयोजन न केवल गौरव बढ़ाने, बल्कि उस पुराने दाग को धोकर दुनिया को ‘नया भारत’ दिखाने की बड़ी जिम्मेदारी भी लेकर आया है।

इन खेलों से देश में निश्चय ही खेलों का माहौल बनेगा। साल 1930 में कनाडा के हैमिल्टन शहर में प्रथम राष्ट्रमंडल खेल हुए तब भारत ब्रिटिश हुकूमत के अधीन था। तब देश में खेल गतिविधियां अत्यंत कम थीं तो खेलों का आधारभूत ढांचा धरातल पर नहीं था। इस कारण पहले राष्ट्रमंडल खेलों में हमारे देश का पदकों की सूची में खाता भी नहीं खुल सका।

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1934 में इंग्लैंड के लंदन में दूसरे राष्ट्रमंडल खेलों में 16 देशों के लगभग 500 एथलीटों ने भागीदारी की। इन खेलों में पहलवान राशिद अनवर ने 74 किग्रा फ्री-स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर देश का खाता खोला। उसके पश्चात हुए सभी राष्ट्रमंडल खेलों में देश के खिलाड़ियों ने पदक जीतकर पदक तालिका में तिरंगा फहराने का काम किया।

आजादी के बाद देश में खेल सुविधाओं का विस्तार हुआ, नतीजन 2010 नई दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल में भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 38 (स्वर्ण), 27 (रजत), 36 (कांस्य) पदक जीतकर पहली बार पदक तालिका में 100 का आंकड़ा पार कर पदक तालिका में ऑस्ट्रेलिया के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया।

अब दो दशक बाद राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी का अवसर देश के खेल जगत, खिलाड़ियों के लिए बेहतर संभावनाओं के साथ-साथ खेल प्रशासकों, केंद्र व राज्य सरकारों के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। इन खेलों का आयोजन शताब्दी वर्ष के कारण बेहद अहम हो गया है। 100 वर्ष में 15 देशों से शुरू इस आयोजन में 72 देशों की यात्रा का पड़ाव होगा।

2026 ग्लास्गो में नहीं होंगी ये प्रतियोगिताएं

2026 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल बेहद सीमित क्षेत्र, घटे हुए बजट व खेल प्रतियोगिताओं में कटौती कर किए जाएंगे। मात्र 1300 करोड़ रुपये में ये खेल होंगे। बजट में कटौती के कारण कुश्ती, निशानेबाजी, बैडमिंटन, हॉकी जैसे खेलों को बाहर कर दिया गया है। इस कारण इन राष्ट्रमंडल खेलों की लोकप्रियता कम हो सकती है।

2030 अहमदाबाद राष्ट्रमंडल खेलों में 15-17 खेल प्रतियोगिताएं शामिल होने की उम्मीद है। तीरदांजी, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, जूडो, कुश्ती जैसे लोकप्रिय खेलों के पुन: शामिल होने की संभावना है।

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2010 में सामने आया बड़ा घोटाला

2010 नई दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में अनुमानित 1600 करोड़ का बजट 70,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। यही वजह रही कि भारतीय खिलाड़ियों का पदक तालिका में शतक लगाना पृष्ठभूमि में चला गया और आयोजन समिति के चेयरमैन सुरेश कलमाड़ी व उनके सहयोगियों के घोटाले चर्चा में आ गए।

2010 राष्ट्रमंडल खेलों का घोटाला चुनावी मुद्दा बना। अब 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी भारत को मिली है। यह अवसर ओलंपिक खेलों की मेजबानी की ओर एक बड़ा कदम है। साल 2030 में राष्ट्रमंडल खेलों का सफल व भव्य आयोजन निश्चित रूप से देश को ओलंपिक खेलों की मेजबानी की ओर अग्रसर करेगा।

राष्ट्रमंडल खेलों का यह आयोजन साधारण नहीं है। देश के खिलाड़ियों को उम्मीद जगी है कि देशभर में जमीनी स्तर पर खेल सुविधाओं का विकास और विस्तार होगा। आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण नए खेल परिसर देश को मिलेंगे।