मानव विज्ञान (एंथ्रोपोलॉजी) में जीव विज्ञान, मानविकी और भौतिक विज्ञान की जानकारियों का अध्ययन कर मानव विकास के बारे में नई जानकारी निकाली जाती है। इस पाठ्यक्रम में मानव विकास के इतिहास और वर्तमान का अध्ययन भी शामिल है। अगर आपकी रुचि मानव के विकास को समझने में है तो मानव विज्ञान आपके करिअर के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। मानव विज्ञान मानव समानताएं और मतभेदों का तुलनात्मक अध्ययन है। यह करीब 40 लाख साल पुरानी मानव प्रजाति के जैविक और सांस्कृतिक इतिहास से जुड़ा है। शुरुआती दौर में मानव विज्ञान का उपयोग उपनिवेशितों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता था, लेकिन मौजूदा समय में इसका इस्तेमाल मनुष्य जाति और उसके विकास को समझने के लिए किया जाता है। क्लाउड लेवी स्ट्रॉस, एमाईल दुर्खीम, लुइस एच मोर्गन, फ्रांज बोआस, ब्रोनीस्लो मालीनोस्की, एडवर्ड बर्नेड टेलर आदि को मानव विज्ञान का जनक माना जाता है।

मानव विज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है। इस क्षेत्र में तेजी से नौकरी उपलब्ध हो रही हैं। हालांकि अभी भी विदेश में नौकरियों की संख्या अधिक है। इस पाठ्यक्रम को करने के बाद विदेश में नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है। निकट भविष्य में भारत में भी नौकरियों में बढ़ोतरी की संभावना है। आइएएस करने के लिए यह अच्छा विषय है। – प्रोफेसर अनूप कपूर, डीयू

शैक्षणिक योग्यता: विज्ञान विषयों से बाहरवीं पास करने के बाद विद्यार्थी मानव विज्ञान के विषय में स्नातक कर सकते हैं। स्नातक के स्तर पर मानव विज्ञान में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी ही स्नातकोत्तर स्तर पर मानव विज्ञान की पढ़ाई कर सकते हैं। मानव विज्ञान में एमएससी करने बाद विद्यार्थी इस पेशे में शुरुआती स्तर की नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय विकास एजंसियों के साथ काम करने के लिए इस विषय में पीएचडी करना बेहतर विकल्प है। इसके बाद करिअर के अन्य अच्छे विकल्प भी खुलते हैं। विद्यार्थी इससे जुड़ी प्रवेश परीक्षा को पास कर विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला पा सकते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय सहित कुछ अन्य विश्वविद्यालयों में इस पाठ्यक्रम में बारहवीं के अंकों के आधार पर दाखिला दिया जाएगा।

शिक्षण भी विकल्प: अप्लाइड एंथ्रोपोलॉजिस्ट सरकारी एजेंसियों में जन्म नियंत्रण, कुपोषण, विकास, चिकित्सा, किशोर अपराध, कृषि विधि, आदिवासी कल्याण और पुनर्वास जैसी समस्याओं को सुलझाने का काम करते हैं। भारत में मानव विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए रोजगार के कई सुनहरे विकल्प उपलब्ध हैं। वे एक शिक्षक, शोधकर्ता या किसी म्यूजियम में संबंधित पद पर नौकरी पा सकते हैं।

वेतनमान: मानव विज्ञान के क्षेत्र में स्नातक डिग्री करने के बाद विद्यार्थियों को शुरुआती तौर पर 10 हजार रुपए महीने की नौकरी आराम से मिल जाती है। यदि उम्मीदवार ने स्नातकोत्तर या पीएचडी की है तो उसकी नौकरी 20 हजार रुपए शुरू हो सकती है। अन्य क्षेत्रों की तरह इस क्षेत्र में भी अनुभव बहुत मायने रखता है। जैसे-जैसे अनुभव बढ़ेगा वेतनमान भी बढ़ता जाएगा। इस क्षेत्र के पेशेवरों को शोध प्रोजेक्ट भी मिलते हैं जिनमें अधिक कमाई हो जाती है। अगर कोई विदेशी प्रोजेक्ट मिल जाए तो कमाई भी कई गुना बढ़ सकती है।

व्यक्तिगत गुण
’ कठोर शारीरिक श्रम
’ निष्पक्ष और खुले विचारों वाला
’ आदिवासियों/ समुदायों की विभिन्न संस्कृतियों, रिवाजों और इतिहास में रुचि रखने वाला
’ तार्किक दिमाग और अच्छी याददाश्त
’ अनुसंधान में रुचि
’ दूरगामी इलाकों में काम करने सक्षम
’ दस्तावेजों की अच्छी समझ
’ आलोचनात्मक सोच व विश्लेषणात्मक कौशल

इन क्षेत्रों में मिलेगा काम
’मानव विज्ञान विभाग
’महामारी विज्ञान
’भाषा विज्ञान
’चिकित्सा
’संज्ञानात्मक मनोविज्ञान
’तंत्रिका विज्ञान
’सार्वजनिक स्वास्थ्य

यहां से कर सकते हैं पढ़ाई: दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, ’कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा, ’पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, ’मुंबई विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र, ’कलकत्ता विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल, ’इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश, ’विश्व भारती विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल, ’पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़, ’विनोभा भावे विश्वविद्यालय, झारखंड, ’मैसूर विश्वविद्यालय, कर्नाटक , ’संबलपुर विश्वविद्यालय, ओडिशा, ’मणिपुर, विश्वविद्यालय, मणिपुर, ’बंगलुरु विश्वविद्यालय, बंगलुरु, ’गुवाहाटी विश्वविद्यालय, असम, ’श्री वेंकटेशन विश्वविद्यालय, आंध्र प्रदेश, ’हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद, ’इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय

चार शाखाएं
शारीरिक मानव विज्ञान
’शारीरिक मानव विज्ञान के तहत इंसानों की शारीरिक बनावट का अध्ययन किया जाता है।
’इसके पेशेवर मानव आनुवंशिकी के आधार पर शारीरिक अंतर का अध्ययन करते हैं।
पुरातत्व मानव विज्ञान
’इसके तहत मानव के शुरुआती अवशेषों की जांच और विश्लेषण किया जाता है।
’प्रागैतिहासिक पुरातत्वविद अवशेषों को खोदना, पहचानना और वर्गीकृत करना शामिल है।
सामाजिक-सांस्कृति मानव विज्ञान
’इसमें खोजकर्ता लोगों के रहन-सहन और जीवन पर अध्ययन करता है।
’इसके दायरे में संगठन, जनजाति और समुदाय से संबंधित मामले आते हैं।
भाषा संबंधी मानव विज्ञान
’इसके तहत लिखित और अलिखित भाषाओं का अध्ययन कर अनसुलझे रहस्यों को सुलझाते हैं।