मुंबई के रहने वाले कैप्टन अमोल यादव अपने कारनामे से आज शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच गए हैं। लंबे संघर्ष के बाद उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई है। 17 नवंबर को डीजीसीए ने कैप्टन यादव द्वारा तैयार किए गए विमान को रजिस्टर कर लिया है। सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें डीजीसीए का सर्टिफिकेट सौंपा। अमोल यादव जेट एयरवेज में डिप्टी चीफ पायलट हैं और उनका पेशा उनका जुनून है। इस बात को उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से साबित कर दिया है। दरअसल अमोल अपने घर की छत पर एक 6 सीटर विमान बनाने के बाद सुर्खियों में आए हैं। एयरक्राफ्ट टीएसी-003 उनकी कड़ी मेहनत का सुबूत है। विमान को अब डीजीसीए से सर्टिफिकेट भी मिल चुका है।

कैप्टन अमोल ने अकेले काम करते हुए यह 6 सीट वाला एयरक्राफ्ट बनाया है। अमोल को अपना कारनामा पूरा करने में कई मुश्किलों को सामना करना पड़ा था। दैनिक भास्कर से बातचीत में अमोल यादव ने अपनी मंजिल की राह में रोड़ा बने आर्थिक संकट के बारे में भी बताया। अमोल ने कहा, “उनकी मां ने मंगलसूत्र बेचकर उन्हें पैसे दिए थे और भाई ने अपना घर भी गिरवी रख दिया था।”  आर्थिक संकट उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। एनडीटीवी की खबर के मुताबिक कैप्टन यादव ने अपना घर बेचकर, विमान में 4 करोड़ रुपये की लागत लगाई थी। साल 2016 में उनके इस विमान को मेक इन इंडिया स्कीम की एग्जिबिशन में जगह मिली गया थी।

वैसे तो यह एयरक्राफ्ट 2011 में ही तैयार हो गया था, लेकिन सर्टिफिकेट मिलने में इसे 6 साल का समय लग गया। डीजीसीए से सर्टिफिकेट मिलने के बाद अमोल अब इस विमान को उड़ा सकते हैं। सर्टिफिकेट मिलने के बाद माना जा रहा है अमोल दूसरे शख्स होंगे जो अपना बनाया हुआ विमान उड़ा सकेंगे। कहा जाता है 1895 में मुंबई के शिवकर तलपड़े ने चौपाटी पर अपना पहला प्लेन उड़ाया था। इसके 122 साल बाद अमोल दूसरे शख्स माने जा रहे हैं जो खुद का बनाया हुआ विमान उड़ाएंगे।