आप कोई अमृत थोड़ी ही बेच रहे? सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी गुटखा, पान मसाला और तंबाकू से जुड़ी एक अर्जी पर सुनवाई के दौरान की। उच्चतम न्यायालय, मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर अर्जी पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें तमिलनाडु सरकार द्वारा गुटखा, पान मसाला और चबाने वाले तंबाकू जैसे उत्पादों पर लगाए गए बैन को रद्द कर दिया गया था।

याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान हाईकोर्ट के फैसले के पक्ष में मौजूद प्रतिनिधि पर बेंच ने तीखी टिप्पणी की। बेंच ने कहा कि प्रतिवादी ऐसा सामान बेच रहे हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रतिवादी की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि तंबाकू उत्पादों पर परमानेंट बैन मौजूदा लीगल फ्रेमवर्क के परे है। उन्होंने सवाल किया कि क्या परमानेंट बैन लगाया जा सकता है? यह ऐसी स्थिति में जायज है जब कोई स्वास्थ्य इमरजेंसी हो। एक अन्य प्रतिवादी की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्य सरकार का आखिरी नोटिफिकेशन साल भर पहले एक्सपायर हो चुका है। इस पर एडवोकेट वैद्यनाथन ने कहा कि साल दर साल इस तरह का नोटिफिकेशन जारी करना 2006 के एक्ट के खिलाफ है।

तमिलनाडु सरकार ने क्या दलील दी?

तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि यह (तंबाकू उत्पाद) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं तो साल दर साल की बहस को क्या आधार बनाया जा सकता है? क्या कैंसर इसका इंतजार करेगा? यह किस तरह का तर्क है। यह तो स्वास्थ्य से जुड़ा विषय है।

तंबाकू पर स्थाई बैन क्यों नहीं लगाते?

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर टोबैको उत्पादों पर परमानेंट बैन क्यों नहीं लगाया गया? सिब्बल ने जवाब दिया कि यह केंद्र सरकार को तय करना है। इस पर जस्टिस बीवी नागरत्ना ने पूछा- आप सीधे बैन क्यों नहीं लगा सकते हैं? क्या आप अप्रत्यक्ष तौर पर ऐसा नहीं कर सकते हैं? सिब्बल ने जवाब दिया कि हाईकोर्ट ने कहा है कि ये एक फूड प्रोडक्ट है, ऐसे में सरकार की फूड सेफ्टी अथॉरिटी इसे रेगुलेट कर सकती है।

हाईकोर्ट ने क्यों रद्द कर दिया था बैन?

आपको बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट ने जनवरी में राज्य के फूड कमिश्नर के उस नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था, जिसके जरिए गुटखा, पान मसाला, फ्लेवर तंबाकू प्रोडक्ट और निकोटीन प्रोडक्ट्स पर बैन लगाया गया था। इस आदेश में कहा गया था कि फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड्स एक्ट और सिगरेट एंड टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट 2003 (कोटपा) में किसी टोबैको प्रोडक्ट्स पर कंप्लीट बैन का प्रावधान नहीं है।

क्या है COTPA एक्ट?

COTPA यानी The Cigarettes and Other Tobacco Products Act, 2003। यह एक्ट साल 2003 में पास हुआ था। इस एक्ट के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान, खुलेआम तंबाकू संबंधित सामग्री बेचने पर कार्रवाई जैसे प्रावधान किये गए हैं। इस एक्ट में नियमों की अनदेखी पर 200 रुपए से 10,000 रुपए तक जुर्माना और 5 साल की कैद का प्रावधान भी है।

कोटपा के प्रावधानों को यहां विस्तार से पढ़ें

कोटपा एक्ट में ही तंबाकू उत्पादों पर सचित्र स्वास्थ्य चेतावनी को अनिवार्य बनाया गया था। उत्पादकों द्वारा इसके उल्लंघन पर जुर्माना और कैद का भी प्रावधान किया गया है।