Vishwa Hindi Diwas 2024: हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिवस ‘हिंदी भाषा’ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। आइए इस मौके पर जानते हैं हिंदी में धड़ल्ले से इस्तेमाल होने वाले कुछ ऐसे शब्दों के बारे में जिनकी उत्पत्ति की कहानी बेहद दिलचस्प है।    

साल 1990 में प्रसिद्ध कोशकार और भाषावैज्ञानिक प्रोफेसर भोलानाथ तिवारी की एक किताब ‘शब्दों का जीवन’ ‘राजकमल प्रकाशन’ से प्रकाशित हुई थी। इस किताब के पहले ही अध्याय में प्रोफेसर तिवारी शब्दों के जन्म लेने की कहानी बताते हैं।  

भाषावैज्ञानिक उदाहरण के साथ यह समझाते हैं कि कैसे ध्वनि, स्वरूप, रंग, व्यक्ति नाम, स्थान नाम, कार्य आदि के आधार पर शब्द जनमते या बनते हैं। इस आर्टिकल में हम व्यक्ति और स्थान के नाम से पैदा हुए कुछ ऐसे शब्दों के बारे में जानेंगे, जिनका हम रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं।

सैंडो गंजी का ‘सैंडो’ एक पहलवान था

हिंदी में ‘सैंडो’ उस बनियान या गंजी को कहते हैं जिसमें बाँह या आस्तीन नहीं होती। सैंडो मूलतः एक पहलवान का नाम था, जिसने पहली बार इस प्रकार का बनियान पहना था। बाद में उस पहलवान के नाम पर ही इस विशेष प्रकार के बनियान का नाम चल पड़ा। सैंडो तो मर गया लेकिन उसका नाम इस रूप में अमर है।

सुर्ती, चीनी और मिस्त्री के नाम की कहानी

भोलानाथ तिवारी अपनी किताब में बताते हैं कि कैसे स्थान के नाम से सुर्ती, चीनी और मिस्त्री शब्द की उत्पत्ति हुई थी। गुजरात के प्रसिद्ध शहर सूरत को कभी पुर्तगालियों ने अपना केंद्र बनाया था। पुर्तगाली सूरत से ही भारत के कई क्षेत्रों में खाने की तम्बाकू भेजते थे।

पुर्तगालियों के तम्बाकू का व्यापार बढ़ने के साथ ही बहुत से स्थानों पर ‘सूरत’ से आने तम्बाकू को ‘सुरती’ या ‘सुर्ती’ कहा जाने लगा। हिंदी प्रदेश के कई पूर्वी क्षेत्रों में आज भी खाने की तम्बाकू को ‘सुर्ती’ कहते हैं।

ऐसे ही ‘चीनी’ (शक्कर) शब्द ‘चीन’ पर आधारित है। ‘चीनी’ आज जिस रूप में मिलती है, वह पहले-पहल चीन में ही बनी थी। इसी प्रकार ‘मिस्त्री’ का सम्बन्ध मिस्त्र (देश) से है। मिस्त्री शब्द भारत में वहीं से आई थी।

नक्शों की किताब को एटलस क्यों कहते हैं?

‘एटलस’ शब्द हिंदी का न होते हुए भी हिंदी का अपना हो गया है। नक्शों की किताब को ‘एटलस’ कहते हैं। इसकी उत्पत्ति की कथा बड़ी विचित्र है। ‘एटलस’ एक दैत्य था, जिसका नाम यूनानी पौराणिक कथाओं में मिलता है। कथाओं के मुताबिक ‘एटलस’ उन खम्भों का रक्षक था जिन पर स्वर्ग टिका है।

एक अन्य मत है कि ‘एटलस’ ने पूरे विश्व को अपने कन्धों पर उठा लिया था। यह भी कहा जाता है कि ‘एटलस’ एक बार ईश्वर के विरुद्ध लड़ाई करने को तैयार हो गया था और उसी के फलस्वरूप उसे पहाड़ हो जाने का शाप मिला था। अफ्रीका में आज भी ‘एटलस’ नाम का पर्वत है और लोगों का विश्वास है कि स्वर्ग उसी पर टिका है।

नक्शे की पुस्तक के लिए इसके नाम के प्रयोग में प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता जान मरकेटर (1512-1596) का हाथ है। उन्होंने अपने नक्शों की किताब के कवर पर एक फोटो लगवाई थी जिसमें एक दैत्य ने अपने कन्धों पर विश्व को लिया था। उसके नीचे ‘एटलस’ शब्द छपा था। उसी को लेकर नक्शों की पुस्तकों के लिए यह शब्द प्रचलित हो गया और अब इस शब्द का प्रयोग प्रायः ‘नक्शों की किताब’ के अर्थ में ही होता है।

क्यों मनाया जाता है विश्व हिंदी दिवस?

14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था, इसलिए 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाते हैं। 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस गत 18 वर्षों यानी साल 2006 से मनाया जा रहा है। विश्व हिंदी दिवस उस दिन के संदर्भ में मनाया जाता है, जब पहली बार विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन हुआ था। साल 1975 में 10 जनवरी को ही महाराष्ट्र के नागपुर में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था।