पाकिस्तान की तरफ से कई मौकों पर भारत को परमाणु हमले की धमकी दी गई है। बात चाहे कारगिल युद्ध की हो या फिर हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर की, पाकिस्तान ने हर बार न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग का खेल खेला है।

इसी कड़ी में पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने एक बार फिर भारत को गीदड़भभकी देने का काम किया है। एक कार्यक्रम में आसिम मुनीर ने कहा कि अगर भारत के साथ अब भविष्य में कोई भी युद्ध होगा और पाकिस्तान के वजूद पर खतरा पड़ेगा तो हम परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेंगे और दुनिया का आधा हिस्सा अपने साथ ले जाएंगे।

अब आसिम मुनीर के इसी बयान के बाद एक बार फिर बहस छिड़ चुकी है- आखिर पाकिस्तान का परमाणु प्रोग्राम कितना ताकतवर है? भारत की तुलना में उसकी न्यूक्लियर क्षमता कहां बैठती है?

पाकिस्तान ने कब शुरू किया था अपना न्यूक्लियर प्रोग्राम?

पाकिस्तान खुद को परमाणु संपन्न देश बनाना चाहता था, लेकिन उसका उद्देश्य खुद को ताकतवर बनाने से ज्यादा भारत से बदला लेना था। जब 1974 में भारत ने ऐलान किया था कि उसने सफल न्यूक्लियर परीक्षण किया है, पाकिस्तान में खलबली मच गई थी। उसी बौखलाहट में पाकिस्तान ने भी परमाणु संपन्न बनने के सपने देखे और 1998 में 6 न्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण किया। यह वही समय था जब हिंदुस्तान ने भी पांच न्यूक्लियर वेपंस का टेस्ट किया था।

असल में पाकिस्तान में सफल परमाणु परीक्षण का श्रेय डॉक्टर अब्दुल कादिर खान को जाता है। डॉक्टर खान की URENCO के साथ अच्छी दोस्ती थी, इसी वजह से परमाणु हथियार के लिए जो यूरेनियम की आवश्यकता थी, वो पाकिस्तान के लिए हासिल कर पाए थे। डॉक्टर खान की इस रिसर्च के दम पर 20 साल बाद पाकिस्तान 1998 में अपना पहला परमाणु परीक्षण कर पाया था।

पाकिस्तान को परमाणु हथियार मिलना इसलिए खतरनाक था क्योंकि डॉक्टर खान ने इस टेक्नोलॉजी को सिर्फ अपने तक सीमित नहीं रखा, उन पर आरोप लगे कि आगे चलकर उन्होंने ईरान, लीबिया और नॉर्थ कोरिया तक को परमाणु टेक्नोलॉजी उपलब्ध करवाई।

पाकिस्तान की कैसी है न्यूक्लियर ताकत?

पाकिस्तान के पास वर्तमान में 170 परमाणु हथियार मौजूद हैं, लेकिन उनकी रेंज काफी सीमित है, कहना चाहिए भारत के सामने वो कहीं नहीं दिखते।

पाकिस्तान हमेशा से ही फर्स्ट यूज नीति का पालन करता है। इसका मतलब है कि वो किसी भी स्थिति में सबसे पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेगा। लेकिन जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान की यह नीति बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है। पाकिस्तान कभी भी यह साफ नहीं किया कि वो किस स्थिति में न्यूक्लियर वेपंस का इस्तेमाल करेगा। इसके ऊपर पाकिस्तान ने कभी यह भी नहीं बताया है कि वो सबसे पहले छोटे हथियारों का इस्तेमाल करेगा जिसे बैटलफील्ड वेपन भी कहा जाता है या फिर वो सीधे स्ट्रैटेजिक वेपंस का प्रयोग करेगा।

अब समझने की कोशिश करते हैं कि पाकिस्तान के पास कौन-कौन सी ऐसी मिसाइलें हैं जिसके दम पर वो भारत को धमकी दे रहा है। पाकिस्तान की सबसे लंबी रेंज वाली मिसाइल शाहीन III है। इस मिसाइल की रेंज 2775 किलोमीटर है, ज्यादा से ज्यादा यह मिसाइल भारत, मध्य पूर्व और पूर्वी यूरोप के कुछ हिस्सों को ही कर कवर कर सकती है।

इसी तरह वर्तमान में पाकिस्तान के पास अबाबील गोरी II, बाबर III जैसी मिसाइल मौजूद हैं, लेकिन इनमें से किसी की भी रेंज 2500 किलोमीटर से ज्यादा नहीं बैठती है। बड़ी बात यह है कि वर्तमान में पाकिस्तान के पास ऐसी कोई मिसाइल मौजूद नहीं है जो उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप या फिर पश्चिम एशिया तक को कवर कर पाए।

ऐसे में आसिम मुनीर जब बड़े-बड़े दावे करते हैं, पाकिस्तान की सैन्य ताकत उसकी पोल खोल देती है।

भारत की न्यूक्लियर ताकत कैसी है?

पाकिस्तान की पोल तो खोली गई है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि भारत की परमाणु क्षमता काफी ज्यादा है। वर्तमान में देश के पास 180 परमाणु हथियार मौजूद हैं। बड़ी बात यह है कि भारत के पास लंबी दूरी वाली भी कई मिसाइलें मौजूद हैं। यहां भी अग्नि पांच जो 5000 किलोमीटर तक की रेंज तक वार करने की क्षमता रखती है। इसके अलावा पनडुब्बी लॉन्च मिसाइल भी काफी कारगर है।

इसके अलावा भारत के पास शौर्य मिसाइल, अग्नि मिसाइल, प्रहार मिसाइल, ब्रह्मोस मिसाइल, निर्भय मिसाइल भी मौजूद हैं जो अमेरिका के बंकर बस्टर की तरह जमीन के अंदर भी दुश्मन के हथियारों को तहस-नहस कर सकती हैं।

भारत की न्यूक्लियर नीति समझना जरूरी

अब भारत के पास ये सारी मिसाइलें मौजूद हैं, लेकिन यह भी एक बड़ा सच है कि हमारे देश कभी भी सबसे पहले वार करने में विश्वास नहीं रखता है। 2003 में भारत की न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन प्रकाशित हुई थी, उसको तैयार करने का काम आज के विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिता के सुब्रमण्यम ने किया था। चार सिंद्धाओं पर भारत की न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन टिकी हुई है

पहला सिद्धांत- भारत कभी भी सबसे पहले किसी भी मुल्क पर परमाणु हमला नहीं करेगा। वो सिर्फ उसी स्थिति में न्यूक्लियर अटैक करेगा अगर उसका दुश्मन देश पहले उस पर परमाणु वार करेगा। भारत की यह भी स्पष्ट नीति है कि वो किसी भी नॉन न्यू्क्लियर स्टेट पर परमाणु अटैक नहीं करेगा।

दूसरा सिद्धांत- भारत अपने पास परमाणु हथियार सिर्फ इसलिए रखता है क्योंकि वो अपने दुश्मन देश को बताना चाहता है कि वो ऐसा कोई भी हमला उस पर करने के बारे में ना सोचे। भारत इसे अपने लिए सुरक्षा की गारंटी के रूप में देखता है।

तीसरा सिद्धांत- अगर भारत पर न्यूक्लियर अटैक किया जाएगा तो वो ऐसी कार्रवाई करेगा जिससे उसके दुश्मन देश की मिलिट्री ताकत पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी।

चौथा सिद्धांत- अगर विदेशी धरती पर भी भारत के मिलिट्री बेस या दूसरे रणनीतिक स्थानों पर केमिकल या न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल होगा तो भारत भी उसी भाषा में जवाब देगा।

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