Congress Non Jat Leadership Haryana 2024: विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस क्या हरियाणा में गैर जाट नेताओं को आगे करने पर गंभीरता से विचार कर रही है? चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे और रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा के खिलाफ आवाज उठी है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा चुनाव नतीजों को लेकर गंभीर आत्मनिरीक्षण करने की बात कह चुकी हैं। विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले कांग्रेस के उम्मीदवार हुड्डा के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। इसके अलावा पार्टी की ओबीसी विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय यादव ने भी चुनाव नतीजों के बाद नाराजगी जताई है।
कांग्रेस को इस बात की पूरी उम्मीद थी कि वह हरियाणा में सरकार बना लेगी। लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीतना इसकी एक बड़ी वजह थी। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी नतीजों को लेकर नाराज हैं और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में हरियाणा में कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव हो सकते हैं।
नेता विपक्ष के पद को लेकर होगा संघर्ष
हरियाणा में अब कांग्रेस के भीतर नेता विपक्ष के पद को लेकर लड़ाई छिड़ सकती है। पिछली विधानसभा में नेता विपक्ष के पद पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे। हुड्डा इस बार भी अपनी परंपरागत सीट गढ़ी-सांपला किलोई से विधानसभा का चुनाव जीते हैं और निश्चित रूप से वह नेता विपक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद अपने पास ही रखना चाहेंगे। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद जिस तरह का सख्त रूख पार्टी नेतृत्व ने दिखाया है उसके बाद ऐसा होना मुश्किल दिखाई देता है। इसके अलावा पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भी बदलाव कर सकती है।
हुड्डा पर किया भरोसा
हरियाणा की राजनीति को समझने वाले सभी लोग जानते हैं कि कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में हुड्डा पर काफी भरोसा किया। लोकसभा चुनाव में भी हरियाणा में ज्यादातर टिकट हुड्डा की पसंद पर दिए गए और विधानसभा चुनाव में तो पार्टी ने हुड्डा को एक तरह से फ्री हैंड दिया। 90 सीटों वाली हरियाणा की विधानसभा में 72 से 75 टिकट हुड्डा के समर्थकों को ही दिए गए लेकिन अब जब चुनाव नतीजे पूरी तरह उलट आए हैं तो शायद पार्टी नेतृत्व हुड्डा से भी जवाब मांगेगा।
हुड्डा और उदयभान नहीं आए बैठक में
कांग्रेस नेतृत्व की ओर से गुरुवार को जब हरियाणा के चुनाव नतीजों को लेकर बैठक बुलाई गई तो इसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान शामिल नहीं हुए। प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया और वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही बैठक से जुड़े। हुड्डा और उदयभान हरियाणा में अपने कार्यक्रमों में व्यस्त रहे।
गैर जाट राजनीति का असर
बीजेपी ने हरियाणा में अपने पिछले 10 साल के शासन में गैर जाट नेताओं क्रमशः- मनोहर लाल खट्टर और नायब सिंह सैनी को ही मुख्यमंत्री बनाया। इस बार भी वह नायब सिंह सैनी को ही मुख्यमंत्री बनाने जा रही है। विधानसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करने पर एक बात यह सामने आ रही है कि चुनाव में जाट बनाम गैर जाट का फैक्टर हावी रहा है। हरियाणा में जाट समुदाय की आबादी के मुकाबले गैर जाट समुदाय की आबादी बहुत ज्यादा है।
हरियाणा में किस जाति की कितनी आबादी
समुदाय का नाम | आबादी (प्रतिशत में) |
जाट | 25 |
दलित | 21 |
पंजाबी | 8 |
ब्राह्मण | 7.5 |
अहीर | 5.14 |
वैश्य | 5 |
राजपूत | 3.4 |
सैनी | 2.9 |
मुस्लिम | 3.8 |
यह माना जा रहा है कि गैर जाट समुदाय का बीजेपी के पक्ष में कुछ हद तक ध्रुवीकरण हुआ और इस वजह से चुनाव में जीत के दावे कर रही कांग्रेस बीजेपी से पिछड़ गई। लेकिन अब इस चुनावी हार से सबक लेते हुए पार्टी नेतृत्व हरियाणा में गैर जाट नेतृत्व को आगे कर सकता है।
सैलजा की नाराजगी से हुआ नुकसान
कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में सिरसा से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा की नाराजगी भी भारी पड़ी है। कुमारी सैलजा भी गैर जाट (दलित समुदाय) से आती हैं। सैलजा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर नाराज थीं और काफी दिन तक उन्होंने चुनाव प्रचार भी नहीं किया था।
हुड्डा को नजरअंदाज कर सकेगा कांग्रेस नेतृत्व?
सवाल यह है कि क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा नेता विपक्ष जैसी बड़ी कुर्सी पर किसी और को बैठने देंगे? क्या पार्टी का शेष नेतृत्व हुड्डा जैसे ताकतवर नेता को नाराज करने की हिम्मत जुटा सकेगा? भूपेंद्र सिंह हुड्डा 2005 से 2014 तक हरियाणा में चली कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री रहे थे और पिछले चुनाव में मिली 31 और इस चुनाव में मिली 37 सीटों में भी हुड्डा का बड़ा रोल रहा है। लेकिन अगर कांग्रेस को हरियाणा में संगठन को आगे बढ़ाना है तो उसे गैर जाट नेतृत्व को आगे बढ़ाने के साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ भी तालमेल बैठाना होगा।
जाट लैंड में पड़ने वाले जिलों- सोनीपत, रोहतक, चरखी दादरी, भिवानी, जींद, झज्जर में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बड़ा असर है। ऐसे में क्या पार्टी हुड्डा को नाराज करने का खतरा उठाएगी?
प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी होगा बदलाव?
नेता विपक्ष के अलावा अभी तक प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभाल रहे चौधरी उदय भान की जगह भी किसी दूसरे नेता को मौका दिया जा सकता है। उदय भान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ही करीबी हैं और हुड्डा की सिफारिश पर ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। उदय भान पिछली बार भी और इस बार भी विधानसभा का चुनाव हार गए हैं। ऐसे में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व हरियाणा में संगठन को ताकत देने के इरादे से नेता विपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बड़े बदलाव कर सकता है। इन पदों पर कुमारी सैलजा या रणदीप सुरजेवाला के समर्थकों को जगह दी जा सकती है।
हरियाणा में लगातार तीन चुनाव हारने के बाद निश्चित रूप से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ा है। आने वाले दिनों में कांग्रेस की हरियाणा इकाई में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं लेकिन अगर बदलाव हुए तो क्या हुड्डा इन बदलावों को मानेंगे?