Nayab Singh Saini Cabinet: हरियाणा में बीजेपी ने तय कर दिया है कि नायब सिंह सैनी ही मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। अब हरियाणा की राजनीति में सबसे बड़ी चर्चा इस बात की है कि नायब सिंह सैनी की कैबिनेट में किस-किस को जगह मिलेगी? हरियाणा में बीजेपी ने बेहद विपरीत हालात में भी बड़ी चुनावी जीत हासिल की है और अपने दम पर बहुमत हासिल किया है। ऐसे में सैनी सरकार में मंत्री बनने वालों की लंबी फेहरिस्त है क्योंकि सभी नेताओं की अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं।

Haryana: नायब सिंह सैनी चुने गए BJP विधायक दल के नेता, अनिल विज ने अमित शाह की मौजूदगी में रखा प्रस्ताव

बीजेपी को सैनी सरकार के मंत्रिमंडल में ओबीसी, पंजाबी, जाट, दलित, सवर्ण समुदाय के नेताओं को प्रतिनिधित्व देना है। इसमें भी ओबीसी में गुर्जर, यादव जाति के कई नेता मंत्री पद के दावेदार हैं। सवर्ण समुदाय में ब्राह्मण, राजपूत व वैश्य बिरादरी के नेताओं को पार्टी को मनाना है। दलित समुदाय के कई नेता भी मंत्री बनने के लिए लॉबीइंग कर रहे हैं। आइए, इस टेबल से समझते हैं कि किस जाति ने चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी, इनेलो-बसपा गठबंधन को कितने प्रतिशत वोट दिए हैं।

आइए, इस टेबल से समझते हैं कि किस जाति ने कांग्रेस, बीजेपी, इनेलो-बसपा गठबंधन को कितने प्रतिशत वोट दिए हैं।

जातिकांग्रेसबीजेपीइनेलो-बसपाअन्य
ब्राह्मण3151216
पंजाबी खत्री1868410
जाट5328613
अन्य सवर्ण जातियां2259415
गुर्जर 4437514
यादव2562211
जाटव503569
मुस्लिम 597331
सिख47211715
राजनीतिक दलों को मिले वोट प्रतिशत में हैं।

हरियाणा में बीजेपी ने चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पर्यवेक्षक बनाया। अमित शाह का पर्यवेक्षक बनना ही इस बात को बताता है कि हरियाणा में मंत्रियों का चयन करना पार्टी के लिए आसान काम नहीं है। शाह पिछले तीन विधानसभा चुनाव से लगातार हरियाणा में चुनाव प्रबंधन, टिकटों का बंटवारा करते रहे हैं।

मंत्री बनने वाले तमाम नामों की चर्चाओं के बीच एक जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह राव नरबीर सिंह का है। राव नरबीर सिंह इस बार विधानसभा चुनाव में गुरुग्राम जिले की बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते हैं। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार वर्धन यादव को 60 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है।

अहीरवाल में है राव नरबीर का बड़ा कद

अहीरवाल की राजनीति में राव नरबीर सिंह का सियासी कद किसी से कम नहीं है। राव नरबीर सिंह 1987 में दक्षिणी हरियाणा की जटूसाना और 1996 में सोहना सीट से चुनाव जीत चुके हैं। 1987 में वह हरियाणा में गृह राज्य मंत्री और 1996 में हरियाणा सरकार में परिवहन, खाद्य एवं आपूर्ति जैसे बड़े मंत्रालय संभाल चुके हैं। 2009 में वह गुरुग्राम सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े थे लेकिन तब उन्हें हार मिली थी।

राव नरबीर सिंह 2014 में भी बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते थे और तब वह मनोहर लाल खट्टर सरकार में लोक निर्माण विभाग जैसे बड़े विभाग के मंत्री रहे थे। राव नरबीर सिंह का सियासी प्रभाव बादशाहपुर के बाहर भी है। बीजेपी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में राव नरबीर सिंह का टिकट काट दिया था और तब पार्टी को यह फैसला भारी पड़ा था और पार्टी को इस सीट पर हार मिली थी।

पार्टी को चेताया था राव नरबीर ने

इस बार के विधानसभा चुनाव में भी जब यह चर्चा चल रही थी कि बीजेपी राव नरबीर सिंह को टिकट देगी या नहीं? उस दौरान नरबीर सिंह ने पार्टी हाईकमान को सरेआम चेताया था कि वह बादशाहपुर विधानसभा सीट से चुनाव जरूर लड़ेंगे। उन्होंने खुलकर कहा था कि अगर बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। अहीरवाल में राव नरबीर सिंह की सियासी हैसियत को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया और उन्होंने बड़ी जीत हासिल करके पार्टी हाईकमान को अपनी पकड़ दिखाई है। जबकि बादशाहपुर से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी और उनके ओएसडी रहे जवाहर यादव के साथ ही बीजेपी के जिला अध्यक्ष कमल यादव और बीजेपी संसदीय बोर्ड की सदस्य और पूर्व सांसद सुधा यादव भी टिकट की दावेदार थीं।

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राव इंद्रजीत सिंह करेंगे विरोध?

राव नरबीर सिंह के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि उन्हें गुरुग्राम से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का विरोधी माना जाता है। छह बार के सांसद राव इंद्रजीत सिंह निर्विवाद रूप से अहीरवाल की राजनीति में सबसे बड़े चेहरे हैं।

2019 में जब बीजेपी ने राव नरबीर सिंह का टिकट काट दिया था तो अहीरवाल की सियासत में यह चर्चा आम थी कि राव नरबीर सिंह का टिकट राव इंद्रजीत सिंह के कहने पर काटा गया है।

बीजेपी के सामने मुश्किल यह है कि उसे क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखना है। अहीरवाल से पार्टी दो नेताओं को मंत्री बना सकती है। इसमें एक सीट से राव इंद्रजीत सिंह की बेटी और अटेली सीट से चुनाव जीतीं आरती राव का नाम चल रहा है जबकि दूसरी सीट पर कई दावेदार हैं।

अहीरवाल की 11 में से 10 सीटें जीती है बीजेपी

अहीरवाल ने बीजेपी को इस बार बड़ा समर्थन दिया है। अहीरवाल की 11 में से 10 सीटों पर बीजेपी जीती है और इन 10 में से 8 विधायक राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक हैं। राव नरबीर सिंह और आरती राव दोनों ही अहीर यानी यादव समुदाय से आते हैं। ऐसे में बीजेपी एक ही समुदाय से दो नेताओं को मंत्री कैसे बनाएगी? क्योंकि पार्टी को दलित समुदाय को भी प्रतिनिधित्व देना है और राव इंद्रजीत सिंह की पसंद का भी ध्यान रखना है। राव नरबीर सिंह को मंत्री बनाए जाने से राव इंद्रजीत सिंह नाराज हो सकते हैं।

हरियाणा में किस जाति की कितनी आबादी

समुदाय का नाम आबादी (प्रतिशत में)
जाट 25  
दलित21
पंजाबी8
ब्राह्मण7.5 
अहीर5.14
वैश्य5
राजपूत 3.4 
सैनी 2.9 
मुस्लिम3.8 

हरियाणा में मंत्री बनाए जाने को लेकर बीजेपी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अलावा पार्टी की हरियाणा इकाई, केंद्रीय इकाई से लेकर सभी से रिपोर्ट मंगवा चुकी है। माना जा रहा है कि सैनी सरकार के मंत्रिमंडल में ओबीसी, पंजाबी, जाट, दलित, ऊंची जातियों के समुदायों का प्रतिनिधित्व देखने को मिलेगा। नायब सिंह सैनी को पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का बेहद भरोसेमंद माना जाता है। ऐसे में खट्टर के समर्थकों को भी पार्टी को एडजस्ट करना है और निश्चित रूप से मंत्रियों का चयन करने में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की भी बड़ी भूमिका रहेगी।

इन नामों की भी है जबरदस्त चर्चा

सैनी सरकार में मंत्री बनने वालों में अंबाला कैंट से चुनाव जीते अनिल विज, बल्लभगढ़ से चुनाव जीते मूलचंद शर्मा, फरीदाबाद से चुनाव जीते विपुल गोयल, बरवाला से चुनाव जीते रणबीर गंगवा, यमुनानगर से चुनाव जीते घनश्याम दास अरोड़ा, पानीपत ग्रामीण से चुनाव जीते महिपाल ढांडा, तोशाम से जीतीं श्रुति चौधरी, इसराना से कृष्णा पंवार, नरवाना से कृष्ण बेदी, गोहाना से अरविंद शर्मा का नाम शामिल है। इसके अलावा बीजेपी को समर्थन देने वालीं निर्दलीय विधायक और हिसार से चुनाव जीतीं सावित्री जिंदल, पटौदी से जीतीं बिमला चौधरी, रेवाड़ी के विधायक लक्ष्मण यादव, दादरी के विधायक सुनील सांगवान का नाम भी मंत्री बनने की चर्चाओं में आगे चल रहा है।

देखना होगा कि पार्टी किस तरह सभी जातियों और समुदायों को प्रतिनिधित्व देने में कामयाब होती है।