खाने को ताजा और गर्म बनाए रखने के लिए जिस डिब्बे का घर-घर में इस्तेमाल किया जाता है, उसका नाम है टपरवेयर। लेकिन पिछले दिनों जब कंपनी ने यह कहा कि वह दिवालिया हो गई है तो लोगों को झटका लगा क्योंकि टपरवेयर न सिर्फ आपकी रसोई से बल्कि आपके इमोशंस से भी जुड़ा हुआ था क्योंकि यह आपके दफ्तर में या सफर के दौरान आपके खाने को गर्म रखता था।
भारत में जब भी टिफिन बॉक्स या लंच बॉक्स की खरीदारी का नाम आता था तो पहली पसंद टपरवेयर ही होता था क्योंकि लोगों को इस बात का मजबूत भरोसा था कि टपरवेयर में उनका या परिवार के किसी भी सदस्य का खाना गर्म और ताजा रहेगा। टपरवेयर अमेरिका का एक ब्रांड है। आइए जानते हैं कि टपरवेयर की शुरुआत कहां से हुई थी? इन प्लास्टिक कंटेनर या डिब्बों का विचार न्यू हैंपशायर के रहने वाले अर्ल टपर को आया था। 1946 में एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करते वक्त टपर को इस बात का आइडिया आया कि ऐसे कंटेनर बनाए जा सकते हैं।
‘टपरवेयर पार्टी’ का फॉर्मूला
मिशिगन की रहने वालीं करेन वाटर्स ने सबसे पहले टपरवेयर बेचना शुरू किया था। वह DW को बताती हैं कि उस वक्त कामकाजी होते हुए भी बैंक उन्हें क्रेडिट कार्ड नहीं दे रहा था। वह बताती हैं कि 1974 से पहले अमेरिका में महिलाएं अपने नाम पर क्रेडिट कार्ड के लिए भी अप्लाई नहीं कर सकती थीं।
उस दौरान करेन वाटर्स अपने दोस्तों और परिचितों के लिए ‘टपरवेयर पार्टी’ आयोजित करती थीं। इस दौरान वह जो कुछ बेचती थीं, इसके लिए उन्हें कमीशन मिलता था। इससे जो पैसा उन्हें मिला, उन्होंने उस पैसे का इस्तेमाल अपने पति की पढ़ाई के लिए किया। अपने पति की इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए उन्होंने सभी टूल खरीदे और यह सब टपरवेयर के प्रोडक्ट्स बेचकर कमाए गए पैसे से ही खरीदे जा सके।
उनकी तरह कई और महिलाओं ने टपरवेयर के सीलबंद प्लास्टिक कंटेनर बेचे और अपने परिवार की मदद की। 1950 के दौरान ‘टपरवेयर पार्टी’ का यह फार्मूला हजारों महिलाओं को सशक्त बनाने का माध्यम बना क्योंकि उन्होंने इससे अपना बिजनेस शुरू किया।
‘टपरवेयर पार्टियां’ हुई पॉपुलर
इसके बाद अमेरिका और फिर दुनिया भर में हजारों महिलाओं ने टपरवेयर के प्रोडक्ट्स को ‘टपरवेयर पार्टी’ के जरिये बेचना शुरू किया। 1950 और 60 के दशक में पूरे अमेरिका में बड़े पैमाने पर ‘टपरवेयर पार्टियां’ होने लगीं।
ब्राउनी वाइज को जाता है क्रेडिट
टपरवेयर की सफलता के पीछे बड़ा क्रेडिट ब्राउनी वाइज नाम की महिला को जाता है। टपरवेयर ने वाइज को अपनी कंपनी का उपाध्यक्ष और बिक्री प्रमुख बनाया। ब्राउनी वाइज ने प्रोडक्ट को इस तरह लोगों के सामने रखा जिससे लोग टपरवेयर को पसंद करने लगे। इस दौरान पार्टी गेम्स कराए गए और टपरवेयर के कंटेनर्स को एक कमरे में फेंका गया। धीरे-धीरे टपरवेयर लोकप्रिय होने लगा। इसके बाद कंपनी ने अपना बड़े पैमाने पर प्रचार भी किया। ब्राउनी वाइज बिजनेस वीक पत्रिका के कवर पर छपने वाली पहली महिला बनीं।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कामकाजी महिलाओं को नौकरियों से बाहर कर दिया गया था और उनसे यह उम्मीद की जाती थी कि वे घर में बच्चों के साथ रहें। इन महिलाओं के पति नहीं चाहते थे कि वे घर से बाहर जाकर काम करें। ऐसी महिलाओं के लिए टपरवेयर पैसे कमाने का जरिया बना। इन महिलाओं को टपरवेयर के प्रोडक्ट बेचने पर कमीशन मिलता था। 1958 में टपरवेयर ने एक विवाद के बाद वाइज को कंपनी से बाहर कर दिया।
1958 में ही कंपनी के मालिक टपर ने कंपनी को 16 मिलियन डॉलर में रेक्सॉल ड्रग कंपनी को बेच दिया और रिटायरमेंट ले लिया। इसके बाद बिजनेस मॉडल के जरिये टपरवेयर के प्रोडक्ट्स को यूरोप, एशिया और लैटिन अमेरिका में फैलाया गया और तब से टपरवेयर पार्टियों के जरिए ही बेचा जाता रहा है।
क्या कहना है टपरवेयर का?
टपरवेयर का कहना है कि उसने खुद को दिवालिया इसलिए घोषित किया क्योंकि उसके प्रोडक्ट्स में लोगों की रुचि कम हो गई है और उसका प्रॉफिट घट गया है। कंपनी का कहना है कि टपरवेयर युवाओं को अपनी ओर खींचने में कामयाब नहीं रहा।
भले ही टपरवेयर ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया हो लेकिन लेकिन लाखों लोगों की जिंदगी में इसकी जगह आज भी है। गर्म खाना खिलाने वाले यह प्लास्टिक कंटेनर हमेशा लोगों की यादों में रहेंगे।