लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। जहां उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्यों से भाजपा ने अपने अधिकतर सांसदों पर दोबारा दांव लगाया है। वहीं दिल्ली और छत्तीसगढ़ में बड़े बदलाव किए गए हैं। राजस्थान और असम में भी कुछ मौजूदा सांसदों के टिकट काटे गए हैं।
हालांकि दिल्ली और छत्तीसगढ़, दोनों ही राज्यों में भाजपा ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है। 2014 और 2019 में भाजपा ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं छत्तीसगढ़ में भाजपा ने 2014 में 11 में से 10 और 2019 में 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
बांसुरी स्वराज को क्यों मिला टिकट?
भाजपा ने नई दिल्ली से मीनाक्षी लेखी का टिकट काटकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को टिकट दिया है। बताया जा रहा है कि उन्हें भाजपा कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल है। दिल्ली भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “वह बहुत मिलनसार हैं और पार्टी कार्यकर्ता उनमें उनकी दिवंगत मां सुषमा स्वराज की छवि देखते हैं।”
राष्ट्रीय राजधानी में अब तक घोषित पांच सीटों में बदलाव का आलम यह है कि केवल मनोज तिवारी ने ही अपना निर्वाचन क्षेत्र बरकरार रखा है। यहां तक कि पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को भी नजरअंदाज कर दिया गया है। रविवार को हर्ष वर्धन ने घोषणा कर दी कि वह सक्रिय राजनीति छोड़ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में बड़ा उलटफेर
छत्तीसगढ़ में केवल दो उम्मीदवारों को बरकरार रखा गया है, बाकी या तो बाहर हो गए या पिछले साल के राज्य चुनावों के दौरान विधानसभा में चले गए। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, अरुण साव और रेणुका सिंह के विधायक बनने से उनकी सीटें खाली हो गईं।
पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के भतीजे विजय बघेल को पाटन से विधानसभा चुनाव में अपने चाचा को कड़ी टक्कर देने का इनाम मिला है। पिछला लोकसभा चुनाव भारी अंतर से जीतने के बावजूद वह एक मुश्किल सीट से मैदान में उतरने पर सहमत हुए हैं।
राजनांदगांव में पार्टी ने पूर्व सीएम रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह के दावों को नजरअंदाज करते हुए मौजूदा सांसद संतोष पांडे को चुना है। अन्य सभी उम्मीदवारों को सत्ता विरोधी लहर, निष्क्रियता और मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ संबंध की कथित कमी के आधार पर बदल दिया गया है।
हालांकि, आठ बार के विधायक और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को राज्य की राजनीति में उनके कद के कारण टिकट दिया गया है, जबकि राज्यसभा सदस्य सरोज पांडे, जो पहले दुर्ग से लोकसभा सांसद थीं, उन्हें कोरबा से मैदान में उतारा गया है। यह निर्वाचन क्षेत्र एक औद्योगिक क्षेत्र का हिस्सा है, जहां आदिवासी आबादी के अलावा, यूपी और बिहार से कई प्रवासी रहते हैं।
राजस्थान और असम
राजस्थान में घोषित 15 उम्मीदवारों में से सात नए चेहरे हैं। चूरू, जालौर, अलवर, भरतपुर, नागौर, उदयपुर और बांसवाड़ा-डूंगरपुर ऐसी सीटें हैं जहां नए उम्मीदवार हैं।
जयपुर (ग्रामीण), अलवर और राजसमंद राजस्थान की वे सीटें हैं, जिसके प्रतिनिधि विधानसभा चले गए। जयपुर (ग्रामीण) का प्रतिनिधित्व राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अलवर का प्रतिनिधित्व बालकनाथ और राजसमंद का प्रतिनिधित्व दीया कुमारी करती थीं।
राज्य भाजपा के एक नेता ने कहा कि उम्मीदवारों के प्रदर्शन और मतदाताओं के बीच उनकी छवि को ध्यान में रखा गया। चूरू से पैरा एथलीट देवेन्द्र झाझरिया को मैदान में उतारा गया है। झाझरिया जाट समुदाय से हैं, जो क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। उन्हें मौजूदा सांसद राहुल कासवान की जगह लाया गया है। अलवर से केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव को मैदान में उतारा गया है।
असम में पार्टी ने प्रदर्शन के आधार पर तीन उम्मीदवारों को बदल दिया है। वहीं एक निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित होने के बाद बदल दिया है। सूत्रों ने बताया कि गौहाट से मौजूदा सांसद क्वीन ओजा को हटा दिया गया है क्योंकि उनके प्रदर्शन को लेकर कई शिकायतें थीं। पार्टी ने उनकी जगह गुवाहाटी की पूर्व उप महापौर बिजुली कलिता को नियुक्त किया है।
भाजपा ने डिब्रूगढ़ सीट से पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को टिकट दे दिया है, जो वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। तेजपुर में पल्लब लोचन दास की जगह रंजीत दत्ता ने ले ली है। सिलचर में पार्टी ने राजदीप रॉय की जगह परिमल शुक्लाबैद्य को मैदान में उतारा है क्योंकि यह सीट अब अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।