1929 में जब जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ‘पूर्ण स्वराज’ यानी ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्वतंत्रता का आह्वान किया, तो 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में चुना गया। कांग्रेस पार्टी 1930 से लेकर आजादी मिलने तक 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाती रही। आजादी के बाद 26 जनवरी, 1950 को गणतंत्र दिवस के रूप में चुना गया। इस तारीख को भारत औपचारिक रूप से एक संप्रभु देश बन गया और ब्रिटिश डोमिनियन नहीं रहा।
30 जून, 1948 तक मिलनी थी आजादी
अब सवाल उठता है कि 15 अगस्त भारत का इंडिपेंडेंस डे कैसे बन गया? लॉर्ड माउंटबेटन को ब्रिटिश संसद ने 30 जून, 1948 तक सत्ता हस्तांतरित करने का आदेश दिया था। अगर माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण के लिए जून 1948 तक का इंतजार किया होता, तो हस्तांतरण के लिए कोई पावर बचता ही नहीं, ऐसा सी राजगोपालाचारी का मानना था। ऐसे में माउंटबेटन ने तारीख अगस्त 1947 कर दिया।
उस समय माउंटबेटन ने दावा किया था कि तारीख पहले कर वह यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई खून-खराबा या दंगा ना हो। निःसंदेह, वह गलत साबित हुए। बाद में उन्होंने यह कहकर अपने फैसले को सही ठहराने की कोशिश की “जहां भी औपनिवेशिक शासन समाप्त हुआ है, वहां रक्तपात हुआ है। यही वह कीमत है जो आप चुकाते हैं।”
माउंटबेटन के इनपुट के आधार पर Indian Independence Bill 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में पेश किया गया और एक पखवाड़े के भीतर पारित हो गया। इस एक्ट ने 15 अगस्त, 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन के अंत और भारत और पाकिस्तान के डोमिनियन की स्थापना का प्रावधान किया। दोनों देशों को ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने की अनुमति दी गई।
माउंटबेटन को जापान का ख्याल क्यों आया?
फ्रीडम एट मिडनाइट में माउंटबेटन को उद्धृत किया गया है, “मैंने जो तारीख चुनी वह अचानक सामने आई। मैंने इसे एक प्रश्न के उत्तर में चुना। मैं यह दिखाने के लिए संकल्पित था कि मैं ही पूरे आयोजन का मास्टर हूं। जब मुझसे पूछा गया कि क्या कोई तारीख तय की है? मुझे यह पता था कि यह जल्द ही होना है। मैंने तब तक इस पर ठीक से विचार नहीं किया था। मुझे लगा कि यह अगस्त या सितंबर के आसपास होगा और फिर मैंने 15 अगस्त की तारीख दे दी क्योंकि यह जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी।” 15 अगस्त, 1945 को कोरिया प्रायद्वीप जापान के क्रूर शासन से मुक्त हुआ था।
15 अगस्त, 1945 को जापानी सम्राट हिरोहितो ने एक रिकॉर्डेड रेडियो संबोधन दिया, जिसे बाद में ज्वेल वॉयस ब्रॉडकास्ट के नाम से जाना गया। रेडियो संबोधन में उन्होंने मित्र राष्ट्रों के समक्ष जापान के आत्मसमर्पण की घोषणा की। माउंटबेटन को याद आया कि उन्होंने उस दिन चर्चिल के कमरे में बैठकर जापानी आत्मसमर्पण की खबर सुनी थी और दक्षिण पूर्व एशिया कमान के सर्वोच्च सहयोगी कमांडर के रूप में उन्होंने 4 सितंबर, 1945 को सिंगापुर के औपचारिक जापानी आत्मसमर्पण पर हस्ताक्षर किए थे।
फिर 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाता है पाकिस्तान?
भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही तारीख को आजाद हुए लेकिन 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाता है, क्यों? असल पाकिस्तान की स्वतंत्रता की तारीख भी 15 अगस्त ही है। Indian Independence Bill में दोनों देशों की आजादी की तारीख 15 अगस्त बताई गई है। पाकिस्तान द्वारा जारी किए गए पहले डाक टिकट में 15 अगस्त को उसका स्वतंत्रता दिवस बताया गया था। पाकिस्तान को अपने पहले संबोधन में मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था, “15 अगस्त पाकिस्तान के स्वतंत्र और संप्रभु देश बनने का दिन है। यह मुस्लिम राष्ट्र की नियति की पूर्ति का प्रतीक है जिसने पिछले कुछ वर्षों में अपनी मातृभूमि पाने के लिए महान बलिदान दिए हैं।”
1948 में पाकिस्तान ने 14 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया। ऐसा या तो इसलिए हुआ क्योंकि कराची में सत्ता हस्तांतरण समारोह 14 अगस्त, 1947 को आयोजित किया गया था या इसलिए क्योंकि 14 अगस्त, 1947 को रमज़ान की 27वीं तारीख थी, जो मुसलमानों के लिए एक बहुत ही पवित्र तारीख होती है। जो भी हो 76 साल बाद भारत और पाकिस्तान अपनी कड़ी मेहनत से लड़ी गई आजादी का जश्न देशभक्ति के उत्साह के साथ मना रहे हैं। (इस बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)