Nihang Sikhs Threat Neha Kakkar: निहंग सिख एक बार फिर चर्चा में हैं। चर्चा की वजह यह है कि निहंग सिखों ने जानी-मानी गायिका नेहा कक्कड़ और उनके पति रोहनप्रीत सिंह को चेतावनी दी है। निहंग सिखों का कहना है कि नेहा कक्कड़ और उनके पति इंटरनेट पर अश्लील कॉटेंट को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा पंजाब में काफी वायरल कुल्हड़ पिज्जा कपल के नाम से जाने वाले सहज अरोड़ा और उनकी पत्नी गुरप्रीत कौर को भी निहंग सिखों की ओर से धमकी दी गई है। निहंगों ने कुल्हड़ पिज्जा कपल से एक वायरल वीडियो को हटाने के लिए कहा है। निहंग सिखों का कहना है कि कुल्हड़ पिज्जा कपल का यह वीडियो बच्चों के लिए गलत है।
निहंग सिखों ने धमकी दी है कि यदि 18 अक्टूबर तक पुलिस ने दखल नहीं दिया तो वे खुद कार्रवाई करेंगे और कुल्हड़ पिज्जा कपल का रेस्तरां बंद कर देंगे। निहंग सिखों का आरोप है कि इन लोगों के द्वारा बनाए जा रहे कॉटेंट की वजह से पंजाब का बेड़ा गर्क हो रहा है।
सवाल यह है कि निहंग सिखों को कानून हाथ में लेने की इजाजत किसने दी है? नेहा कक्कड़ और उनके पति के साथ ही कुल्हड़ पिज्जा कपल को निहंगों की ओर से दी गई धमकी के बाद पंजाब में कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इंस्पेक्टर का काट दिया था हाथ
निहंग सिखों पर कई बार कानून को हाथ में लेने और निर्दोष लोगों की हत्या करने के आरोप लग चुके हैं। अप्रैल, 2020 में निहंग सिखों ने पटियाला में पंजाब पुलिस के एक दल पर हमला कर दिया था और एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर का हाथ काट दिया था। उस इंस्पेक्टर ने निहंग सिखों से लॉकडाउन के दौरान कर्फ्यू पास दिखाने के लिए कहा था।
निहंग सिखों की चर्चा दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के दौरान जोरदार ढंग से हुई थी। तब सिंघु बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन स्थल पर ही निहंग सिखों ने एक शख्स की तलवारों से काटकर हत्या कर दी थी। इसके अलावा भी निहंगों द्वारा आम लोगों की हत्याएं किए जाने की कई खबरें सामने आ चुकी हैं।
कौन हैं निहंग सिख?
निहंग सिख खुद को सिख योद्धा बताते हैं। वे नीले कपड़े पहनते हैं और तलवार और भाले जैसे पुराने हथियार रखते हैं। वे अपनी पगड़ी को स्टील के तारों से सजाते हैं।
क्या है निहंग सिखों का इतिहास?
18वीं शताब्दी के शुरुआती दशकों में मुगल शासकों के हमलों और उत्पीड़न के खिलाफ सिख पंथ की रक्षा करने में निहंगों ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। 1748 और 1767 के बीच अफगान अहमद शाह दुर्रानी के आक्रमणों के दौरान भी निहंगों ने युद्ध लड़ा था।
सिख इतिहासकार डॉ. बलवंत सिंह ढिल्लों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि निहंग सिखों का इतिहास सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह द्वारा 1699 में की गई खालसा पंथ की स्थापना से जुड़ा है। ढिल्लों बताते हैं, “फारसी में निहंग शब्द का अर्थ मगरमच्छ, तलवार और कलम है लेकिन निहंगों की विशेषताएं संस्कृत शब्द निहशंक से अधिक जुड़ी लगती हैं। इसका मतलब है- बिना डर वाला, बेदाग, शुद्ध, बेफिक्र, सांसारिक फायदों और आराम से दूर रहने वाला।”
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आम तौर पर निहंग सिखों के तीन गुट हैं- बाबा बुढ्ढा दल, तरना दल और बाबा बिधि चंद दल। बुड्ढा दल (मूल रूप से बुजुर्गों का गुट माना जाता है), तरना दल (युवाओं का समूह)। तरना दल में लगभग एक दर्जन गुट शामिल हैं।
निहंग सिख पूरे साल अपने डेरों में रहते हैं लेकिन आनंदपुर साहिब, दमदमा साहिब, तलवंडी साबो और अमृतसर की वार्षिक तीर्थयात्रा पर जाते हैं, धार्मिक आयोजनों में भाग लेते हैं और युद्ध कौशल और घुड़सवारी के करतब दिखाते हैं।
सिख धर्म के नियमों का सख्ती से पालन करते हैं निहंग
डॉ. ढिल्लों बताते हैं कि निहंग सिख खालसा आचार संहिता यानी सिख धर्म के नियमों का सख्ती से पालन करते हैं। वे किसी भी सांसारिक गुरु के प्रति निष्ठा नहीं रखते और केसरिया के बजाय अपने मंदिरों पर नीला निशान साहिब (ध्वज) फहराते हैं। निहंग सिख अकसर ‘चढ़दी कला’ का नारा लगाते हैं।
डॉ. ढिल्लों बताते हैं, “निहंग शारदाई या शरबती देग (पवित्र पेय) के शौकीन होते हैं। इसमें पिसे हुए बादाम, इलायची के बीज, खसखस, काली मिर्च, गुलाब की पंखुड़ियां और खरबूजे के बीज होते हैं। जब इसमें थोड़ी मात्रा में भांग मिला दी जाती है, तो इसे सुखनिधान (आराम का खजाना) कहा जाता है।
निहंग सिखों को कहां से मिलता है पैसा ?
यह सवाल लाजिमी है कि निहंग सिखों की आय का स्रोत क्या है। आखिर निहंग सिखों का खर्चा कौन उठाता है। इसका जवाब यह है कि निहंग सिखों के बड़े समूहों के नियंत्रण में कई गुरुद्वारे हैं, जहां सिख श्रद्धालु चढ़ावा देते हैं। मतलब सिख संगत के चढ़ावे और गुरुद्वारों से होने वाली आय निहंग सिखों पर खर्च होती है। निहंग सिखों के पास खेती की जमीन भी है और वे अपनी संपत्तियों में दुकानें किराए पर देकर पैसा कमाते हैं। ये स्कूल भी चलाते हैं।
‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए
अब बात करते हैं पंजाब की कानून व्यवस्था को लेकर। फरवरी, 2022 में भगवंत मान के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही पंजाब में कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते रहे हैं। पंजाब में पिछले कुछ सालों में कई जगहों पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे दीवारों पर लिखे गए हैं। इसके अलावा ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर कट्टरपंथियों ने अमृतसर में खुलकर खालिस्तान के समर्थन में रैली भी निकली है।
इस साल अमृतसर में ऑपरेशन ब्लूस्टार की 40वीं बरसी के दौरान खालिस्तान के पक्ष में नारे लगाए गए। कट्टरपंथी सिख संगठन दल खालसा के समर्थकों और कार्यकर्ताओं, कट्टरपंथी सिख नेता और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान के नेतृत्व में सिख कट्टरपंथियों ने सिख श्रद्धालुओं के समागम के दौरान ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ का नारा बुलंद किया। इसमें शामिल युवाओं ने अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की तस्वीरों वाले कपड़े पहने हुए थे। इन सभी ने निज्जर के ‘बलिदान’ के लिए उन्हें याद किया और खालिस्तान के लिए अपना संघर्ष जारी रखने की कसम खाई।
इस घटना से आप समझ सकते हैं कि पंजाब के क्या हालात हैं?
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कश्मीर से ज्यादा नाजुक है पंजाब
विपक्षी दल बीजेपी और कांग्रेस का कहना है कि मान सरकार पंजाब की सुरक्षा करने में फेल साबित हो रही है। इंटेलिजेंस एजेंसियां कह चुकी हैं कि पंजाब कश्मीर से भी ज्यादा नाजुक है। विदेश में बैठे खालिस्तानी और कट्टरपंथी सिख संगठन पंजाब के युवाओं को खालिस्तान के नाम पर भड़का रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान से लगने वाले इस सरहदी सूबे की सुरक्षा और यहां पर कट्टरपंथ को बढ़ने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। किसान आंदोलन के दौरान भी पंजाब का माहौल बेहद तनावपूर्ण रहा था।
अलगाववाद का समर्थन करने वाले अमृतपाल सिंह के खडूर साहिब और सरबजीत सिंह खालसा के फरीदकोट से चुनाव जीतने से भी पंजाब का माहौल अशांत होने की आशंका बढ़ी है। सरबजीत सिंह खालसा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या में शामिल बेअंत सिंह का बेटा है।
पंजाब ने झेला है आतंकवाद
पंजाब ने कई सालों तक आतंकवाद का नापाक दौर देखा है। उस दौरान पंजाब में 30 हजार से ज्यादा मासूम और निर्दोष लोगों की हत्या हुई और शांति, खुशहाली के लिए पहचाना जाने वाला यह राज्य आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित रहा। पिछले कुछ सालों में जिस तरह कट्टरपंथियों ने जगह-जगह खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखे हैं, अलगाववाद का समर्थन किया है, उससे इस बात का डर और आशंका हमेशा बनी रहती है कि क्या पंजाब में कट्टरपंथ और खालिस्तान एक बार फिर सिर उठा रहा है?
इस तरह के कट्टरपंथ को रोकना बहुत जरूरी है क्योंकि नेहा कक्कड़ जैसी जानी-मानी गायिका और उनके पति को धमकी देना, कुल्हड़ पिज्जा के दंपति को निहंग सिखों द्वारा धमकाने से पता चलता है कि कट्टरपंथी सिख संगठनों को कानून व्यवस्था का कोई डर नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान से सटे इस सूबे की कानून व्यवस्था को मजबूत किया जाना बेहद जरूरी है क्योंकि पाकिस्तान पर यह आरोप लगता है कि वह भारत में अलगाववादियों और खालिस्तानियों को समर्थन देकर पंजाब का माहौल खराब करना चाहता है।